
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष… जय कन्हैया लाल की…
जन्माष्टमी कैसे मनाएं
नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की
कृष्ण जन्माष्टमी की सभी भक्तों को बधाई व शुभकामनाएं।
जयपुर। Shri Krishna Janmashtami: भगवान विष्णु पूर्ण 16 कलाओं से युक्त श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए – भद्रपद का महीना, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, रात 12 बजे – सारे ताले टूट गए, सब द्वार स्वयं ही खुल गए मानो सबके कष्ट एक साथ ही दूर भाग गए हों। सारे संसार मे खुशी की लहर दौड़ गयी और पूरे ब्रह्मांड ने बधाई बजने लगी। कृष्ण भक्तों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है। शास्त्रों में लिखा है कि अगर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो माता लक्ष्मी स्वयं ही प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। ये उपाय करने से मनोकामना की पूर्ति व धन प्राप्ति के योग भी बन सकते हैं।
जन्माष्टमी के अचूक 12 उपाय
इनमें से एक भी उपाय अगर आप कर लेते हैं तो आपको बहुत लाभ हो सकता है, ऐसा शात्रत्रों में लिखा है।
1. अगर आपकी आमदनी नहीं बढ़ रही है या नौकरी में प्रमोशन नहीं हो रहा है तो जन्माष्टमी पर 7 कन्याओं को घर बुलाकर खीर या सफेद मिठाई खिलाएं। इसके बाद लगातार पांच शुक्रवार तक सात कन्याओं को खीर या सफेद मिठाई बांटें। लाभ होगा। कर के तो देखें।
2. जन्माष्टमी से शुरु कर 27 दिन लगातार नारियल व बादाम किसी कृष्ण मंदिर में चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है।
3. यदि पैसे की समस्या चल रही हो तो जन्माष्टमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद राधाकृष्ण मंदिर जाकर दर्शन करें व पीले फूलों की माला अर्पित करें। इससे आपकी परेशानी कम हो सकती है।
4. सुख-समृद्धि पाने के लिए जन्माष्टमी पर पीले चंदन या केसर से गुलाब जल मिलाकर माथे पर टीका अथवा बिंदी लगाएं। ऐसा रोज करें। इस उपाय से मन को शांति मिलेगी और जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनेंगे।
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5. लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए जन्माष्टमी पर कहीं केले के पौधे लगा दें। बाद में उसकी नियमित देखभाल करते रहें। जब पौधा फल देने लगे तो इसका दान करें, स्वयं न खाएं।
6. जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को पान का पत्ता भेंट करें और उसके बाद इस पत्ते पर रोली (कुमकुम) से श्री यंत्र लिखकर तिजोरी में रख लें। इस उपाय से धन वृद्धि के योग बन सकते हैं।
7. जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। इससे भगवान श्रीकृष्ण जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
8. जन्माष्टमी पर दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इस उपाय से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। ये उपाय करने वाले की हर इच्छा पूरी हो सकती है। यह सत्य है, सत्य है, सत्य है।
9. कृष्ण मंदिर जाकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र की 11 माला जप करें। इस उपाय से आपकी हर समस्या का समाधान हो सकता है।
मंत्र- क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि: परमात्मने। प्रणत:क्लेशनाशाय गोविंदय नमो नम:।।
10. भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबर धारी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है पीले रंग के कपड़े पहनने वाला। जन्माष्टमी पर पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करने से भगवान श्रीकृष्ण व माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं।
11. जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनाते हैं।
12. जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और ॐ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।
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कृष्ण नाम के उच्चारण का फल 🙏🏻 ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां त्रिरावृत्त्या चयत्फलम् ।।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य तत्फलं लभते नरः । कृष्णनाम्नः परं नाम न भूतं न भविष्यति।।
सर्वेभ्यश्च परं नाम कृष्णेति वैदिका विदुः । कृष्ण कृष्णोति हे गोपि यस्तं स्मरति नित्यशः।।
जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धरेच्च सः । कृष्णेति मङ्गलं नाम यस्य वाचि प्रवर्तते।।
भस्मीभवन्ति सद्यस्तु महापातककोटयः । अश्वमेधसहस्रेभ्यः फलं कृष्णजपस्य च।।
वरं तेभ्यः पुनर्जन्म नातो भक्तपुनर्भवः । सर्वेषामपि यज्ञानां लक्षाणि च व्रतानि च।।
तीर्थस्नानानि सर्वाणि तपांस्यनशनानि च । वेदपाठसहस्राणि प्रादक्षिण्यं भुवः शतम्।।
कृष्णनामजपस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् । (ब्रह्मवैवर्तपुराणम्, अध्यायः-१११)
कृष्ण नाम में छिपा है वर्तमान
विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है।
‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम है जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है, परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते।
ब्रह्माण्डपुराण, मध्यम भाग, अध्याय 36 में कहा गया है :
महस्रनाम्नां पुण्यानां त्रिरावृत्त्या तु यत्फलम् ।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥
विष्णु के हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप की तीन आवृत्तयों के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवल एक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
हजार एकादशी का फल देनेवाला व्रत
जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है। उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात, जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्व है। भविष्य पुराण में लिखा है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है। जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता।
एकादशी का व्रत हजारों – लाखों पाप नष्ट करनेवाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी का है। एकादशी के दिन जो संयम होता है उससे ज्यादा संयम जन्माष्टमी को होना चाहिए। बाजारु वस्तु तो वैसे भी साधक के लिए विष है लेकिन जन्माष्टमी के दिन तो चटोरापन, चाय, नाश्ता या इधर – उधर का कचरा अपने मुख में न डालें।
इस दिन तो उपवास का आत्मिक अमृत पान करें। अन्न, जल, तो रोज खाते – पीते रहते हैं, अब परमात्मा का रस ही पियें । अपने अहं को खाकर समाप्त कर दें।
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कफ शामक – पंजीरी प्रसाद
जन्माष्टमी के दिन पंजीरी का प्रसाद बनाया जाता है जो, कफ को शमन करता है। वात के प्रकोप, पित्त के संचय को कम करता है। यह पाचन के लिए, आंखों के लिए लाभदायक है। पंजीरी दिमागी तरावट, मस्तिष्क संबंधी समस्याओं फायदेमंद है।
धनियां पाउडर- 100 ग्राम
देशी घी – 3 से 4 टेबल स्पून
मखाने – 10-15 ग्राम
पिसी मिश्री – 100 ग्राम
काजू ,बादाम – 8 से 10 (बारीक कटे हुये)
चिरोंजी – एक चम्मच
विधि
कढ़ाई में 2 टेबल स्पून घी डालें और बारीक पिसे धनियां पाउडर को अच्छी खुशबू आने तक भून लिजिये। बचे हुए घी में मखाने डाल कर भुने लीजिये, मखाने भुनने के बाद मखाने को किसी भारी चीज से या हाथ से तोड़ कर बारीक या दरदरा कर लीजिये। काजू और बादाम को भी छोटे-छोटे टुकड़ो में काट लीजिये । अब भुने हुए धनियां पाउडर में मखाने, काजू , बादाम एवं पिसा हुआ मिश्री मिला कर पंजरी बना लीजिए।