ओपीएस के तहत रिटायर हुए शिक्षक पेंशन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर…

ओपीएस के तहत रिटायर हुए शिक्षक पेंशन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर…

बुढ़ापे में शिक्षक पेंशन के लिए भटक रहे दर-दर

जयपुर में पिंकसिटी प्रेसक्लब में पत्रकारों के माध्यम से सरकार से पेंशन की गुहार 

राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशन भुगतान का उत्तरदायित्व राज्य सरकार द्वारा वहन करना चाहिए।

कई सालों से पेंशन का सुचारू रूप से नहीं मिल रहा भुगतान, 8000 शिक्षक परेशान

अपनी जरूरत के लिए किसके आगे हाथ फैलाएं बुजुर्ग शिक्षक: एचएस शर्मा 

हमारे ही स्टूडेंट जो अब आईएएस,आरएएस पदों पर हैं वो ही नहीं समझते हमारी मजबूरी: रामनिवास शर्मा 

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर,(dusrikhabar.com)। ऑल राजस्थान विश्वविद्यालय पेन्शनर्स महासंघ के नेतृत्व में जयपुर में पिंक सिटी प्रेस क्लब में सेवानिवृत्त शिक्षकों ने एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया। प्रेसवार्ता में महासंघ के अध्यक्ष एचएस शर्मा ने पत्रकारों के सामने अपनी मांग रखी कि राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों से रिटायर कर्मचारियों की पेन्शन भुगतान की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार को लेनी चाहिए।

एचएस शर्मा ने कहा कि राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में 1990 में राज्य सरकार के आदेश से ही पेन्शन लागू की गयी थी, जिसे सभी विश्वविद्यालयों ने इसे अपने सक्षम विश्वविद्यालयों में लागू करवा दिया। सरकार की ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति लेने वाले करीब 8हजार शिक्षकों को इन दिनों पेंशन का भुगतान नहीं किया जा  रहा है। आए दिन बजट की परेशानी के चलते शिक्षकों को अपने अधिकार की पेंशन नहीं मिल पा रही है। इससे सभी के परिवार और पेंशनर खुद काफी परेशानियों का सामना कर रहा है।

ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्त 8000 शिक्षकों दर-दर भटक रहे

जयपुर में राजस्थानभर से एकत्र हुए इन सेवानिवृत्त शिक्षकों ने पत्रकारों के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है। इसके लिए इन सेवानिवृत्त पेंशनर संघ के अध्यक्ष एचसी शर्मा ने पत्रकारों के माध्यम से सरकार से गुहार लगाई है कि 1999 में सरकार द्वारा लागू की गई ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत इन शिक्षकों ने सेवानिवृत्ति ले ली थी। परन्तु इस समय ये पेंशनर्स अपनी मेहनत का फल लेने के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। सरकार के नुमाइंदे चाहे वो नेता हों या अफसर कोई भी इनकी मदद करने को तैयार नहीं है।
इस सेवानिवृत्त शिक्षकों को कहना है कि आज जितने भी बड़े पदों पर सरकारी अफसर बैठे हैं वो कहीं न कहीं हमसे शिक्षा लेकर ही आज उस कुर्सी तक पहुंचे हैं लेकिन आज उन्हीं अफसरों में से किसी एक को भी इस बात पर शर्म नहीं है कि वो पिता तुल्य हम शिक्षकों के अधिकारों को भी नहीं देना चाहते।

हमारे ही शिष्य आज हमारी मजबूरी समझने को तैयार नहीं: राम निवास शर्मा

अध्यक्ष के अलावा जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की पेन्शनर्स सोसाइटी के अध्यक्ष एवं महासंघ के उपाध्यक्ष प्रो. रामनिवास शर्मा ने भी मीडिया से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी का निकम्मापन सरकार पर हावी है। सरकार में जो भी अफसर हैं ये हम में से ही किसी के स्टूडेंट्स हैं। हालांकि सरकार में नेता हमारी समस्या के समाधान के लिए हां बोल देते हैं लेकिन ब्यूरोक्रेसी में बैठे ये अफसर ही हमारे समस्या के समाधान के लिए प्रयास नहीं करना चाहते।

सरकार को हम बुजुर्ग शिक्षकों के लिए इतना तो करना ही चाहिए कि हमें अपनी मेहनत का मेहनताना इस उम्र में जब हम कोई काम नहीं कर सकते पेंशन के रूप में देना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को घर बैठे बिना काम किया भत्ता दे रही है हमारी प्रदेश की युवा पीढ़ी को बेरोजगारी भत्ता देकर उन्हें नाकारा बना रहे हैं बजाए इसके सरकार को बुजुर्गों को संबल देना चाहिए और उनके जीवनभर की मेहनत की कमाई हमारी पेंशन को सुचारू करना चाहिए।

जाके पैर न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

राजस्थान सरकार से वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षकों का इन दिनों यही कहना है। क्योंकि इन दिनों ये सेवानिवृत्त शिक्षक अपनी बरसों की मेहनत के बाद बुढ़ापे का सहारा पेंशन के लिए दर दर भटक रहे हैं, कभी इस अफसर के कार्यालय तो कभी दूसरे अफसर के कार्यालय। लेकिन इन अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रैंग रही है कि इन शिक्षकों को जीवन जीने के लिए बुढ़ापे में पेंशन तो हर महीने मिलनी ही चाहिए।

हाकम बदले हुकम नहीं

शिक्षकों ने सरकार से अपनी मांगे रखते हुए कहा हर पांच साल में सरकार बदल जाती है और साथ में उनके दिए  हुए हुकम भी। जबकि होना ये चाहिए कि हाकम भले ही बदले लेकिन जनहित में लिए हुए हुकम नहीं बदलने चाहिए। 

सेवानिवृत्त शिक्षकों की ये हैं प्रमुख मांगें:- 

  1. राज्य यो रामी राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में राज्य सरकार के आदेश से ही 1990 से पेंशन योजना लागू की गयी थी। अभी तक सभी विश्वविद्यालय स्वयं की आय से ही पेंशन भुगतान करते आ रहें थे, परन्तु अब सभी विश्वविद्यालय आय के स्त्रोतों से पेंशन भुगतान करने में असमर्थ है। परिणामतः सभी सेवानिवृत कर्मचारी पेंशन के रामय पर भुगतान नही हो पाने से याचित्त है।
  2. विश्वविद्यालयों में राज्य सरकार के उपदेश के कारण भी आर्थिक संकट और ज्यादा गंभीर हो गया है क्योंकि सरकार के आदेशानुसार ही अनुसूचित जाति, जनजाति तथा महिला छात्राओं की फीस पूर्णतया माफ है। ओबीसी तथा अन्य योग्यजन की पतेस भी आंशिक रुप में ही जमा कराई जाती है। राज्य सरकार द्वारा इस राशि का भी पुनर्भरण नहीं किया जाता। नये विश्वविद्यालयों का सूजन भी एक बहुत बड़ा कारण रहा क्योंकि सम्बद्ध कालेजों की संख्या में कमी आने से प्राइवेट छात्रों ने आने बाली फीस एवं सम्बद्धता से होने वाली आय में निरन्तर कमी होती गई।
  3. अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र एवं प्रत्तीसगढ़ में राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के पेंशन का भार उठाती है।
  4. राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालयों को अन्य निगम, बोर्ड तथा अन्य स्वायत शासित संस्था साथ सपना न्यायोचित नहीं है क्योंकि विश्वविद्यालय की स्वापना के दिन से ही सभी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान राज्य सरकार हो चारती है, अन्य के मामले में ऐसा नहीं है।
  5. अनुदानित संस्थाओं को पैशन का भुगतान करनाराय का ही सतरदायित्व है। इस निर्णय स्पष्ट है कि सरकार का ही एक अभिन्न अंग है। जो सरकार नेतन का भुगतान करती है उसी का उत्तरदायित्व है कि यही पेंशन का भी भुगतान करें। यहां तक भी उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा के उत्पन हेतु कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों की स्थापना एक ही नियम के अन्तर्गत की गयी थी। शिक्षा निदेशालय के अधीन आने वाले कॉलेजों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान राज्य सरकार करती है तो फिर राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के सेवा निवृत कर्मचारियों की पैशन का भुगतान भी राज्य सरकार को ही करना चाहिए।
  6.  विशेष रूप से जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर तथा राजस्थान राज्य के सभी कृषि विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत कर्मचारियों को 2020 के बाद सेवानिवृत पेंशनर्स को सेवानिवृत्ति परिलाभ का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं तथा सातवें वेतन आयोग के अनुसार पेंशन पुनर्निर्धारण राशि के बकाया एरियर का भी आज दिन तक का भुगतान नहीं कर पाये है। यहाँ तक कि नवम्बर 2024 की पेंशन का भुगतान भी आज दिन तक नहीं हुआ है। कृषि विश्वविद्यालय के किसी भी पेंशनर्स को पेंशन का पूरा भुगतान नहीं हो रहा है। मंहगाई राहत का भुगतान वर्तमान दरों से नहीं मिल पा रहा है।
  7. MBM इंजीनियरिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग संकाय, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के सेवानिवृत पेंशनर्स को वर्ष 1990/91 से जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय द्वारा ही राजकीय आदेश से पेंशन भुगतान किया जा रहा था। अभी हाल ही में 23/10/24 को आयोजित विश्वविद्यालय सिंडिकेट में इन सभी 274 कार्मिकों, शिक्षकों को अक्टूबर माह से जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय द्वारा पेंशन भुगतान नहीं करने का निर्णय किया गया, जो कि पूर्णतया अमानवीय तथा अवैधानिक निर्णय है। आपसे प्रार्थना है कि इस आदेश को तुरंत प्रभाव से निरस्त कर MBM इंजीनियरिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग संकाय, जय नारायण बास विश्वविद्यालय से सेवानिवृत सभी पेंशनर्स को पूर्व की भांति पेंशन भुगतान करने के आदेश जारी करने हेतु प्रार्थना है।
  8. सभी पेंशनर्स गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहें है। जीवन के संध्या काल में इनका जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में कार्यरतं / सेवारत कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ राज्य सरकार में कार्यरत कार्यरत / पेंशनर्स के समान दिया जाये।
  9. राजस्थान राज्य के सभी राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के कुल 8000 पेंशनर्स है। इन सभी को प्रति वर्ष मात्र 550 करोड़ रुपए से भी कम राशि पेंशन के रूप में देय होती है। जो कि राज्य कर्मचारियों को हो रहे पेंशन भुगतान की मात्र 2 प्रतिशत राशि ही है।
  10. राजस्थान विश्वविद्यालय में 25 सितम्बर 2021 में पदोक्त सेवानिवृत शिक्षकों की पात्रता के लिए प्रो. आई.वी. त्रिवेदी की समिति की रिपोर्ट को स्वीकृत कर इन्हें पदोन्नति परिलाम दिया जाये। 

क्या कहा अध्यक्ष एचएस शर्मा ने

कृषि विश्वविद्यालय के 3000 पेंशनर्स 

सेवा निवृत्त शिक्षक प्रोफेसर आरबीएल गुप्ता ने प्रेस से बात करते हुए बताया कि इन 8000  शिक्षकों में 3000 पेंशनर्स कृषि विश्वविद्यालयों से 1999 में ओल्ड पेंशन योजना के तहत सेवानिवृत्त हुए थे। 

ये सेवानिवृत्त शिक्षक भी रहे मौजूद

प्रोफसर बी. के. शर्मा, महासचिव, फेडरेशन ने सभी का स्वागत एवं मंच संबालन किया तथा प्रोफसर एन. के. लोहिया, महान्त्तविय, रुपा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रोफसर श्रवण लाल शर्मा ने मीडिया प्रभारी के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया। मूलधन्द जाट का इस कार्यक्रम के संपादन में विशेष योगदान रहा। प्रेसवार्ता में निम्न तर्कों के आधार पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

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