NEET फर्जीवाड़ा: राजस्थान के 11 डेंटल कॉलेजों पर 110 करोड़ का जुर्माना

NEET फर्जीवाड़ा: राजस्थान के 11 डेंटल कॉलेजों पर 110 करोड़ का जुर्माना

NEET फर्जीवाड़ा प्रकरण 11 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा एक्शन

जीरो-नेगेटिव नंबर वालों को भी मिला था एडमिशन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लालच में कॉलेजों ने उड़ाई नियमों की धज्जियां

डिग्री बची, लेकिन 2 साल मुफ्त सेवा अनिवार्य

विजय श्रीवास्तव,

दिल्ली/जयपुर, dusrikhabar.com। राजस्थान में NEET एडमिशन घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। वर्ष 2016-17 के दौरान BDS एडमिशन में गंभीर अनियमितताओं के दोषी पाए गए राजस्थान के 11 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों पर कोर्ट ने कुल 110 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कॉलेजों ने नियमों को दरकिनार कर जीरो और नेगेटिव मार्क्स वाले छात्रों को भी दाखिला दे दिया था। हालांकि, कोर्ट ने मानवीय आधार पर कोर्स पूरा कर चुके छात्रों की डिग्री रद्द नहीं की, लेकिन उनके लिए सख्त शर्तें लागू की गई हैं।

कैसे सामने आया NEET एडमिशन फर्जीवाड़ा: पूरा घटनाक्रम समझिए

यह मामला NEET 2016 के बाद तब सामने आया, जब राजस्थान में कई डेंटल कॉलेज सीटें खाली रह गई थीं।

  • 30 सितंबर 2016: राजस्थान सरकार ने न्यूनतम NEET पर्सेंटाइल में 10 पर्सेंटाइल की छूट दी

  • 4 अक्टूबर 2016: सीटें न भरने पर सरकार ने 5 पर्सेंटाइल की अतिरिक्त छूट दे दी

  • 5 अक्टूबर 2016: डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI) ने इसे नियमों का उल्लंघन बताते हुए केंद्र को पत्र लिखा

  • 6 अक्टूबर 2016: केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को फटकार लगाते हुए आदेश वापस लेने को कहा

इसके बावजूद, प्राइवेट डेंटल कॉलेजों ने न केवल इस छूट का फायदा उठाया, बल्कि NEET में शून्य और माइनस अंक लाने वाले छात्रों को भी एडमिशन दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: लालच में नियम तोड़े गए

जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि NEET पर्सेंटाइल घटाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है, वह भी DCI की सलाह से। राजस्थान सरकार द्वारा दी गई छूट को कोर्ट ने अवैध माना।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेजों ने लालच में आकर हर सीट भरने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाईं और सरकारी छूट से भी आगे जाकर ऐसे छात्रों को दाखिला दिया जिनके अंक जीरो या नेगेटिव थे। “कॉलेजों ने लालच में हर एक सीट भरने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ा दीं।” हालांकि कोर्ट ने यह भी माना कि गलती कॉलेजों और राज्य सरकार की थी, ऐसे में छात्रों को पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट से जारी हुए आदेशों के अनुसार राजस्थान का जोधपुर का व्यास डेंटल कॉलेज, कोटा का दसवानी डेंटल कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर, कोटपुतली का एकलव्य डोंटल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, श्रीगंगानगर का सुरेंद्र डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, उदयपुर का दर्शन डेंटल कॉलेज, उदयपुर का पेसिफिक डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पेसिफिक अकेडमी ऑफ हायर एज्यूकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी, जयपुर का राजस्थान डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल,श्रीगंगानगर का महाराजा गंगासिंह डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर सहित कुछ अन्य डेंटल कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट ने NEET  में फर्जीवाड़े का जिम्मेदार मानते हुए 10-10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। 

डिग्री तो मिली, लेकिन 2 साल मुफ्त सेवा की शर्त

सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए कोर्स पूरा कर चुके छात्रों की डिग्री रेगुलराइज कर दी, लेकिन इसे भविष्य के लिए नजीर नहीं माना जाएगा। राहत पाने वाले सभी डॉक्टरों को देना होगा स्पष्टीकरण। इन डॉक्टर्स को…

  • 8 सप्ताह के भीतर शपथ पत्र (Affidavit) देना होगा

  • राज्य में 2 साल तक नि:शुल्क (Pro-bono) सेवा करनी होगी

  • प्राकृतिक आपदा, महामारी या स्वास्थ्य आपातकाल में सेवा देना अनिवार्य होगा

यदि कोई डॉक्टर शपथ पत्र नहीं देता है, तो उसकी डिग्री की मान्यता खतरे में पड़ सकती है।

110 करोड़ का जुर्माना, समाजसेवा में होगा इस्तेमाल

कोर्ट ने प्रत्येक 11 प्राइवेट डेंटल कॉलेज पर 10-10 करोड़ रुपये और राजस्थान सरकार पर भी 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (RSLSA) में जमा होगी और FD में रखी जाएगी। इससे मिलने वाले ब्याज का उपयोग वन स्टॉप सेंटर, नारी निकेतन, वृद्धाश्रम और बाल देखभाल संस्थानों के सुधार और रखरखाव में किया जाएगा।

इस राशि के सही उपयोग की निगरानी के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में 5 जजों की कमेटी बनेगी, जिसमें कम से कम एक महिला जज होंगी।

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