
विश्व पर्यावरण दिवस विशेष… “जब तक प्रकृति है, तब तक भविष्य है”
5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस विशेष
स्वच्छ पर्यावरण के लिए सोच और समझ बदलने से बदलेगी धरती की सूरत…
प्रकृति हमारी जीवन रेखा है, इसका संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं, प्राथमिकता होनी चाहिए
विजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार।
जयपुर,(dusrikhabar.com)। पर्यावरण हमारी प्रकृति की देन है हमारे अस्तित्व को बनाना या बिगाड़ना पर्यावरण के लिए एक मिनट का खेल है। ऐसा कहते हैं हम जैसा प्रकृति को देते हैं प्रकृति उसे कई गुना बढ़ाकर हमें वापस लौटा देती है। ऐसे में आज के सन्दर्भ में हम बात करें तो विश्वभर तरक्की और प्रगति की दौड़ में ये भूल चुका है कि वो प्रकृति को क्या दे रहा है क्या आपने कभी सोचा है हम जिस तरक्की की आपाधापी में हमारी प्रकृति को जो नुकसान पहुंचा रहे हैं इसका आने वाली पीढ़ियों पर क्या असर पड़ेगा, विशेषज्ञों की मानें तो हम अपने आसपास के पर्यावरण को प्रदूषित कर अपना भविष्य गर्त में धकेल रहे हैं।
आज के समय में जब प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन और तेज़ी से बढ़ता प्रदूषण धरती के संतुलन को खतरे में डाल रहा है, ऐसे में विश्व पर्यावरण दिवस हमें हरित जीवनशैली अपनाने, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने, और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का संकल्प लेने का अवसर देता है।
हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है, जो प्रकृति और हमारे पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने और जिम्मेदारी निभाने का एक वैश्विक अवसर होता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रकृति हमारी जीवन रेखा है और इसका संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1972 में स्थापित इस दिवस का उद्देश्य लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण, प्लास्टिक संकट, और जैव विविधता की हानि पर जागरूक करना है। हर वर्ष यह दिन एक थीम (विषय) के साथ मनाया जाता है, जो किसी विशेष पर्यावरणीय मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करता है।
गौरतलब है कि पर्यावरण् के चार अंग हैं: वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल एवं जीवमंडल। वायुमंडल (Atmosphere) हमारे लिए जीवन रक्षक कवच है जो पृथ्वी के चारों ओर गैसों के रूप में परत बनाकर हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है। दूसरा जलमंडल (Hydrosphere) यानि पृथ्वी पर सभी प्रकार के पानी, जैसे कि महासागर, झीलें, नदियाँ, और भूमिगत जल। तीसरा स्थलमंडल (Lithosphere) यानि पृथ्वी की ठोस सतह, जिसमें चट्टानें, मिट्टी, और भूमि शामिल हैं और चौथा जीवमंडल (Biosphere) जिसमें पृथ्वी पर सभी जीवित चीजें जैसे कि पेड़, पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव शामिल हैं, का आपस में घनिष्ठ संबंध है जिनके मिलने पर पर्यावरण का निर्माण होता है।
पिछले तीन वर्षों की बात करें तो पूरे विश्व का फोकस प्लास्टिक प्रदूषण पर है। वर्ष 2023 में “प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान” (Solutions to Plastic Pollution) थीम थी,जिसकी मेजबानी आइवरी कोस्ट ने की और उसका सहयोग नीदरसलैंड ने किया। 2024 में “भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता” को थीम बनाकर सालभर विश्व पर्यारवरण को लेकर प्रयास किए गए जिसकी मेजबानी सऊदी अरब ने की और 2025 में एक बार फिर धरती पर विकराल रूप लेकर अपने पांव पसारते “प्लास्टिक प्रदूषण” को समाप्त करने पर केंद्रित है। वर्ष 2025 में कोरिया गणराज्य इस वैश्विक विश्व पर्यावरण समारोह की मेजबानी करेगा।
इससे पहले वर्ष 2022 में केवल एक पृथ्वी थीम को आधार बनाकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया जिसमें प्रकृति के साथ सामंजस्य में सतत रूप से रहने पर जोर दिया गया। इसका उद्देश्य इस अवधारणा को मजबूत करना था कि पृथ्वी मानवता का एकमात्र घर है।
जिस प्रकार शिक्षा से हम अपना जीवन स्तर सुधारते हैं वैसे ही पर्यावरण शिक्षा भी जरूरी है, जो पर्यावरण का स्तर सुधारने में हमारी मददगार साबित होगी। वर्तमान परिदृश्य में यह सबसे जरूरी है कि कैसे आने वाली पीढ़ी को विभिन्न माध्यमों के द्वारा शिक्षित किया जाए। लोगों को पर्यावरण के बारे में बताना और पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है। स्कूलों में पर्यावरण पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है ताकि छात्रों को पर्यावरण के बारे में ज्ञान मिल सके। पर्यावरण संरक्षण के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों में वृक्षारोपण, सफाई अभियान और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
पर्यावरण सुधार के लिए भारत में प्रमुख प्रयासों में जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम (1974), वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम (1981), वन संरक्षण अधिनियम (1980) और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (1986) शामिल हैं। वहीं सरकारी नीतियों में राष्ट्रीय पर्यावरण नीति (2004), राष्ट्रीय जल नीति (2002), और राष्ट्रीय वन नीति (1988) में बनाई गई।
इधर भारत सरकार ने वायु और जल प्रदूषण को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) और राष्ट्रीय जल मिशन जैसे कई कदम उठाए हैं तो वनों के संरक्षण के लिए ग्रीन इंडिया मिशन और वृक्षारोपण अभियान चलाए गए, साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सौर ऊर्जा नीति और राष्ट्रीय पवन ऊर्जा नीति बनाई गई है।
भारत में पर्यावरण सुधार के लिए कई प्रयास किए गए हैं तथा सरकार, नागरिक, समाज और व्यक्तिगत स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां हैं, जैसे कि प्रदूषण, वन कटाई, और जलवायु परिवर्तन, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि जब तक हमारे साथ प्रकृति है हमारा भविष्य है इसके बिना न वर्तमान रहेगा न ही भविष्य। आइये हम सभी मिलकर धरती मां को संरक्षित रखने का संकल्प लें और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरित और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करें।