दिल्ली में किसे मिलेगा जादुई आंकड़ा, किसके पक्ष में दिल्ली, भाजपा-आप के अपने-अपने दावे…

दिल्ली में किसे मिलेगा जादुई आंकड़ा, किसके पक्ष में दिल्ली, भाजपा-आप के अपने-अपने दावे…

एग्जिट पोल के दावे बता रहे चौंकाने वाले आंकड़े

दो दशक बाद भी दिल्ली में लगातार भाजपा और आम आदमी पार्टी में कड़ा मुकाबला

एग्जिट पोल में अधिकतर एजेंसी का दावा: भाजपा बना रही सरकार

कुछ एग्जिट पोल में: आम आदमी पार्टी की लौट रही सरकार

दिल्ली विधानसभा चुनावों में 2020 में 62.55 और 2015 में 67.47 फीसदी वोटिंग

भाजपा के राजतिलक के लिए अगला विधानसभा चुनाव बनेगा राजगद्दी की सीढ़ी…!

 

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर। दिल्ली में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां चुनाव परिणाम तक शांत हो गई हैं। आज दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ। शाम पांच बजे तक के आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली में करीब 57.70 फीसदी मतदान हुआ और अब दिल्ली को नहीं पूरे देश का 8 फरवरी को दिल्ली के चुनावी नतीजों का इंतजार है। लेकिन इससे पहले अब तक सामने आए 10 एग्जिट पोल में से 8 भाजपा की सरकार तो केवल 2 एग्जिट पोल दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनवा रहे हैं। (Who will get the magical figure in Delhi, in whose favor Delhi, BJP-AAP’s respective claims… )

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क्या कहते हैं एग्जिट पोल

क्र. एग्जिट पोल एजेंसी भाजपा की सीटें आप की सीटें कांग्रेस की सीटें
1 पी-मार्क 39-39 21-31 0-1
2. पीपुल्स पल्स 51-60 10-19 0
3. एनडीटीवी 41 28 01
4. पोल डायरी 42-50 18-25 0-2
5. चाणक्य स्ट्रेटजीस 39-44 25-28 2-3
6. पीपल्स इनसाइट 40-44 25-29 0-1
7. टाइम्स नाउ-जेपीसी 39-45 22-31 0-2
8. डीवी रिसर्च 36-44 26-34 0
9. एसएएस ग्रुप 38-41 37-30 1-3
10. पोल ऑफ एग्जिट 36-42 37-31 0-1

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कम मतदान से किसे होता है लाभ

लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव, अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब भी वोटिंग प्रतिशत कम होता है सरकार में वर्तमान में मौजूदा सरकार को ही फायदा मिलता है और वोटिंग प्रतिशत बढ़ते ही सरकार बदल जाती है। इस बार दिल्ली में पिछली बार से करीब 5फीसदी वोटिंग कम हुई है। इसका परिणाम आम आदमी पार्टी के पक्ष में झुकता नजर आ रहा है हालांकि पिछली बार भी दिल्ली में वोटिंग फीसदी 5फीसदी घटा था तब भी सरकार नहीं बदली और आम आदमी पार्टी ने तीसरी बार सरकार बनाई थी। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार भी दिल्ली की जनता ने वोटिंग कम करके ये इशारा कर दिया है कि वो किसे सत्ता में देखना चाहती है। हालांकि वोटिंग प्रतिशत कम रहने  बावजूद दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार पर भाजपा भारी पड़ सकती है ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।

दिल्ली में पिछली दो बार के विधानसभा चुनावों के आंकड़े

दिल्ली में 2015 और 2020 में चुनावों का प्रतिशत तो घटा और सरकार यथावत बनी रही। यानी न आंकड़े बदले न सरकार और दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने ही अपना मुख्यमंत्री बनाया। 2015 दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम वोटिंग प्रतिशत 67.47 फीसदी रहा जबकि 2020 में भी वोटिंग प्रतिशत घटा और 62.55 फीसदी पर आकर रूक गया। 2013 में जब पहली बार आम आदमी पार्टी ने अपनी सरकार बनाई तो 2008 के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत 8 फीसदी बढ़ गया था और उसके बाद 2015 में जब चुनाव हुए तब भी 2फीसदी वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी का दिल्ली के लोगों ने राजतिलक कर गद्दी पर बिठाया था।

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दिल्ली में कौन, कब रहा मुख्यमंत्री ?

आंकड़ों की गणित के बाद लोगों का रुझान

दिल्ली में विधानसभा चुनावों के बाद एक राजनीतिक विश्लेषक का ये अनुमान है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता दो हिस्सों में बंट कर वोट किए हैं। महिला और पुरुष वर्ग दोनों ही दिल्ली में अलग अलग पार्टियों की सरकार चाहते हैं। आंकड़ों और ग्राउंड रिपोर्ट को मानें तो महिला वोटर्स जहां आम आदमी पार्टी की सरकार के पक्ष में हैं वहीं पुरुष वोटर्स भारतीय जनता पार्टी की सरकार दिल्ली में चाहते हैं।

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महिलाओं में 2100 या 2500 रुपए दिए जाने का वादा और फ्री बस यात्रा के साथ-साथ मोहल्ला क्लीनिक उनके लिए बड़ी सुविधाओं में शुमार है जिसके चलते वो आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाना चाहती हैं इधर पुरुष वोटर्स में हालांकि केजरीवाल की छवि बदली है लेकिन आम बजट को देखते हुए दिल्ली में पुरुषों का झुकाव भाजपा की तरफ नजर आ रहा है।

दो दशक बाद अगर लौटी भाजपा तो…

कुछ राजनीतिक पंडितों को दिल्ली में दो दशकों बाद एक बार फिर भाजपा की बहुमत की सरकार बनने की प्रबल संभावना नजर आ रही है। अगर ऐसा होता 27 वर्ष बाद ऐसा होगा जब भाजपा दिल्ली विधानसभा में पक्ष लॉबी की कुर्सी पर नजर आएगी। आपको बता दें कि 1993 में भाजपा ने दिल्ली में बहुमत हासिल कर 49 सीटों पर जीत हासिल की थी हालांकि अंदरूनी राजनीति के चलते तब 5 साल में भाजपा ने दिल्ली में तीन मुख्यमंत्री बदल डाले थे। जिनमें मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री की सीट पर बैठे।

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बहरहाल, अब हर किसी को 8 फरवरी का बेसब्री से इंतजार है जब दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला आएगा। साथ ही लोगों को ये भी आशा रहेगी कि सीएम जो भी बने राजनीति कम और प्रदेश का हित चाहने वाला हो क्योंकि दिल्ली में पूरे हिन्दुस्तान के लोग रहते हैं। देश की राजधानी होने के कारण देश के लोगों का पूरी तरह से फोकस दिल्ली पर ही रहता है।

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