
सरिस्का, भारत का पहला वन्यजीव पार्क जहां कैराकल संरक्षण की योजना…!
राजस्थान के सरिस्का में वन्यजीव कैराकल के संरक्षण-प्रजनन की योजना
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और राजस्थान वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में चलेगी योजना
जयपुर, dusrikhabar, राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) में कैराकल वन्यजीव को संरक्षित करने और भारत में कैराकल (caracal wild cat) के संरक्षण और प्रजनन की योजना बनाई जा रही है। (Caracal caracal schmitzi) आपको बता दें कि यह 3वर्षीय परियोजना बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और राजस्थान वन वि भाग के संयुक्त तत्वावधान में संरक्षण और प्रजनन योजना को सफल बनाने के प्रयास जारी हैं।
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राजस्थान होगा ऐसा पहला राज्य
कैराकल एक रेगिस्तानी वन्यजीव है। वन विभाग के सूत्रों की मानें तो इस परियोजना के पहले वर्ष में राजस्थान के चिड़ियाघरों से कैराकल की पहचान और स्वास्थ्य जांच की तैयारी होगी। वहीं दूसरे वर्ष में दो कैराकल को पकड़कर रेडियो कॉलर लगाना और उनका अध्ययन वहीं तीसरे वर्ष में जंगली कैराकल को प्रजनन सुविधा में लाना शामिल है, इस परियोजना का उद्देश्य सरिस्का के घास के मैदानों का उचित प्रबंधन और कैराकल की आबादी को पुनः स्थापित करना है। अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो सरिस्का टाइगर रिजर्व के कारण भारत का ऐसा पहला राज्य राजस्थान होगा।

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क्या है कैराकल प्रजाति का वन्यजीव
कैराकल जंगली बिल्लियों की एक प्रजाति है, जो राजस्थान में रणथंभौर में पाई जाती थी, लेकिन संरक्षण के अभाव में ये जंगली बिल्ली की प्रजाति अब विलुप्त हो गई है। यह जंगल में रहने वाले तेंदुआ एवं छोटी जंगली बिल्ली के बीच का वन्यजीव है। यह दिखने में बहुत ही खूबसूरत व फुर्तीला होता है। खासकर झाड़ियों के बीच छिपकर अचानक पक्षियों को झपट कर खाने में माहिर होता है।
इसकी खास विशेषताओं में लंबे, गुच्छेदार कान होते हैं। ये अपने कानों का उपयोग शिकार का पता लगाने और अन्य कैराकल के साथ बातचीत या संवाद के लिए करती है। जंगली बिल्लियों की ये प्रजाति यानि कैराकल अपने कानों का उपयोग शरीर के तापमान को नियंत्रण करने के लिए भी करती है।
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मनुष्यों के लिए नहीं है खतरा
आपको बता दें कि कैराकल अपने शिकार कौशल के बावजूद मनुष्यों के लिए खतरा नहीं माना जाता। ये वन्यजीव लोगों पर हमला नहीं करते और आम तौर पर लोगों की आबादी से दूरी बनाकर रखत हैं।
