एकात्म मानव दर्शन ही सनातन विचार का सार, कमजोर हो रहा मानव: भागवत

एकात्म मानव दर्शन ही सनातन विचार का सार, कमजोर हो रहा मानव: भागवत

दीनदयाल स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में भागवत का संबोधन

धर्म, विविधता और मानव कल्याण पर रखा स्पष्ट दृष्टिकोण

पहले की तुलना में कमजोर होती जा रही मनुष्य की इम्यूनिटी

दुनिया की मात्र 4% आबादी वैश्विक संसाधनों का कर रही उपयोग

कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी सहित कई गणमान्य मौजूद

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर, dusrikhabar.com। जयपुर में आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सनातन विचार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने आधुनिक समय के अनुरूप एकात्म मानव दर्शन का स्वरूप दिया, जो आज भी विश्व के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि यह दर्शन नया नहीं, बल्कि सदियों पुरानी भारतीय जीवन पद्धति का आधार है, जिसका उद्देश्य समग्र विकास और सामूहिक कल्याण है।

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दीनदयाल स्मृति व्याख्यान के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन को यदि एक शब्द में समझना हो तो वह शब्द है ‘धर्म’। उन्होंने स्पष्ट किया कि यहाँ धर्म का अर्थ किसी रिलिजन, मत, पंथ या संप्रदाय से नहीं है, बल्कि वह व्यवस्था है जो सबकी समग्र धारणा करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान समय में दुनिया को इसी एकात्म मानव दर्शन के धर्म के माध्यम से चलना होगा, क्योंकि यही मानवता को एक सूत्र में पिरोता है।

जयपुर में अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया की मात्र 4% आबादी वैश्विक संसाधनों के 80% हिस्से का उपभोग करती है, जबकि शेष 96% लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। उन्होंने कहा कि विकास की बातें ज़रूर की जाती हैं, लेकिन इसका वास्तविक लाभ बहुत कम लोगों तक ही पहुँच पाता है। जिनके लिए सुविधाएँ तैयार की जा रही हैं, वे संसाधन उसी समाज से लिए जाते हैं जो अब भी विकास की मुख्यधारा से बाहर है।

भागवत ने मानव स्वास्थ्य पर चिंता जताते हुए कहा कि मानव की इम्युनिटी पहले की तुलना में कमजोर होती जा रही है। जो इंसान कभी मौसम के उतार–चढ़ाव को सहज रूप से सहन कर लेता था, वही आज ज़रा-सा बदलाव भी झेल नहीं पाता। उन्होंने कहा कि विकास और प्रगति के दावे भले ही बड़े स्तर पर किए जाते हों, लेकिन समाज का बड़ा हिस्सा आज भी आवश्यक सुविधाओं, अवसरों और सेवाओं से दूर खड़ा है।

दीनदयाल-स्मृति-व्याख्यान-माला-में-मोहनभागवत

दीनदयाल स्मृति व्याख्यान माला में मोहनभागवत

‘सनातन विचार नहीं बदला, यही एकात्म मानव दर्शन है’

भागवत ने कहा कि भारतीयों का स्वभाव सदैव से सहयोग और सद्भाव का रहा है। उन्होंने कहा“भारतीय जहाँ भी गए, किसी को लूटा नहीं, किसी पर अत्याचार नहीं किया, बल्कि सबको सुखी किया।” उन्होंने आगे कहा कि भले ही रहन-सहन, खानपान और वेशभूषा में बदलाव आया हो, लेकिन सनातन विचार नहीं बदला। यही सनातन विचार एकात्म मानव दर्शन का मूल है, जिसमें सुख बाहर नहीं, भीतर देखा जाता है। जब मनुष्य भीतर के सुख को देखता है, तभी उसे विश्व का एकात्म भाव दिखाई देता है।

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भारत का अर्थतंत्र परिवार व्यवस्था पर आधारित

डॉ. भागवत ने कहा कि विश्व में कई बार बड़ी आर्थिक उठापटक होती है, परंतु भारत पर इसका प्रभाव कम पड़ता है क्योंकि भारत का अर्थतंत्र परिवार व्यवस्था पर आधारित है। उन्होंने आधुनिक विज्ञान की तेज़ प्रगति पर विचार रखते हुए कहा कि भले ही विज्ञान ने सुविधाएँ बढ़ाई हों, लेकिन क्या मनुष्य अधिक शांत और संतुष्ट हुआ है? उन्होंने यह भी कहा कि कई बीमारियों का कारण स्वयं दवाइयाँ बन गई हैं, जो चिंताजनक विषय है।

संघ प्रमुख मोहन भाववत

मोहन भावगत फाइल फोटो

विविधता भारत की शक्ति, विवाद का कारण नहीं

डॉ. भागवत ने कहा कि भारत की विशेषता उसकी विविधता है, जो उत्सव का विषय रही है, कभी संघर्ष का कारण नहीं। भारत में अनेक देवी-देवताओं की उपस्थिति इसकी व्यापकता और सहिष्णुता को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि दुनिया शरीर, मन और बुद्धि के सुख को तो जानती है, पर इन्हें एक साथ प्राप्त कैसे किया जाए—यह भारत ही जानता है, क्योंकि भारत में शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा सभी के सुख का विचार है।

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कार्यक्रम की प्रस्तावना और मुख्य अतिथि

कार्यक्रम की प्रस्तावना एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा ने रखी। उन्होंने कहा कि संपूर्ण सृष्टि एकात्म है और सृष्टि का एक कण भी हिले तो पूरा ब्रह्मांड प्रभावित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह वंदे मातरम् की रचना का 150वाँ वर्ष है और वर्तमान समय में इसे संपूर्ण रूप से गाना अत्यंत आवश्यक है।

कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य

दीनदयाल स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत को सुनने के लिए राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बेरवा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, राज्यवर्धन राठौड़, घनश्याम तिवाड़ी, राजेंद्र राठौड़ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। 

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मोहन भागवत पहुंचे गोविंददेवजी मंदिर

मोहन भागवत पहुंचे गोविंददेवजी मंदिर

गोविंददेवजी मंदिर में पहुंचे सरसंघचालक, किए दर्शन

कार्यक्रम से पूर्व शनिवार सुबह आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने उत्पन्ना एकादशी के शुभ अवसर पर जयपुर स्थित आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में पूजा-अर्चना की। वे ठाकुर श्री राधा–गोविंद देवजी महाराज की राजभोग झांकी के दिव्य दर्शन के दौरान मौजूद रहे। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने उनकी अगवानी करते हुए पारंपरिक चौखट पूजन करवाया। इस अवसर पर ठाकुर श्रीजी की ओर से उन्हें सम्मानस्वरूप शॉल, दुपट्टा, प्रसाद, ठाकुर श्रीजी की मनोहारी छवि तथा श्री गोविंद धाम मंदिर का लघु स्वरूप भेंट किया गया।

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