
स्वाद की दुनिया में रावत मिष्ठान भंडार बना एक ब्रांड… 175 वर्ष का हुआ RMB
प्याज-मावे की कचौरी के इन्वेंटर रावतमल देवड़ा ने बनाई RMB की पहचान
175 वर्षों से लोगों को परोस रहे स्वाद, गुणवत्ता और विश्वास के साथ मिठाइयां
विश्वास और स्वाद परोसने की पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया- भूदेव देवड़ा
जयपुर,(dusrikhabr.com)। स्वाद की दुनिया में अपनी पहचान रखने वाले रावत मिष्ठान भंडार की नींव 1849 में जोधपुर में रावतमल देवड़ा ने रखी थी। ऐसा कहा जाता है कि लोगों की जुबां पर प्याज की कचौरी और मावे की कचौरी का स्वाद रावतमल देवड़ा ने ही चढ़ाया, यानि अगर ये कहा जाए कि प्याज की कचौरी और मावे की कचौरी का इन्वेंशन रावतमल देवड़ा ने किया तो शायद गलत नहीं होगा।
जोधपुर से प्याज की कचौरी का स्वाद लोगों की जुबां पर ऐसा चढ़ा कि अब राजस्थान के हर शहर में प्याज की कचौरी लोगों के नाश्ते की पहली पसंद बन गई है। साथ ही मीठे में मावे की कचौरी आज भी रावत मिष्ठान भंडार पर अपने पारंपरिक तरीके से लोगों को परोसी जाती है।
भूदेव देवड़ा: गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि की एक विरासत
पड़दादा की स्वाद की विरासत को आगे बढ़ा रहे रावत मिष्ठान भंडार के चेयरमैन भूदेव देवड़ा और उनका परिवार एक धार्मिक परिवार है। जयपुर में जन्मे भूदेव देवड़ा ने अपने परिवार की समृद्ध विरासत को समर्पण और उत्कृष्टता के साथ आगे बढ़ाया है।
पिछले 14 साल से अपने पिता चंद्रप्रकाश देवड़ा और मां अरुणा देवड़ा के जयपुर में शुरु किए गए प्रतिष्ठान रावत मिष्ठान भंडार को भूदेव देवड़ा और उनकी धर्मपत्नी डॉ आज्ञा देवड़ा ने न सिर्फ बखूबी संभाला बल्कि इसे राजस्थान में स्वाद की दुनिया में बेताज बनाया है। भूदेव देवड़ा के पड़दादा, जोधपुर के एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने रावत मिष्ठान भंडार की स्थापना की, जो उच्च गुणवत्ता वाली मिठाइयों और नमकीन व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है। भूदेव के पिता, चंद्र प्रकाश देवड़ा ने अपने पिता मांगीलाल देवड़ा से मिली इस विरासत को और आगे बढ़ाया, जिसे भूदेव ने पूरे मन से अपनाया।
क्या है यहां की मिठाइयों-नमकीन की खासियत
रावत मिष्ठान भंडार 1947 से अपनी गुणवत्ता के जरिए स्वाद के दिवाने लोगों के दिलों पर राज कर रहा है। करीब 50पैसे से प्याज की कचौरी की शुरुआत कर आज यहां की प्याज की कचौरी इतनी मशहूर है कि देश-विदेश से स्वाद के शौकीन लोग यहां प्याज और मावे की कचौरी का स्वाद चखने जरूर आते हैं।
अपनी गुणवत्ता और स्वाद के कारण प्याज की कचौरी इतनी मशहूर हो गई है लोगों के सुबह के नाश्ते की फरमाइश इसके बिना पूरी नहीं होती। दूध के लड्डू, फीणी, घेवर, रबड़ी के लड्डू, दाल बादाम की बर्फी, मावे की कचौरी, प्याज की कचौरी और मावे-बैसन से बने 200 तरह के पकवाने बनाए और लोगों को परोसे जाते हैं।
350 से 3500 रुपए प्रति KG मिठाई, राजस्थानी भोजन है विशेषता
RMB के चेयरमैन भूदेव देवड़ा ने बताया कि हम अपने दादा-पड़दादा की विरासत को उन्हीं के विश्वास और गुणवत्ता पूर्वक शुद्ध घी में बनीं मिठाइयां और नमकीन लोगों को अपने भरोसे के साथ परोसते हैं। आपको बता दें कि रावत मिष्ठान भंडार पर करीब 200 तरह के मिष्ठान और करीब 35तरह की नमकीन बनाई जाती है। यहां पर मिठाइयों की कीमत 350 रुपए किलो से शुरु होकर 3500 रुपए प्रतिकिलो तक है। यहां आगरे का पेठा 350 रुपए प्रतिकिलो से शुरु होता है और यहां पर सबसे महंगी मिठाई पिस्ता और बादाम लॉन्ज है।
RMB के अन्य प्रतिष्ठानों में होटल और रिसोर्ट भी शामिल हैं। यहां होटल में ठहरने वाले ही नहीं बल्कि अन्य 5 सितारा होटल में ठहरने वाले लोग भी रावत मिष्ठान भंडार में पारंपरिक राजस्थान भोजन का आनंद लेने आते हैं। रावत मिष्ठान भंडार के रेस्टोरेंट में दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी, खीर, कड़ी, कैर सांगरी, बाजरा, मक्का, मिस्सी और बेजड़ की रोटी खास व्यंजनों में शामिल हैं।
कौन हैं भूदेव देवड़ा, जीवन परिचय
डी.ए.वी स्कूल में शिक्षित भूदेव ने ड्राइविंग और कारों में प्रारंभिक रुचि विकसित की। हालाँकि, उनके करियर का प्रमुख मील का पत्थर फूड एंड बेवरेज ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एफ.टी.टी.आई) के साथ उनके जुड़ाव से आया, जिसने उनके पेशेवर सफर को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया। भूदेव देवड़ा को हाल ही में फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया का नेशनल चेयरमैन बनाया गया है। आज्ञा देवड़ा से विवाहित भूदेव, पाद्मिनी देवड़ा और यज्ञदेव देवड़ा के गर्वित पिता हैं। उनका परिवार व्यवसाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता साझा करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्कृष्टता की यह विरासत जारी रहे।
मिठाइयों के प्रोडक्शन की क्वालिटी की भूदेव खुद करते हैं मॉनिटरिंग
रावत मिष्ठान भंडार बरसों से काम कर रहे अब मैनेजर के पद पर मौजूद शंकरजी ने बताया कि हमारे चेयरमैन भूदेव देवड़ा खुद दिन की शुरुआत में कचौरी के मसाले और अन्य मिठाइयों की प्रोसेस देखते हैं, कचौरी बनने के बाद भगवान के भोग लगता है फिर चेयरमैन सहित प्रबंधन के लोग कचौरी को टेस्ट करते हैं, उसके बाद ही प्याज की कचौरी पूरी गुणवत्ता- श्रद्धा और विश्वास के साथ ग्राहकों को परोसी जाती है।
MBBS डॉक्टर आज्ञा देवड़ा हैं सक्रिय मैनेजिंग डायरेक्टर
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चेयरमैन भूदेव की पत्नी डॉ. आज्ञा देवड़ा MBBS हैं और फिलहाल भूदेव के साथ बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर अपने परिवार की मिठाई परोसने की विरासत को संभाल रही हैं। आज्ञा देवड़ा के बारे में एक खास बात ये है कि वो खुद काफी क्रिएटिव हैं, वो खुद अपने ग्राहकों के लिए आकर्षक और खूबसूरत पैकिंग का काम भी देखती हैं। ऐसा कहते हैं किसी भी चीज का मजा जब और ज्यादा हो जाता है जब उसकी पैकिंग खूबसूरत होती है। यही काम बखूबी निभा रही हैं डॉ आज्ञा देवड़ा।
पांच आउटलेट, नवम्बर छठे आउटलेट की जगतपुरा में शुरुआत
रावत मिष्ठान भंडार का न सिर्फ स्वाद की दुनिया में बल्कि होटल और रिसोर्ट की दुनिया में भी एक ब्रांड बन चुका है। जयपुर में फिलहाल रावत मिष्ठान भंडार के पांच आउटलेट पोलोविक्ट्री, श्यामनगर -सोढाला, जयपुर एयरपोर्ट, नारायण सिंह सर्किल-टोंक रोड़ और गौरव टावर-मालवीय नगर में स्थित है। यहां से शहर के कोने कोने में लोग रावत की कचौरी और अन्य मिठाइयों का लुत्फ उठा रहे हैं। RMB के प्रतिष्ठानों में जल्द ही जगतपुरा स्थित महल रोड पर अक्ष्य पात्र चौराहे पर एक और आउलटेट खुलने जा रहा है। जानकारी के अनुसार नवम्बर माह में ही यह नया आउटलेट शुरु हो जाएगा।
धार्मिक अनुष्ठान से होती है हर दिन की शुरुआत
भूदेव देवड़ा ने बताया कि उनका पूरा परिवार समय का पाबंद है और उनकी दैनिक दिनचर्या समय और संस्कारों के साथ बंधी है। हर काम को समय पर करने के संकल्प के साथ सुबह दिन की शुरुआत होती है। चूंकि भूदेव का परिवार आर्य समाज में आस्था रखता है इसलिए पूरा परिवार अल सुबह उठकर हवन करता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं। उसके बाद वो प्रसाद ग्रहण कर अपने दिन की शुरुआत करते हैं।
देशभर में RMB के आउटलेट्स हैं भूदेव देवड़ा का विजन
अपने बाद के वर्षों में भूदेव ने पूरे देश में आउटलेट्स का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया। जिससे रावत मिष्ठान भंडार का स्वाद और अधिक व्यापक दर्शकों तक पहुंचा सकें। उनके जीवन का कार्य गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह सुनिश्चित करते हुए कि रावत मिष्ठान भंडार का नाम भारत की पाक विरासत का एक प्रिय हिस्सा बना रहे। भूदेव और उनका परिवार इस परंपरा को आगे बढ़ाने में लगा है।