
वैदिक पंचांग-षष्टम नवरात्र
*~ वैदिक पंचांग ~*
पंचांग (षष्टम नवरात्र) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से (षष्टम नवरात्र) के बारे में
दिनांक – 20 अक्टूबर 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी 23:24 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – मूल 20:41 तक त्तपश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग – अतिगण्ड 03:03 (21 अक्टूबर) तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल – 10:30 – 12:00 बजे तक
सूर्योदय – 06:25
सूर्यास्त – 17:47
रवियोग – 06:25 – 20:41 तक
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व – सरस्वती आवाहन (मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त – प्रातः 06:25 से 08:52)
बिल्व निमन्त्रण (बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त – 15:30 से 17:47)
छटा नवरात्र, कात्यायनी माँ का स्वरूप, शहद का भोग।
Read Also:“काला पानी” वेब सीरीज में मोना की एंट्री…
💥 विशेष:- षष्ठी को नीम का किसी भी प्रकार सेवन करने से नीच्योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
👉आज दूध की बनी मिठाई खा यात्रा करने से याटर्स सफल होती है।
👉नवरात्रि के दिनों में किसी भी एक दिन हल्दी व चावल के चूर्ण में थोड़ा-सा पानी डालकर बनाये घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘ॐ’ लिखें। इससे घर में धन का आगमन होता है।
👉गाय को गन्ना या गुड़ खिलाने से धनप्राप्ति में लाभ होता है।
Read Also:वैदिक पंचांग-पंचम नवरात्र
👉गरीबों, जरूरतमंदों को वस्त्र, अनाज, दक्षिणा आदि देना शुभ माना जाता है। इससे लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक विघ्न-बाधायों का निवारण होता हैं।
👉शंख बजाने से घर की ऋणात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा धनात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यह आर्थिक लाभ प्राप्त करने में भी मददरूप है।
👉नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप किंपूज करने का विधान है। महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न हो कर आदिशक्ति ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे कात्यायनी कहलातीं हैं।
👉माँ कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को सहज ही मिल जातीं हैं और उसके रोग शोक सन्ताप भय आदि सर्वथा नष्ट हो जातें हैं।
पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।