
75 वर्ष का हुआ राजस्थान…! 30 मार्च को “राजस्थान दिवस”
30मार्च को “राजस्थान दिवस समारोह” का आयोजन
जयपुर के जवाहर कला केंद्र में लोक कलाकार करेंगे अपने अपने हुनर प्रदर्शन
राजस्थान की परंपरा और इतिहास को करीब से जानने का मिलेगा मौका
विजय श्रीवास्तव,
Rajasthan। वीरों-योद्धाओं की धरती और अपनी संस्कृति-परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध राजस्थान (Rajasthan divas) इस वर्ष 30 मार्च 2024 को 75 वर्ष पूरा कर 76वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। हर साल की तरह इस साल भी राजस्थान सरकार (Rajasthan government) और पर्यटन विभाग (Tourism department)की ओर से “राजस्थान दिवस” (Rajasthan divas) को यादगार बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस वर्ष 30March को यानी आज से तीसरे दिन राजस्थान दिवस के मौके राजस्थान की कला और संस्कृति को साकार करने के लिए कई आयोजन किए जाएंगे।
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राजस्थान दिवस पर JKK में आयोजन
जेएलएन मार्ग स्थित कला और संस्कृति के पर्याय जवाहर कला केंद्र (JKK) में 30 मार्च को पर्यटन विभाग की ओर से राजस्थान दिवस का आयोजन किया जाएगा। जानकारों की मानें तो इस बार जवाहर कला केंद्र में राजस्थान की कला और संस्कृति को साकार करने के लिए कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma), उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya kumari) और उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा (premvhand Bairwa) सहित कई मंत्री और जानी मानी हस्तियां शामिल होंगी।
राजस्थान दिवस पर होंगे रंगारंग कार्यक्रम
जवाहर कला केंद्र में आयोजित राजस्थान दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम में प्रदेश के कई लोक नाट्य और नृत्य कलाकार अपनी अपनी प्रस्तुतियां देंगे। इस मौके पर घूमर (Ghoomer), चंग (Chang), मांगणियार (Manganiyar), गैर (Gair) और कालबेलिया (Kalbeliya) नृत्य (Dance) सहित कई अन्य नृत्यों के पारंपरिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
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क्या है राजस्थान का इतिहास
राजपूताना (Rajputana) से राजस्थान बने राज्य का प्राचीन काल से ही अस्तित्व है। आजादी से पूर्व मेवाड़, मारवाड़, जयपुर, बूंदी, कोटा, भरतपुर और अलवर राजपूताना की बड़ी रियासतें हुआ करती थीं। राजपूताना में चौहान, परमार, राठौड़, गहलोत वंशों का राज रहा है। राजपूताना रियासतों पर मुगल और बाहरी आक्रमणों ने यहां के इतिहास को शौर्य गाथाओं से परिपूर्ण कर दिया। अपने स्वाभिमान की जंग में पृथ्वी राज चौहान (Prithviraj Chohan) और महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) जैसे वीर राजाओं से लेकर राणा सांगा, राणा कुंभा (Rana Kumbha) जैसे शूरवीरों ने इस धरती के इतिहास को सहेजे रखा। इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि तराइन, रणथंभौर, चित्तौड़, खानवा से लेकर हल्दी घाटी जैसे कई ऐतिहासिक युद्ध भी राजस्थान की धरती पर लड़े गए।
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राजपूताना से कैसे पड़ा राजस्थान नाम?
दरअसल राजस्थान का शाब्दिक अर्थ है राजाओं का स्थान। आजादी से पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता था। चूंकि यहां राजाओं का राज रहा है और आज भी राजाओं की परंपराओं को निभाने का कहीं न कहीं दस्तूर जिंदा है। ऐसे में कई रियासतों के विलय के बाद इस राज्य को “राजस्थान” नाम मिला। इसी क्रम में हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान के वीरों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति और बलिदान को नमन करने के लिए इस दिन को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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भारत के आजाद होने के बाद राजपूताना की 19 रियासतों जिसमें प्रमुख रूप से जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय करके ‘राजस्थान संघ’ बनाया गया और 30 मार्च 1949 से राजपूताना को “राजस्थान” के नाम से पहचान मिली।
राजथान का भौगोलिक परिदृय
भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है जिसका कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में राजथान का विस्तार हुआ और राजस्थान में संभागों की संख्या 7 से बढ़ाकर 10 हो गई। इसी प्रकार राजस्थान में 33 जिलों से संख्या बढ़कर अब 50 हो गई है।
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राजस्थान में राजाओं की रियासत के 13 प्रमुख किले आज भी संरक्षित हैं। इनमें सबसे पहले जयपुर का जयगढ़ और आमेर का किला है। इसके बाद जोधपुर-मेहरानगढ़, राजसमंद-कुंभलगढ़, सवाई माधोपुर का रणथम्भौर किला, भरतपुर का लोहागढ़ और बीकानेर का जूनागढ़ किला विश्व पटल पर अपनी विशेष पहचान रखते हैं। इसके साथ ही जयपुर का सिटी पैलेस, अलवर का नीमराणा, जैसलमेर का गागरोन किला, सिरोही का अचलगढ़ और खींमसर किले भी काफी प्रसिद्ध हैं।
राजस्थान में इन अभेद्य किलों के साथ-साथ कला और संस्कृति के धरोहर कई आलीशान किले आज भी राजस्थान की परंपरा और शाही अंदाज की गाथा सुनाते हैं।
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पर्यटकों के लिहाज से भी राजस्थान की दुनिया में पहचान
राजस्थान जैसे अपनी वीरता भरी गाथाओं, परंपराओं, संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है ठीक उसी तरह राजस्थान दुनियाभर में अपनी पर्यटन संस्कृति के लिए भी फेमस है। यहां आने वाले लोगों को पर्यटन की दृष्टि से जिस तरह का स्वागत और सत्कार किया जाता है पर्यटक यहां आकर अभिभूत हो जाते हैं। राजस्थान में पर्यटन के लिहाज से दर्जनों पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी आते हैं।
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राजस्थान में पर्यटन के लिए जयपुर, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, बीकानेर, जोधपुर, पाली, कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ, उदयपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जैसे पर्यटक स्थल है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर्यटन विभाग और RTDC की ओर स यहां आने वाले पर्यटकों के लिए स्वागत सत्कार के साथ साथ ठहरने के लिए होटल्स की भी शानदार व्यवस्था की जाती है।