राजस्थान में मंत्रियों को मिलेंगी नई फॉर्च्यूनर? खर्च 13 करोड़ से ज़्यादा, गाड़ियां ठीक तो क्यों जरूरी बदलाव?, CM नहीं पक्ष में…

राजस्थान में मंत्रियों को मिलेंगी नई फॉर्च्यूनर? खर्च 13 करोड़ से ज़्यादा, गाड़ियां ठीक तो क्यों जरूरी बदलाव?, CM नहीं पक्ष में…

4 साल पुरानी इनोवा और एल्टुरस में मंत्री कर रहे काम

प्रस्तावित 40 नई गाड़ियां: 13.60 करोड़ का बजट

सवाल: क्या 1-2 लाख किमी चल चुकी कारें सड़क से बाहर हो जाती हैं? जब कारें ठीक तो क्यों जरूरी है नई कारें,

कार खरीद बजट जनता का पैसा, मुख्यमंत्री खुद भी नहीं चाहते पैसे की फिजूलखर्ची

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर, (dusrikhabar.com)। राजस्थान सरकार में मंत्री वर्तमान में 4 साल पुरानी सरकारी गाड़ियों का उपयोग कर रहे हैं। गहलोत सरकार के कार्यकाल में खरीदी गई इनोवा क्रिस्टा और महिंद्रा एल्टुरस G4 अब लगभग 1 लाख किमी से अधिक चल चुकी हैं। ऐसे में 40 नई फॉर्च्यूनर गाड़ियों की मांग का प्रस्ताव 13.60 करोड़ रुपए का भेजा गया है। लेकिन सवाल यह है कि जब गाड़ियां अब भी चल रही हैं और सरकार मंत्रियों को हर साल हजारों लीटर पेट्रोल मुफ्त दे रही है, तो क्या यह खर्च वाकई जरूरी है?

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वर्तमान स्थिति: मंत्री चलाते हैं 4 साल पुरानी इनोवा/एल्टुरस

राजस्थान सरकार के 24 मंत्रियों (मुख्यमंत्री समेत) में से अधिकतर कैबिनेट मंत्री अब भी पुरानी इनोवा क्रिस्टा और महिंद्रा एल्टुरस G4 गाड़ियों का उपयोग कर रहे हैं। ये वाहन करीब 1 लाख किमी तक चल चुके हैं, लेकिन 8 साल पुराने नहीं हुए हैं — जो वाहन बदलने की शर्तों में शामिल होता है।

13.60 करोड़ का प्रस्ताव: क्यों और किसके लिए?

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) और मोटर गैराज विभाग के बीच यह प्रस्ताव चर्चा में है कि 40 नई फॉर्च्यूनर वाहन खरीद कर राज्य सरकार के मंत्रियों और केंद्र सरकार में तैनात राजस्थान के प्रतिनिधियों को उपलब्ध कराए जाएं। इन गाड़ियों की कीमत 31-31 लाख रुपए मानी गई है, जो चार साल पहले की दर थी।

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चार साल में कितनी बढ़ी फॉर्च्यूनर कार की कीमत 

4 साल पहले ₹31 लाख की Toyota Fortuner अब ₹42 लाख (एक्स-शोरूम) तक पहुंच गई है। यानि एक कार पर औसतन ₹10 लाख तक का अतिरिक्त खर्च आएगा। इसका मतलब यह हुआ कि प्रत्येक कार पर अब ऑन रोड करीब 15 से 18 लाख रुपए अतिरिक्त कीमत सरकार को चुकानी होगी। 

जब गाड़ियां चल रही हैं, और भत्ता भी है, तो नई गाड़ियों की ज़रूरत क्यों?

राज्य के सभी मंत्रियों को सालाना फ्री पेट्रोल, यात्रा भत्ता और अन्य संसाधन उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए:

  • मुख्यमंत्री को 7,000 लीटर मुफ्त पेट्रोल

  • कैबिनेट, राज्य और उपमंत्री को 4,000 लीटर मुफ्त पेट्रोल

  • हर दिन की राजकीय यात्रा पर ₹2000-₹2500 का भत्ता

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इसके अलावा अधिकांश गाड़ियां तकनीकी रूप से अभी भी अच्छी स्थिति में हैं और 1 लाख किलोमीटर चलने के बाद भी कई वाहन सालों तक उपयोग में लाए जाते हैं। ऐसे में नई गाड़ियों की आवश्यकता पर सवाल उठना लाजमी है।

मुख्यमंत्री की प्राथमिकता फिजूलखर्ची नहीं, वे खुद भी नहीं चाहते जनता के पैसे की बर्बादी

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद फिजूलखर्ची से परहेज रखने वाले नेता माने जाते हैं। उनके काफिले में अभी फोर्ड एंडेवर, फॉर्च्यूनर और इनोवा क्रिस्टा शामिल हैं। अभी तक यह तय नहीं है कि वे खुद नई गाड़ी लेने के पक्ष में हैं या नहीं। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का ऐसे में मानना है कि नई गाड़ियों की खरीद कर जनता के पैसे को क्यों फिजूलखर्च किया जाए। 

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गहलोत सरकार में नई कारों की खरीद पर क्या कहा था उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने

सदन में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में कहा कि यह वही सरकार है जिसने विकास कार्यों की वार्षिक योजनाओं पर कैंची चलाई। लेकिन अब मंत्रियों की लग्जरी गाड़ी की खरीद के नाम पर फिजूलखर्ची की है, जिसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है।

मंत्रियों से रिटायर होने के बाद संभवत: पुरानी कारों का सरकार में उपयोग

अन्य सरकारी अधिकारियों या कर्मचारियों को आवंटित किया जाता है: ये कारें उन अधिकारियों या कर्मचारियों को दी जा सकती हैं जिन्हें आधिकारिक कार्यों के लिए वाहन की आवश्यकता होती है।
सरकारी कार्यक्रमों या समारोहों में उपयोग किया जाता है: इन कारों का उपयोग सरकारी कार्यक्रमों या समारोहों में किया जा सकता है, जैसे कि अतिथियों को लाना-ले जाना या अधिकारियों को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाना।
नीलामी या निपटान के लिए रखा जाता है: कुछ मामलों में, इन कारों को नीलामी के लिए रखा जा सकता है या सरकारी खजाने में जमा करने के लिए निपटान किया जा सकता है।

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