
जापान पिछड़ा, भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था,जानिए कहां.
भारत के लिए उपलब्धि, अवसर और जिम्मेदारी भरा समय
अब तीसरे नंबर की ओर बढ़ता भारत, जानिए दुनिया में कहां खड़े हैं हम?
4.18 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ भारत ने रचा आर्थिक इतिहास
मोदी सरकार की नीतियों और अर्थशास्त्रियों की रणनीति से मिली मजबूती
तेज़ विकास दर के दम पर जर्मनी को पीछे छोड़ने की तैयारी
विजय श्रीवास्तव,
जयपुर,dusrikhabar.com। नए वर्ष की दहलीज पर खड़े भारत के लिए यह खबर निस्संदेह आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है कि देश सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आधार पर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। नए साल से पहले भारत के लिए यह एक बड़ी और ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
सरकारी आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है। मौजूदा समय में भारत की GDP करीब 4.18 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई है। भले ही इसकी अंतिम पुष्टि IMF के आधिकारिक आंकड़ों से 2026 में होगी, लेकिन भारत की तेज़ आर्थिक रफ्तार ने वैश्विक मंच
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मोदी सरकार की नीतियों से बदली आर्थिक तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते एक दशक में लागू की गई नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, जीएसटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार और आर्थिक औपचारिकरण जैसे सुधारों ने निवेश का भरोसा बढ़ाया। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों की संतुलित मौद्रिक नीति, महंगाई नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन ने आर्थिक स्थिरता बनाए रखी। सरकार और विशेषज्ञों के समन्वय से ही भारत तेज़ विकास के साथ संतुलन कायम कर पाया।
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अमेरिका-चीन-जर्मनी से तुलना में कहां खड़ा है भारत
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर अमेरिका, दूसरे पर चीन और तीसरे पर जर्मनी है। अमेरिका तकनीक, वित्त और वैश्विक व्यापार का केंद्र है, चीन उत्पादन और निर्यात के दम पर मजबूत बना हुआ है, जबकि जर्मनी यूरोप की औद्योगिक रीढ़ माना जाता है।
इन देशों की तुलना में भारत का आर्थिक आकार अभी छोटा है, लेकिन विकास दर के मामले में भारत सबसे आगे है। जहां विकसित देशों की वृद्धि दर 2–3% के आसपास है, वहीं भारत ने हालिया तिमाही में 8.2% की मजबूत GDP ग्रोथ दर्ज की है। इसी रफ्तार के चलते अगले 2–3 वर्षों में भारत के जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना जताई जा रही है।
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घरेलू मांग बनी भारत की सबसे बड़ी ताकत
बीते दस वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग दोगुना हो चुका है। इसकी सबसे बड़ी वजह मजबूत घरेलू मांग, बढ़ता मध्यम वर्ग, निवेश में तेजी और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था है। वैश्विक मंदी, युद्ध और व्यापारिक तनावों के बावजूद भारत की विकास गाड़ी रुकी नहीं। संतुलित मौद्रिक नीति और महंगाई पर नियंत्रण ने भारत को वह स्थिति दी, जिसे अर्थशास्त्री ‘गोल्डीलॉक्स स्थिति’ कहते हैं।
आंकड़ों से आगे की चुनौती
हालांकि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना गर्व की बात है, लेकिन यह अंतिम लक्ष्य नहीं है। अमेरिका, चीन और जर्मनी की असली ताकत उनके जीवन स्तर, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी क्षमता में भी दिखाई देती है। भारत के सामने अभी रोजगार सृजन, आय असमानता, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। आर्थिक विकास का लाभ जब तक आम नागरिक तक नहीं पहुंचेगा, तब तक बड़े आंकड़े अधूरे माने जाएंगे।
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