
सरकार की उपेक्षा से त्रस्त, डीएनटी समाज 1 जुलाई को करेगा सरकार का महा-बहिष्कार….!
सरकार की उपेक्षा का 1 जुलाई को जयपुर में महा-बहिष्कार
डीएनटी समाजों द्वारा जयपुर के वीटी रोड ग्राउंड पर होगी डीएनटी समाज की महारैली
डीएनटी समाज सरकार से चाहते 10 मांगों पर सहमति
शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्स्य और मूलभूत आवश्यकताओं के लिए समाजों ने लिए महा बहिष्कार का निर्णय
3 फरवरी को जोधपुर में भी डीएनटी समाजों ने किया था आंदोलन, इस बार लड़ाई आर-पार की…!
विजय श्रीवास्तव,
जयपुर, (dusrokhabar.com)। डीएनटी समाजों के हितों और मूलभूत सुविधाओं के साथ अपने अधिकारों के लिए 1 जुलाई को इन समाजों की ओर से राजधानी जयपुर में सरकार का महा-बहिष्कार यानी बॉयकॉट किया जाएगा। रविवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में एकत्र हुए डीएनटी समाज के नेताओं और प्रतिनिधियों ने प्रेसवार्ता में यह जानकारी मीडिया के साथ साझा की। प्रेस क्लब में एक जुलाई के आंदोलन के लिए पत्रकारों से लालजी राईका अध्यक्ष राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी संघर्ष समिति और रतन नाथ कालबेलिया, प्रदेशाध्यक्ष विमुक्त, घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति परिषद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा बताई।
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लालजी राइका पशुपालक संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यक्ष लालजी राईका और रतन नाथ ने बताया कि सरकार को विमुक्त, घुमंतू ,और अर्ध घुमंतू ( डीएनटी) के विकास के लिए और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए दस माँगे रखी गई है । ये सभी माँगे इन समाजों के विकास के लिए गठित रेनके आयोग और इदाते आयोग की सिफारिशों के अनुरूप हैं।
रतननाथ ने मीडिया से कहा कि हमारी 10 जायज मांगों पर सरकार ने इस बार कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया तो तरू मरू का संकल्प है। हमने सरकार से कह दिया है कि अगर आपने हमारी मांगें नहीं मानी तो आप अपनी जेलें खोल दीजिएगा कम से हमारे समाज के लोग भूखे रहने की जगह जेल में दो वक्त की रोटी तो चैन से खा सकेंगे। जब केंद्र सरकार के कमीशन ने हमारे समाज के लिए चिंता जताते हुए हमारा समर्थन कर रही है तो राजस्थान सरकार हमारी बातें क्यों नहीं सुन रही है।
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रतननाथ डीएनटी समाज प्रदेशाध्यक्ष प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए।
डीएनटी की सरकारी लिस्ट में क़रीब 32 समाज हैं लेकिन कुल 50 से अधिक डीएनटी समाज हैं जिनकी राजस्थान में कुल जनसंख्या 1.23 करोड़ ( राजस्थान की जनसंख्या का 15%) है । आजादी से लेकर अभी तक इन समाजों को प्रशासन, राजनीति , व्यवसाय आदि में कोई भागीदारी नहीं दी गई । इन समाजों के पास घर नहीं है , घर हैं तो पट्टे नहीं है । घुमंतू समाजों के लिए अलग से शिक्षा की व्यवस्था नहीं है और ना ही अलग से आरक्षण की व्यवस्था है। विकसित भारत के नारे इनके लिए बेमानी हैं और सरकारों की बेरुखी के कारण ये समाज हाशिए पर हैं ।
ये समाज संगठित होकर जयपुर में 1 जुलाई को महा-बहिष्कार आंदोलन कर रहे हैं । आज़ादी के बाद पहली बार “ बॉयकॉट” शब्द का प्रयोग किया जा रहा है क्योंकि डीएनटी समाजों की आवश्यकतानुसार नीतियों नहीं बनायी गई इसलिए ये समाज विकास में सबसे निचले पायदान पर हैं । चार महीने पहले डीएनटी समाज के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए और सरकार के मंत्री मदन दिलावर से मिले और उन्हें समस्याओं से अवगत करवाया । लेकिन सरकार का कोई जवाब नहीं आया, 7 जनवरी को पाली में पहला बहिष्कार आंदोलन किया गया जिसमें दस हज़ार लोगों ने भाग लिया और सरकार को एक माह का समय दिया गया लेकिन सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसके बाद 3 फरवरी को जोधपुर में आंदोलन किया लेकिन फिर भी सरकार नहीं जागी। अंत में निर्णय लिया गया की जयपुर में “ महा-बहिष्कार “ आंदोलन किया जाएगा । एक जुलाई को वीटी ग्राउंड, मानसरोवर में एक विशाल आंदोलन होने जा रहा है जिसमें राजस्थान के हर भाग से लोग आ रहे हैं । यदि इस आंदोलन के बाद भी सरकार नहीं सुनती है तो ये आंदोलन गाँव- गाँव तक ले जाया जाएगा।
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इस आंदोलन का नाम बहिष्कार क्यों ?
क्योंकि जो सरकारी सिस्टम है वो डीएनटी समाज के अनुकूल नहीं है जैसे विभिन्न समाजों के नामों में विसंगतियां हैं जिससे उन समाजों का एक बड़ा भाग डीएनटी में शामिल नहीं किया गया । जैसे रेबारी नाम है लेकिन राईका और देवासी नहीं है जबकि तीनों नाम एक दूसरे के पर्याय हैं । जोगी कालबेलिया को एक कर दिया गया है जबकि दोनों समाज अलग अलग हैं , मीरासी समाज को शामिल नहीं किया गया आदि। इससे इनके प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहें हैं और इन समाजों का एक बड़ा भाग वंचित हो गया है . इसलिए हमारा नारा था की “ या तो सभी नाम शामिल हों ,नहीं तो एक भी नहीं अर्थात् एक नाम स्वीकार नहीं अतः बहिष्कार।
आरक्षण में इन्हें अन्य समाजों के साथ मिला दिया गया जिनसे ये समाज सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते इसलिए इनका अलग से ग्रुप “ डीएनटी समाज “ बनाया जाए जिसे अलग से आरक्षण मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय दिया है की आरक्षण के भीतर आरक्षण होना चाहिए अर्थात् आरक्षण का उपवर्गीकरण होना चाहिए । यही बात डीएनटी आयोगों ने भी कहा है । इसलिए वर्तमान आरक्षण व्यवस्था का बहिष्कार ।
- हमारी 70 प्रतिशत लोग गोचर और वन भूमि में रहते हैं लेकिन सरकार केवल आबादी में ही पट्टे दे रही है इसलिए इस सिस्टम का भी बहिष्कार
- शिक्षा के लिए अगल से स्पेशल व्यवस्था नहीं है और ना ही अलग से शिक्षा के लिए सहायता इसलिए वर्तमान शिक्षा सिस्टम का भी बहिष्कार ।
बहिष्कार एक सांकेतिक शब्द है जिसका अर्थ यही है कि सरकार हमारे समाजों की प्रकृति समझे और उसी के अनुसार योजना बनाये और उनका विकास करे नहीं तो वर्तमान सिस्टम का बहिष्कार होगा। आजादी के बाद पहली बार “ बायकॉट “ शब्द प्रयोग हो रहा है जो सरकार को इन समाजों को गंभीरता से लेने और इनके प्रति संवेदनशील होने के लिए एक आव्हान है।
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इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में DNT की विभिन्न जातियों के प्रतिनिधि मौजूद थे जिनमें गीता बागरिया, नारायण सिंह पड़िहार, एडवोकेट पूनम नाथ सपेरा, विकास नरवाल, राजाराम नायक, विशन लाल बावरी,राजू सिंघवी, बलवंत कंजर, दिनेश नाथ सपेरा, ज्ञान सिंह सांसी, नकुल कुमार गायरी, देवी लाल गाडरी, मांगी राम योगी, लुनियासिंह गाड़िया लोहार, रूपाराम नायक, डॉ. उदयलाल बंजारा, कपूर खेताजी राईका, झालाराम देवासी, किशना राम देवासी, भीकू सिंह राईका, कैप्टन ओमप्रकाश देवासी, सवाराम देवासी, डॉ. सुखराम राईका इत्यादि शामिल थे।