Rajasthan Healthcare में महात्मा गांधी अस्पताल ने जोड़ा नया अध्याय, ड्रोन से पहुंचेगी दवा और ब्लड

Rajasthan Healthcare में महात्मा गांधी अस्पताल ने जोड़ा नया अध्याय, ड्रोन से पहुंचेगी दवा और ब्लड

Drone Medical Logistics: जयपुर में बने ड्रोन से तेज़ होगी स्वास्थ्य सेवाएं

जहाँ सड़कें थक जाती हैं, वहां ड्रोन पहुंचाएगा जिंदगी, आसमान से आएगी मदद, मेडिकल ड्रोन बनेगा जीवनरक्षक

मिनटों में मदद, घंटों की दूरी खत्म करेगा मेडिकल ड्रोन, जयपुर की उड़ान, देश के स्वास्थ्य भविष्य की पहचान

अब चिकित्सा सेवाओं को ड्रोन से मिलेगी रफ्तार, MGUMST जयपुर की पहल से बदलेगा हेल्थकेयर का चेहरा

ड्रोन से अंग परिवहन, लैब सैंपल और सुरक्षा निगरानी—राजस्थान में तकनीक आधारित स्वास्थ्य सेवाओं की नई उड़ान

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर,dusrikhabar.com।आधुनिक तकनीक के युग में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक तेज़, सुरक्षित और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। कृषि और रक्षा के क्षेत्र के बाद अब स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक का इस्तेमाल कर ड्रोन के माध्यम से लोगों की जान बचाने की अभिनव पहल की जा रही है।

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ड्रोन मेडिकल लाइफ सेवर मेडिसिन ट्रांसपोर्टर

महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी (MGUMST), जयपुर द्वारा अपनाई जा रही ड्रोन-आधारित मेडिकल लॉजिस्टिक्स सेवाएं राजस्थान की हेल्थकेयर व्यवस्था को नई गति देने जा रही हैं। इस पहल से कैडेवर अंग परिवहन, लैब एवं डायग्नोस्टिक सैंपल, और सुरक्षा निगरानी जैसे अहम कार्य अब ड्रोन के माध्यम से कहीं अधिक कुशलता से किए जा सकेंगे।

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 सुकांत दास COO महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर

कैडेवर अंग और सैंपल परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव

महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुकांत दास ने बताया कि कैडेवर अंगों का त्वरित परिवहन ड्रोन तकनीक से एक नई क्रांति लाएगा। ब्रेन डेथ के बाद प्राप्त अंगों का प्रत्यारोपण सीमित समय में ही संभव होता है। अब तक इसके लिए एंबुलेंस और प्रशासन द्वारा बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर का सहारा लिया जाता था, लेकिन ड्रोन तकनीक से ट्रैफिक, दूरी और समय की बाधाएं समाप्त हो जाएंगी। ड्रोन के माध्यम से अंगों को बहुत कम समय में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक सुरक्षित पहुंचाया जा सकेगा, जिससे प्रत्यारोपण की सफलता दर में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मार्केटिंग निदेशक वीरेंद्र पारीक ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन का यह कदम मेडिकल की दुनिया में एक नई क्रांति ला देगा। 

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जल्द ड्रोन की वजन उठाने की क्षमता 50KG और दूरी 50KM होगाी

आपको बता दें कि फिलहाल यह शुरुआत है जो एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम करेगी। अस्पताल और मैन्यूफेक्चरर मिलकर सरकार से इसको लेकर परमिशन के लिए प्रयासरत हैं। जल्द ही सरकारी परमिशन मिलने पर इसे फ्रीक्वेंटली हर मेडिकल इमरजेंसी में उपयोग में लाया जा सकेगा। साथ ही इसकी वजन उठाने की क्षमता 50KG और दूरी 50KM तक और बढ़ाने की तैयारी चल रही है। कंपनी ने फिलहाल साउथ के कुछ राज्यों में इसका सफल प्रयोग भी कर लिया है। 

राजस्थान में पहली बार महात्मा गांधी अस्पताल में ड्रोन से पहुंचाएगा लाइफ सेविंग मेडिसिन

इस ड्रोन के बारे में एक बात और खास ये है कि फिलहाल राजस्थान के किसी भी अस्पताल में इस तरह की तकनीक का उपयोग नहीं किया जा रहा है। महात्मा गांधी अस्पताल राजस्थान का पहला ऐसा अस्पताल है जो जरूरतमंद रोगियों और पीड़ितों को ये सुविधा उपलब्ध करवाएगा। साथ ही इस सुविधा के लिए अस्पताल प्रबंधन किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लेगा। 

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लैब सैंपल और डायग्नोस्टिक सेवाओं में तेज़ी

ड्रोन आधारित प्रणाली लैब और डायग्नोस्टिक सैंपलों के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगी। तापमान नियंत्रित ड्रोन बॉक्स के जरिए रक्त, बायोप्सी और अन्य संवेदनशील सैंपल तेज़ी से जांच केंद्रों तक पहुंचाए जा सकेंगे। इससे सैंपलों की गुणवत्ता सुरक्षित रहेगी और रिपोर्ट समय पर उपलब्ध होगी, जिससे इलाज में देरी नहीं होगी। यह व्यवस्था खासकर आपातकालीन और गंभीर रोगियों के लिए जीवनरक्षक सिद्ध हो सकती है।

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सुरक्षा निगरानी और पेट्रोलिंग में ड्रोन की अहम भूमिका

ड्रोन तकनीक का उपयोग केवल चिकित्सा आपूर्ति तक सीमित नहीं रहेगा। अस्पताल परिसर, मेडिकल कॉलेज और संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से 24 घंटे निगरानी, भीड़ प्रबंधन और आपात स्थितियों पर त्वरित नजर रखी जा सकेगी। इससे सुरक्षा व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ होगी तथा किसी भी अप्रिय स्थिति में तुरंत कार्रवाई संभव हो पाएगी।

मैजिकमैना के साथ साझेदारी, राजस्थान में पहला प्रयास

इस महत्वाकांक्षी योजना को साकार करने के लिए दुबई की ड्रोन निर्माता कंपनी “मैजिकमैना” के साथ अनुबंध किया जा रहा है। कंपनी के को-फाउंडर सुनील सोमन नायर और हैड, सप्लाई चैन, राजस्थान घनश्याम पुरुस्वामी ने बताया कि ड्रोन तकनीक का प्रयोग पहले ही रक्षा सेवाओं में सफलतापूर्वक हो चुका है। आवश्यक सरकारी अनुमतियां प्रक्रिया में हैं और राजस्थान में MGUMST के साथ यह पहला संगठित प्रयास है।

ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचेगी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा

ड्रोन आधारित चिकित्सा सेवाएं न केवल शहरी क्षेत्रों बल्कि दूरदराज़ और ग्रामीण इलाकों तक भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह पहल आत्मनिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप है और राजस्थान को तकनीक आधारित हेल्थकेयर में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगी। साथ ही, भविष्य में इन सेवाओं का उपयोग कृषि और अन्य क्षेत्रों में भी किए जाने की संभावनाएं हैं।

रक्षा के बाद अब मेडिकल क्षेत्र में भी ड्रोन का उपयोग लोगों का जीवन बचाने में किया जाएगा। 

मैजिक मैना ड्रोन के साथ सुकांत दास COO महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर

ड्रोन की प्रमुख खूबियां और तकनीकी विशेषताएं

आधुनिक तकनीक से लैस यह मेडिकल ड्रोन स्वास्थ्य सेवाओं में एक नई क्रांति का संकेत दे रहा है। इसकी खासियतें इसे तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाती हैं—

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  • यह ड्रोन एक उड़ान में लगभग 7.5 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है, जिससे समय-संवेदनशील चिकित्सा सेवाओं को नई गति मिलती है।

  • DGCA की अनुमति के अनुसार मेडिकल क्षेत्र में फिलहाल ड्रोन को 120 मीटर (लगभग सवा किलोमीटर) की ऊँचाई तक उड़ाया जा सकता है, जबकि रक्षा सेवाओं में यही ड्रोन 5250 मीटर (करीब सवा पाँच किलोमीटर) की ऊँचाई तक उड़ान भरने में सक्षम हैं।

  • ड्रोन की वजन वहन क्षमता 5 से 10 किलोग्राम तक है, जिससे आवश्यक चिकित्सा सामग्री आसानी से ले जाई जा सकती है।

  • GPS तकनीक से लैस यह ड्रोन निर्धारित स्थान तक अत्यंत सटीकता के साथ पहुँचता है, जिससे डिलीवरी में किसी प्रकार की चूक की संभावना नहीं रहती।

  • इसके माध्यम से मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स, ब्लड सैंपल, जीवनरक्षक दवाइयाँ और कैडेवर अंग सुरक्षित रूप से ट्रांसपोर्ट किए जा सकते हैं।

  • बड़े शहरों में 15 किलोमीटर की दूरी अपेक्षाकृत कम मानी जाती है, इसी को ध्यान में रखते हुए इसकी रेंज बढ़ाने पर तकनीकी टीम लगातार कार्य कर रही है

  • सबसे खास बात यह है कि यह ड्रोन पूरी तरह स्वदेशी है—न केवल भारत में निर्मित, बल्कि इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट राजस्थान की राजधानी जयपुर में संचालित हो रही है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सशक्त उदाहरण है।

ये विशेषताएं स्पष्ट करती हैं कि ड्रोन तकनीक आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा और दशा दोनों बदलने वाली है

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