राजस्थान के पहाड़ों पर अब बन सकेंगे मकान-रिसोर्ट-फार्म हाउस, नए बायलॉज

राजस्थान के पहाड़ों पर अब बन सकेंगे मकान-रिसोर्ट-फार्म हाउस, नए बायलॉज

अरावली के पहाड़ों पर मकान, रिसोर्ट और फार्म हाउस बनाने का रास्ता साफ 

राजस्थान सरकार ने जारी किए नए हिल बायलॉज

कहां कहां किया जा सकेगा निर्माण, कौनसा होगा नो कंस्ट्रक्शन जोन? 

 

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर, dusrikhabar.com। राजस्थान में पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। नए हिल बायलॉज 2024 के तहत अब राज्य के कई पहाड़ी इलाकों में मकान, रिसोर्ट और फार्म हाउस बनाए जा सकेंगे। सरकार ने पहाड़ों को ढलान के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटकर निर्माण की अनुमति दी है, हालांकि विशेषज्ञ इन नियमों को लेकर पर्यावरणीय चिंताओं की ओर इशारा कर रहे हैं।

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सब हेडिंग 1: पहाड़ों की तीन कैटेगरी — कहां मिलेगा निर्माण का अधिकार?

सरकार ने शहरी क्षेत्रों में स्थित पहाड़ों को तीन श्रेणियों में बांटा है:

  • A श्रेणी: 0 से 8 डिग्री ढलान

  • B श्रेणी: 8 से 15 डिग्री ढलान

  • C श्रेणी: 15 डिग्री से अधिक ढलान — नो कंस्ट्रक्शन जोन

पहले जहां करीब 60% पहाड़ों पर निर्माण की अनुमति थी, वहीं नए नियमों में यह दायरा घटाकर 30–40% तक सीमित कर दिया गया है।

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सब हेडिंग 2: फार्म हाउस, रिसोर्ट और वेलनेस सेंटर के नियम

फार्म हाउस (8°–15° ढलान)

  • न्यूनतम भूमि: 5000 वर्गमीटर

  • निर्माण क्षेत्र: अधिकतम 10% (500 वर्गमीटर)

  • ऊंचाई: 9 मीटर (ग्राउंड + 1 मंजिल)

B श्रेणी फार्म हाउस

  • न्यूनतम भूमि: 2 हैक्टेयर

  • निर्माण की अनुमति: अधिकतम 20%

धार्मिक / योग / वेलनेस सेंटर

  • न्यूनतम भूमि: 1 हैक्टेयर

  • निर्माण क्षेत्र: अधिकतम 15%

15 डिग्री से अधिक ढलान — नो कंस्ट्रक्शन जोन

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सब हेडिंग 3: नियमों पर उठे सवाल — पहाड़ों का संरक्षण या दोहन?

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने बायलॉज में संशोधन तो किया, लेकिन अब भी ढलान मापने का कोई स्पष्ट तकनीकी मानक तय नहीं किया गया। न तो GIS आधारित सर्वे का उल्लेख है और न ही माइक्रो-लेवल कटिंग को रोकने की कोई ठोस व्यवस्था। पर्यावरणविदों का मानना है कि “नगरीय क्षेत्र में स्थित पहाड़ों के संरक्षण मॉडल विनियम 2024” संरक्षण से अधिक पहाड़ों के बेतरतीब दोहन का रास्ता खोल सकते हैं।

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जयपुर से बांसवाड़ा तक पहाड़ों पर संकट

जयपुर (गोनेर, बस्सी, कालवाड़, झालाना), बांसवाड़ा, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जैसे क्षेत्रों में अरावली से अलग कई पहाड़ी श्रृंखलाएं हैं, जहां अवैध माइनिंग से पहाड़ लगभग खत्म हो चुके हैं। अब इन खाली पहाड़ी जमीनों पर आवासीय कॉलोनी, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और रिसोर्ट बनाने का रास्ता खुल सकता है।

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