
विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स को सरकारी ट्रेजरी से पेंशन देने की मांग पर जयपुर में विरोध प्रदर्शन, कड़ी धूप में भी डटे रहे पेंशनर्स…
ब्यूरोक्रेट्स का हमसे बैर, सरकार की नीयत में खोट, विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स को सरकारी ट्रेजरी से पेंशन की मांग पर जयपुर में विरोध प्रदर्शन
विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने जयपुर में शहीद स्मारक पर किया विरोध प्रदर्शन
फेडरेशन ऑफ़ द पेंशनर्स ऑफ़ द स्टेट यूनिवर्सिटीज आफ राजस्थान एवं राजस्थान विश्वविद्यालय पेंशनर्स एसोसिएशन के बेनर तले किया गया प्रदर्शन
सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने ब्यूरोक्रेट्स पर लगाए गंभीर आरोप
अध्यक्ष एचएस शर्मा ने कहा विश्वविद्यालयों की जगह राज्य सरकार के ट्रेजरी से दी जाए हमें पेंशन
तेज धूप के बावजूद जयपुर में एकत्र हुए पेंशनर समाज के सैकड़ों पेंशनर्स
विजय श्रीवास्तव,
जयपुर। dusrikhabar.com, राजस्थान के विभिन्न पेंशनर समाज ने मंगलवार को गवर्नमेंट हॉस्टल स्थित शहीद स्मारक पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। राजस्थान भर से आए पेंशनर्स ने फेडरेशन ऑफ़ द पेंशनर्स ऑफ़ द स्टेट यूनिवर्सिटीज आफ राजस्थान एवं राजस्थान विश्वविद्यालय पेंशनर्स एसोसिएशन के बेनर तले राजस्थान सरकार से पेंशन राज्य की ट्रेजरी से दिए जाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।
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राजस्थान के विभिन्न पेंशनर समाज, खासकर विश्वविद्यालयों से सेवानिवृत्त शिक्षक और कर्मचारियों का यह राज्य-स्तरीय विरोध प्रदर्शन राज्य विश्वविद्यालयों में पेंशनरों के संभावित संकट की कहानी कह रहा है। वहीं राजकीय सहायता से चलने वाले विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार से पेंशन का दायित्व सरकार के हाथों में लेने के लिए यह प्रदर्शन किया गया।
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विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स का भुगतान सरकार ट्रेजरी से हो: प्रोफेसर एचएस गुप्ता
आपको बता दें कि इस धरने में RUCTA, RUTA, शैक्षणिक कर्मचारी संघ राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय सेवानिवृत कर्मचारी संगठन एवं अखिल विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संगठन का भी समर्थन मिला। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो एचएस शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के धरने का उद्देश्य केवल इतना सा है कि राज्य सरकार कॉलेज पेंशनर्स की तरह विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स को भी पेंशन का भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से करे। उन्होंने कहा कि वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में लगातार वित्तीय संसाधनों की कमी होती जा रही है जिससे पेंशन के भुगतान में परेशानी हो रही है। उदाहरण के लिए जोधपुर विश्वविद्यालय में 6 से 7 महीने की पेंशन का भुगतान सरकार ने लोन के माध्यम से किया है जो उचित कदम नहीं था।
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सरकार की नीयत में खोट: आरबीएल गुप्ता
प्रो आरबीएल गुप्ता ने अपने संबोधन में सरकार और मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है, उन्होंने कहा कि हमें अपने हक का पैसा यानि पेंशन भी दो तिहाई मिल रही है, सरकार इस बात को समझना नहीं चाहती, आखिर पेंशनर्स अपना भरण पोषण कैसे करें। उन्होंने कहा कि हम चार-चार सरकारों से अपने साथियों के साथ मिल चुके हैं लेकिन फिर भी सरकारें इस पर कुछ नहीं कर पाईं।
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2019 से ग्रेच्यूटी एवं अन्य सुविधाएं बंद
जोधपुर से आए पेंशनर बीएल व्यास ने अपने संबोधन में कहा कि आज हमारे विश्वविद्यालयों के कर्मचारी जब रिटायर होते हैं तो ठगा सा महसूस करते हैं। उन्होंने बताया कि 2019 से पेंशनर्स की ग्रेच्यूटी के साथ साथ कई अन्य सुविधाएं बंद पड़ी हैं। उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये ब्यूरोक्रेट्स हम पेंशनर्स के विरुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि इस समय हमें एकजुटता रखनी होगी तभी हमारी मांगें पूरी हो पाएंगी।
पेंशनर्स समाज के विरोध प्रदर्शन के मुख्य बिंदु:-
1. राज्य के सभी वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन राज्य सरकार के आदेश 1990 में प्रारंभ की गई थी। अभी तक सभी विश्वविद्यालय स्वयं की आय से पेंशन का भुगतान करते आ रहे हैं। किंतु अब सभी विश्वविद्यालयों में वितीय संसाधन के स्रोत निरंतर कम होते जा रहे हैं जिससे भुगतान में कमी आ गई है।
2. सभी विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला छात्राओ की फीस पूर्णतया माफ होती है। ओबीसी तथा अन्य योग्यजन की फीस भी आंशिक रूप से माफ होती है। राज्य सरकार द्वारा इस राशि का पुनर्भरण नहीं होता है। जिससे वित्तीय संसाधन निरंतर कम होते जा रहे हैं।
3. नई विश्वविद्यालयों के सृजन से भी प्राइवेट छात्रों की फीस में निरंतर कमी होती रही है इससे भी वितीय संकट बढ़ गया है।
4. अन्य राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ में पेंशन का भुगतान राज्य सरकार ही करती है।
5. राज्य सरकार वित्तपोषित विश्वविद्यालय को अन्य निगम एवं बोर्ड एवं स्वायत संस्थाओं के समक्ष रखते हैं जो उचित नहीं है। क्योंकि विश्वविद्यालय की स्थापना के दिन से ही सभी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान राज्य सरकार ही करती आ रही है अन्य मामलों में ऐसा नहीं है।
6. उच्चतम न्यायालय भी अपने निर्णय में यह स्पष्ट कर चुका है कि विश्वविद्यालय पेंशनर्स को भी सरकार द्वारा ही पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए।
7. वर्तमान में सभी पेंशनर्स आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में कार्यरत/सेवारत कर्मचारी एवं पेंशनर्स को जब वेतन का भुगतान कर रही है तो पेंशन का भुगतान भी ट्रेजरी के माध्यम से किया जाना चाहिए।
8. स्पष्ट करना चाहेंगे कि राजस्थान राज्य के सभी वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में कुल 8000 पेंशनर्स हैं जिन पर प्रतिवर्ष मात्र 550 करोड़ रुपए का पेंशन खर्च आता है । राज्य सरकार के पेंशनर्स पर 25000 करोड़ रुपए का खर्च आता है। जो राज्य कर्मचारियों के पेंशन भुगतान का केवल 2% से भी कम है।
9. राज्य सरकार से, अनुरोध है कि वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से ही करने की व्यवस्था करें।