
नवरात्रि 2025: जानें मां दुर्गा की पूजा का महत्व, नौ रूपों की आराधना और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा क्यों और कैसे होती है
कल नवरात्रि पर शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आस्था का महत्व
विजय श्रीवास्तव,
जयपुर,dusrikhabar.com। नवरात्रि 2025 का शुभ पर्व मां दुर्गा की आराधना और शक्ति की उपासना का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर भक्त नौ दिनों तक मां के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानें नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, मां दुर्गा की पूजा का महत्व और उनकी नौ रूपों की आराधना विधि।
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा क्यों और कैसे होती है
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी पृथ्वी पर विराजती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। भक्तजन व्रत रखते हैं, घट स्थापना करते हैं और पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए मंत्रोच्चार करते हैं। पूजा में कलश, नारियल, गेहूं, जौ और दुर्गा सप्तशती का पाठ आवश्यक माना गया है।
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कल नवरात्रि के दिन शुभ मुहूर्त क्या रहेगा?
नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 22 सितंबर, 2025 को हो रहा है।
घटस्थापना मुहूर्त:
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:09 से प्रातः 08:06 तक, प्रातः 11:49 से दोपहर 12:38 तक
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इस समय पर घट स्थापना और पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ माना जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार, सही मुहूर्त पर की गई पूजा से मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
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मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा कैसे होती है?
नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है:
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शैलपुत्री – शक्ति और धैर्य की प्रतीक।
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ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की देवी।
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चंद्रघंटा – शांति और सौम्यता की दात्री।
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कूष्मांडा – सृष्टि की अधिष्ठात्री।
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स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा की देवी।
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कात्यायनी – साहस और विजय की प्रतीक।
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कालरात्रि – निडरता और सुरक्षा की देवी।
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महागौरी – शुद्धता और सौंदर्य का स्वरूप।
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सिद्धिदात्री – सिद्धियों और आशीर्वाद की देवी।
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प्रत्येक दिन विशेष मंत्र, फूल और भोग अर्पित करने की परंपरा है।
मां दुर्गा की पूजा का महत्व और हिंदुओं में आस्था
हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति का सर्वोच्च स्वरूप माना गया है। उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में साहस, सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह भक्ति, आत्मसंयम और आध्यात्मिक शक्ति का उत्सव भी है।
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