जवाहरलाल दर्डा लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार, समारोह, मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने…

जवाहरलाल दर्डा लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार, समारोह, मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने…

पत्रकारिता में सजग और जागरुक रहना जरूरी- राज्यपाल

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, अच्छे पत्रकारों की समाज को जरूरत

वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को दिया गया लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

छाबड़ा बोले- पत्रकारों-राजनेताओं का पढ़ना, लिखना जरूरी, नहीं तो विधानसभा में होते रहेंगे हंगामे…

जयपुर (Dusrikhabar.com)। लोकमत समाचार समूह द्वारा आयोजित वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और लोकमत के प्रणेता स्व. जवाहर लाल दर्डा स्मृति लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्व.जवाहर लाल दर्डा के साथ जुड़ी पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों से जुड़े कुछ स्मरण सभी साझा करते हुए कहा, “उन्होंने अपनी सोच के लिए नहीं लोगों के अधिकार में, उनके लिए समाचार पत्र निकाला”।

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा, सजग और जागरूक रहते हुए पत्रकारिता करें। उन्होंने कहा कि शब्द की संस्कृति पत्रकारिता में लगती है। इसे फिजूल पर बर्बाद नहीं करना चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता के स्वस्थ मूल्यों के लिए काम करने का अनुरोध किया।

दर्डा पुरस्कार प्राप्त पत्रकारों ने मंच पर राजयपाल हरिभाऊ बागड़े के साथ खिंचवाई ग्रुप फोटो।

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संविधान निर्माण की प्रक्रिया अखंड हिंदुस्तान

राज्यपाल ने बताया कि देश में संविधान निर्माण की प्रक्रिया अखंड हिंदुस्तान की सोच के साथ शुरू हुई थी। 26 नवंबर को आजादी के बाद राष्ट्रपति को जब संविधान सुपुर्द किया गया था, तब उसमें भारतीय संस्कृति से जुड़े 22 भागों के चित्र भी थे। उसका पहला चित्र हड़प्पा से जुड़ा हुआ था। संविधान के चित्र बनाने वालों में जयपुर के कृपाल सिंह शेखावत भी शामिल थे।

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पत्रकारिता की भूमिका

विधान सभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने आजादी आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता राष्ट्र हित में बढ़ो। “राष्ट्र प्रथम” की सोच के साथ पत्रकारिता आगे बढ़े। उन्होंने अच्छे समाचारों, सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हुए पत्रकारिता के स्वस्थ मूल्यों के लिए कार्य करने का आह्वान किया। राज्य के मंत्री नगरीय विकास झाबर सिंह खर्रा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता के व्यावसायिकताकरण के साथ इसका स्तर गिरता चला गया।

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पुरस्कार की पहल उनके नाम से

लोकमत समूह के अध्यक्ष विजय दर्डा ने कहा कि लोकमत समूह के संस्थापक स्व. जवाहर लाल दर्डा तेजी से और सख्ती से लिखने वाले पत्रकार थे, इसलिए पुरस्कार की पहल उनके नाम से की गई।

पत्रकारिता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बाबूजी ने कभी अपने संपादकीय में लिखा था कि राजनीतिक स्वतंत्रता अकेली ही पर्याप्त नहीं है, जब तक गरीबी, भूख, शिक्षा और सांप्रदायिकता के संकट बने रहेंगे तब तक पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मानी जा सकती।

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महाराष्ट्र में प्यार से उन्हें नाना कहा जाता है

लोकमत मीडिया के प्रधान संपादक और पूर्व उद्योग और शिक्षा मंत्री महाराष्ट्र राजेंद्र दर्डा ने लोकमत समाचार पत्र समूह की यात्रा और तेजी से हो रहे विस्तार के बारे में जानकारी दी। लोकमत स्वस्थ पत्रकारिता के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है। उन्होंने राज्यपाल बागडे को किसान और आम जन का हितैषी बताते हुए कहां कि महाराष्ट्र में प्यार से उन्हें नाना कहा जाता है। वह जमीन से जुड़े शुचिता वाले राजनीतिज्ञ हैं।

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पत्रकारिता बहुत तेजी से बदल रही

वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही ने बीज वक्तव्य में कहा, “पत्रकारिता बहुत तेजी से बदल रही है। यह बात तब है जब प्रीत पत्रकारिता का समय है। उन्होंने नगाड़ा और तूती पत्रकारिता का बकवास करते हुए पत्रकारिता चुनौतियों के आलोक में मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया गठित किए जाने की प्रस्तावना की।

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वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार देते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े एवं लोकमत समूह के अधिकारी।

ज्यूरी सदस्य भी पुरस्कृत

कार्यक्रम के माध्यम को दिए जाने के उपरांत राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, पुस्तकों ने अपनी भारी भूमिका जीनी रही। पत्रकारिता का बेसिक मंत्र भी पढ़ना, पढ़ना और पढ़ना हैं। कार्यक्रम के दौरान लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार ज्यूरी के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा और आनंद चौधरी सहित पत्रकारों को विभिन्न वर्गों में पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।

 

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने नहीं गाया राष्ट्रगान: पत्रकारों में चर्चा का विषय

जवाहर लाल दर्डा पुरस्कार समारोह के अंत में राष्ट्रगान हुआ। जब मंचासीन सभी गणमान्य और सभागार में मौजूद सभी आमंत्रित सदस्य राष्ट्रगान गा रहे थे तब सैकड़ों लोगों के बीच शायद स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा अकेले ऐसे सज्जन पुरुष थे जो राष्ट्रगान नहीं गा रहे थे। कई पत्रकारों की इस पर निगाह पड़ी तो समारोह में मौजूद एक वरिष्ठ पत्रकार ने चुटकी लेते हुए कहा कि मंत्रीजी किसी और गणित में व्यस्त हैं, या शायद उन्हें राष्ट्रगान याद नहीं, इसलिए खामोशी से मंच पर शांति से खड़े हैं। 

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वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

जवाहर लाल दर्डा पुरस्कार वितरण समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया। राज्यपाल हरिभाऊ उपाध्याय ने छाबड़ा को शॉल ओढ़ाकर, स्मृति चिन्ह भेंट कर, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सम्मान के लिए उनका जब नाम पुकारा गया तो छाबड़ा सीट से उठकर मंच की ओर चलने लगे तभी मंचासीन पदाधिकारियों ने कहा उन्हें उनकी सीट पर जाकर ही हम सम्मानित करेंगे।

इस पर करीब करीब 100 वर्ष की उम्र के होने जा रहे प्रवीण चंद छाबड़ा बार बार मना करने के बाद भी खुद चलकर मंच पर पहुंचे और उन्होंने वहां लोग मौजूद पत्रकारों और राजनेताओं से दो लाइन में कहा कि अगर देश का भविष्य सुधारने में अपना योगदान चाहते हैं तो पढ़ो-पढ़ो और खूब पढ़ो, लिखो-लिखो और खूब लिखो। अगर पढ़ना लिखना नहीं करोगे तो विधानसभाओं में हंगामें ही होते रहेंगे। 

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