
क्या बे-नतीजा रही डीएनटी समाज की महा-बहिष्कार रैली? मंत्रियों-अफसरों को कहा भ्रष्ट, सरकार को अहंकारी…!
पाली और जोधपुर के बाद जयपुर में हुई डीएनटी समाजों की महा-बहिष्कार रैली
रैली में 10 सूत्रों मांगों को लेकर सरकार के प्रतिनिधि को सौंपा ज्ञापन
32 समाजों के 25 हजार से अधिक लोग पहुंचे महा-बहिष्कार रैली में
रैली में समाज के प्रतिनिधियों ने सरकार को कहा अहंकारी, मंत्रियों-IAS अफसरों को बताया भ्रष्ट
आंदोलन की रूपरेखा तय करने के बाद सरकार को चेतावनी के साथ खत्म हुई रैली
जयपुर,(dusrikhabar.com)। राजधानी में मानसरोवर स्थित वीटी ग्राउंड पर डीएनटी समाज की महा बहिष्कार रैली पूरी तरह से फ्लोप शो साबित हुई, हालांकि इस रैली में प्रदेशभर से आए 32 समाजों के करीब 25हजार लोागें ने भाग लिया लेकिन सरकार ने डीएनटी समाज की मांगों पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की लेकिन सरकार ने फिर भी समाज की बात का मान रखते हुए एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी को उनका ज्ञापन लेने के लिए मौके पर भेजा।
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मंगलवार को राजधानी में बॉयकॉट रैली करते हुए लालजी राईका और रतन नाथ कालबेलिया ने भजनलाल सरकार को अहंकारी बताया और कहा कि सरकार अगर उनकी मांगें नहीं मानेगी तो समाज के घर-घर गांव गांव में मुख्यमंत्री का रावण दहन करेंगे। साथ ही रतन नाथ ने सरकार को चेतावनी भी दे डाली कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो समाज के लोग नेताओं के साथ 2 अक्टूबर से हाईवे पर आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। वहीं रतन नाथ ने सरकार के तमाम IAS अफसरों और मंत्रियों को भ्रष्टचार में लिप्त बताते हुए कहा कि सभी अफसरों, कलेक्टरों और मंत्रियों के एनजीओ बने हुए हैं सरकार से जो भी पैसा हमारे विकास के लिए आता है उन एनजीओ में मर्ज हो जाता है। सारा पैसा ये मंत्री और अधिकारी डकार जाते हैं।
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गौरतलब है कि डीएनटी समाज के नेता और पशुपालक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी राईका और विमुक्त, घुमंतू अर्धघुमंतू जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया पाली और जोधपुर में भी अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं। लेकिन दोनों ही जगहों की रैली में सरकार ने डीएनटी नेताओं की किसी भी मांग को शायद सही नहीं माना जिसके चलते उनकी जयपुर सहित तीनों रैलियों का परिणाम निष्फल रहा।
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विशेषज्ञों की मानें तो डीएनटी समाज की प्रमुख मांगों में अधिकतर मांगें सरकार बिना कहे ही पूरी कर रही है। सरकार गरीब और असहाय लोगों के लिए रियायती दर पर राशन और आवास दे रही है। शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में पढ़ाई, किताबें, यूनिफॉर्म फ्री दे रही है, बच्चों को 10 वीं से आगे की पढ़ाई के लिए शहर में छात्रवृत्ति के साथ साथ हॉस्टलों में रहने की सुविधा दे रही है। गांवों में बेराजगार युवाओं के लिए मनरेगा जैसी योजनाएं और सस्ती दरों पर लघु उद्योंगों और कृषि के लिए ब्याज रहित ऋण उपलब्ध करवा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार हर परेशानी में गरीबों और असहाय लोगों के लिए जब बिना मांगे ही सब कर रही है तो फिर इस आंदोलन का औचित्य क्या है?
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डीएनटी समाज के नेताओं की बात करें तो समज के लिए लोगों द्वारा दबे कानों ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार के सामने शक्ति प्रदर्शन कर समाज के ही कुछ बड़े नेता अपनी राजनीति को चमकाकर आगामी चुनावों में टिकट के लिए अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करने में जुटे हैं। गौरतलब है कि जब सरकार अपने हर नागरिक के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ दे रही है तो डीएनटी समाज के नेता घुमन्तु समाज के भोले भाले लोगों को एकत्र कर क्यों अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
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रतन नाथ ने रविवार को प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता के दौरान कहा था कि हमारे समाज का एक भी व्यक्ति प्रशासनिक सेवा में उच्च पद पर नहीं है, एक भी हमारे समाज का आदमी नेता नहीं। क्योंकि हमारे समाज के पास आरक्षण नहीं है और सरकार का हमारे समाज के लोगों पर ध्यान नहीं है, इसलिए हमारा समाज आजादी के 7 दशक बाद भी भेड़ बकरियां चराने को मजबूर है।
सरकार में क्या क्या है व्यवस्था?
आपको बता दें कि राजस्थान सरकार घुमंतु जाति के लोगों के लिए शहरों में आवास योजनाओं, शिक्षा के लिए चल विद्यालयों की घोषणा कर चुकी है। वहीं पिछले वर्ष ही सरकार ने 21000 समाज के लोगों को जमीनों के पट्टे भी जारी किए हैं। इनके विकास के लिए विमुक्त,घुमन्तु जाति विकास बोर्ड भी बनाया गया है।
आंदोलन की 10 प्रमुख मांगें-
- डीएनटी समाज के लिए अलग से 10% आरक्षण दिया जाए।
- राजनीतिक दलों में डीएनटी समाज को सीधी भागीदारी दी जाए।
- रेनके और इदाते आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह लागू किया जाए।
- सभी डीएनटी समाजों के नाम एकरूपता से लिस्ट में शामिल किए जाएं।
- डीएनटी समाजों के लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था और स्कॉलरशिप योजना बनाई जाए।
- गोचर और वन भूमि में रहने वालों को पट्टे जारी किए जाएं।
- आरक्षण के भीतर उपवर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) किया जाए, जैसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है।
- डीएनटी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट किया जाए।
- शहरी आबादी के साथ-साथ घुमंतू क्षेत्रों में भी आवास योजनाएं लागू की जाएं।
- डीएनटी समाजों की समस्याओं के लिए अलग से आयोग गठित कर नीतियां बनाई जाएं।