
संघ किसी को नष्ट करने के लिए नहीं, बिना अनुभव राय न बनाएं: मोहन भागवत
सरसंघचालक मोहन भागवत पांच दिन के जयपुर दौरे पर
बुधवार को जयपुर पहुंचे, गुरुवार को संघ के पदाधिकारियों की ली बैठक
गुरुवार को ही कॉन्टिट्यूशनल क्लब में मोहन भागत ने एक बैठक में दिया संबोधन
RSS प्रमुख ने कहा—संघ का उद्देश्य पूरे समाज को संगठित करना है
“भारत को विश्वगुरु बनाना सबका काम, किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं”
‘उद्यमी संवाद’ में सामाजिक समरसता, पर्यावरण और स्वदेशी पर दिए बड़े संदेश
विजय श्रीवास्तव,
जयपुर,dusrikhabar.com। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने जयपुर में आयोजित ‘उद्यमी संवाद’ कार्यक्रम में कहा कि संघ किसी को नष्ट करने के लिए नहीं बना, बल्कि इसका लक्ष्य पूरे समाज को एकजुट करना और राष्ट्रहित में खड़ा करना है। उन्होंने कहा कि संघ को समझना है तो प्रत्यक्ष अनुभव करें, शाखा जाएं, और जो काम अनुकूल लगे, उसे करें।

भागवत बोले—संघ किसी को नष्ट करने के लिए नहीं बना, हिन्दू शब्द सबको जोड़ने वाला है
जयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि “संघ किसी को नष्ट करने के लिए नहीं बना है। भारतवर्ष में हमारी पहचान हिन्दू है। यह शब्द सबको जोड़ने वाला, एक करने वाला है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारा राष्ट्र संस्कृति के आधार पर एक है, राज्य के आधार पर नहीं।
भागवत ने कहा—“संघ को प्रत्यक्ष अनुभव किए बिना संघ के बारे में राय मत बनाइए। संघ से जुड़ना हो तो शाखा में आइए, जो आपको उपयुक्त लगे, वही कार्य करें। संघ पूरे समाज को संगठित करना चाहता है। पूरा समाज संघ बन जाए—अर्थात निस्वार्थ बुद्धि से देश के लिए जीने वाला समाज।” वे गुरुवार को संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित ‘उद्यमी संवाद: नए क्षितिज की ओर’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

भारत को विश्वगुरु बनाना सामूहिक प्रयास, किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं
भागवत ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम कोई सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि आगे की दिशा, भविष्य की रणनीति और कार्य-वृद्धि का अवसर हैं। उन्होंने कहा: “भारत को परम वैभव सम्पन्न और विश्वगुरु बनाना किसी एक नेता, पार्टी, सरकार या संगठन के वश की बात नहीं। ये सब सहायक हो सकते हैं, लेकिन मुख्य भूमिका पूरे समाज की है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्र निर्माण सामूहिक प्रयास से ही संभव है, किसी एक विचारधारा, संगठन या व्यक्ति के भरोसे नहीं।
समाज को एकजुट करना, समरसता लाना और ‘स्व’ का बोध जगाना—संघ का आगामी चरण
भागवत ने संघ के आगामी कार्यदिशा के बारे में कहा “समाज की सृजन शक्ति जागृत हो, सामाजिक समरसता का वातावरण बने। मंदिर, पानी, श्मशान सभी के लिए खुले होने चाहिए।” उन्होंने परिवार और समाज पर विशेष जोर देते हुए कहा “परिवार के सभी सदस्य सप्ताह में कम से कम एक बार साथ बैठें, अपने भोजन, भजन, भाषा और परंपरा का पालन करें।”
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर भी बल दिया:
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पानी बचाना
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पेड़ लगाना
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प्लास्टिक हटाना
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स्वदेशी अपनाना
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नागरिक अनुशासन और संविधान का पालन करना
भागवत बोले “सारा समाज देशहित में जिए। सभी एक बनें, लेकिन अपनी-अपनी पद्धति से काम करें। हम बाधक नहीं, बल्कि पूरक बनें।”
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