
दो दिवसीय आभानेरी फेस्टिवल का आगाज शनिवार को होगा समापन
हैरिटेज टूरिज्म को चार चांद लगाने वाले आभानेरी फेस्टिवल का आगाज
विदेशी सैलानियों का भाया आभानेरी ग्राम, लोक गीतों पर थिरके विदेशी मेहमान
पर्यटन विभाग, दौसा जिला प्रशासन व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है आभानेरी फेस्टिवल
जयपुर, (dusrikhabar.com)। राजस्थान पर्यटन विभाग और दौसा जिला प्रशासन व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त तत्वाधान में हैरिटेज टूरिज्म को चार चांद लगाने वाले दो दिवसीय आभानेरी फेस्टिवल का आगाज आभानेरी ग्राम में शुक्रवार को हुआ। दो दिनों तक यहां पर देशी व विदेशी सैलानियों ने राजस्थानी संस्कृति और अतिथि-सत्कार का आनंद लेंगे। राजस्थानी रंग में रंगे सैलानियों ने यहां वीर रस से भरपूर कच्छी घोड़ी नृत्य पर ताल से ताल मिलाई तो बहरूपिया कला, कठपुतली कलाकारों व सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने देशी- विदेशी सैलानियों का मन मोह लिया।
परंपरागत अंदाज में हुआ सैलानियों का स्वागत
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आभानेरी ग्राम में देशी-विदेशी सैलानियों का स्वागत परम्परागत तरीके से माला पहना कर व तिलक लगा कर किया गया। उन्होंने कहा कि पहले दिन करीब 400 से 500 विदेशी सैलानियों की आमद हुई जबकि विद्यार्थियों शैक्षणिक टूअर व घरेलू पर्यटक भी यहां खासी संख्या में पहुंचे। उपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस फेस्टिवल के दौरान पर्यटन विभाग द्वारा यहां लखेरों, कुम्हार व लोहारों को हुनर दिखाने के लिए बुलाया गया। विदेशी पर्यटकों ने लाख की चूड़ियों को बनते देखा, कुम्हार के चलते चाक व लोहारों के उत्पादों को देख विदेशी पर्यटक काफी प्रसन्न नजर आए, उन्होंने स्थानीय हुनरमंदों से खरीददारी भी की।
हैरिटेज टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए फेस्टिवल का आयोजन
उन्होंने बताया की इस फेस्टिवल के लिए जरिए हैरिटेज टूरिज्म को प्रमोट किया जाता है। उन्होंने कहा कि देशी- विदेशी सैलानियों के यहां पर कैमलकार्ट की व्यवस्था है जिसके जरिए वे ग्राम-भ्रमण पर निकलते हैं, कैमल कार्ट को विदेशियों से सहित देशी सैलानी भी काफी पसंद कर रहे हैं। यहां पर ग्राम में नुक्कड नाटकों का भी प्रदर्शन किया गया।
विश्वविख्यात चांद वावड़ी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र
शेखावत ने बताया कि आभानेरीग्राम में दसवीं शताब्दी का हर्षद माता मंदिर व उसके पास ही विश्वविख्यात चांद वावड़ी सैलानियों के लिए खासी आकर्षण का केंद्र है। सवेरे शाम तक सैलानी ग्राम दर्शन, चांद बावड़ी व माता के मंदिर के दर्शन करते हैं वहीं शाम को सात से नौ बजे सांस्कृतिक संध्या का आयोजन उन्हें मंत्रमुग्ध कर देता है।