एंजाइटी और डिप्रेशन से बचने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट जरूरी: डॉ. जितेंद्र जीनगर

एंजाइटी और डिप्रेशन से बचने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट जरूरी: डॉ. जितेंद्र जीनगर

कार्यस्थल का तनाव लोगों में बढ़ा रहा मानसिक बीमारियों का खतरा

लंबे कामकाजी घंटे, स्टाफ की कमी और असुरक्षित माहौल हैं मुख्य कारण

योग, ध्यान, व्यायाम और बेहतर दिनचर्या से मिल सकती है राहत

सुश्री सोनिया,

उदयपुर, dusrikhabar.com। क्षेत्रीय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर में नव प्रशिक्षणार्थियों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र जीनगर, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष—मनोचिकित्सा विभाग, गीतांजली अस्पताल—ने कार्यस्थल पर बढ़ते तनाव के खतरों और उसके प्रभावी प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तनाव को समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो व्यक्ति एंजाइटी, डिप्रेशन, ओसीडी और नशे की लत तक का शिकार हो सकता है।

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प्रशिक्षण सत्र में संबोधित करते हुए डॉ जीनगर ने बताया कि लंबे समय तक बढ़ते तनाव से मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और व्यवहारिक स्तर पर गंभीर परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित तनाव की स्थिति में एंजाइटी, फोबिया, ओसीडी, डिप्रेशन और आत्मघाती विचारों की संभावना बढ़ जाती है।

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उनके अनुसार, कार्यस्थल पर तनाव के मुख्य कारणों में लंबे समय तक काम करना, स्टाफ की कमी, कार्य समय में लचीलापन न होना, काम का अत्यधिक बोझ, असुरक्षित कार्य स्थल, वरिष्ठों से संचार की कमी, निर्णय लेने के अधिकार का अभाव, पारस्परिक सहयोग की कमी, वेतन में असमानता और मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना शामिल हैं, जो कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर डालते हैं।

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तनाव के परिणाम: शारीरिक व मानसिक लक्षण तेजी से बढ़ते हैं

डॉ. जीनगर ने बताया कि लगातार तनाव में रहने वाले व्यक्तियों में…

  • ध्यान में कमी

  • भूख व प्यास में बदलाव

  • नींद की समस्या

  • मूड स्विंग

  • काम में रुचि कम होना

  • थकान, भय, आत्मविश्वास में कमी

  • चिड़चिड़ापन

जैसे लक्षण बढ़ते हैं। शारीरिक लक्षणों में सिरदर्द, एसिडिटी, पेट दर्द, घबराहट और सीने में दर्द जैसे संकेत भी शामिल हैं। कई बार व्यक्ति नशे की ओर भी भागने लगता है।

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कैसे करें तनाव प्रबंधन?—डॉ जीनगर ने बताए प्रभावी उपाय

विशेषज्ञों के अनुसार, सही जीवनशैली अपनाकर तनाव से काफी हद तक बचा जा सकता है।
डॉ. जीनगर ने निम्न उपाय सुझाए—
✔ नियमित व्यायाम करें
फल और फ्रूट्स का सेवन बढ़ाएं
योग व प्राणायाम का अभ्यास करें
ब्रीदिंग रिलैक्सेशन अपनाएं
मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें
✔ अपनी हॉबी में समय लगाएं
✔ पर्याप्त नींद लें
✔ कार्य और निजी जीवन में बैलेंस बनाए रखें
✔ कार्यस्थल पर छोटे-छोटे ब्रेक लें
सकारात्मक सोच विकसित करें
✔ आवश्यकता होने पर ना कहना सीखें
✔ दोस्तों व परिवार से संवाद बनाए रखें
✔ समय-समय पर छुट्टियां लें

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