
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज, जावेद अख्तर-कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक लोकार्पित…
लेखक, कवि, साहित्यकार और सिंगर जावेद अख्तर ने फ्रंट लॉन तो, कैलाश सत्यार्थी ने बैठक में बांधा समां
जावेद अख्तर की पुस्तक सीपियां और कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक दियासलाई का लोकार्पण हुआ
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण का शुभारंभ
जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में 3 फरवरी तक जारी रहेगा लिटरेचर फेस्टिवल
जयपुर,(dusrikhabar.com)।जयपुर में गुरुवार से पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज हुआ। पांच दिवसीय इस आयोजन में दुनियाभर के साहित्कार विभिन्न सत्रों लोगों से रुबरु होंगे। गुरुवार पहले दिन फ्रंट लॉन में जावेद अख्तर और बैठक में कैलाश सत्यार्थी मुख्य वक्ता और गेस्ट लेखक एवं साहित्यकार के रूप में लोगों से रूबरू हुए।
जावेद अख्तर को सुनने की ऐसी दिवानगी रही कि तेज धूप में भी खड़े होकर लोगों ने उनकी एक एक बात को न सिर्फ सुना बल्कि उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी। इस दौरान लेखिका और समाजसेवी सुधा मूर्ति और अतुल तिवारी की मौजूदगी में फ्रंट लॉन में जावेद अख्तर की पुस्तक “सीपियां” का लोकार्पण किया गया।
गीतकार जावेद अख्तर ने राम रहीम दास के एक काफी पुराने दोहे की बात करते हुए कहा कि साढ़े पांच सौ साल पहले का दोहा है, लेकिन ये हम सबकी लाइफ का रहनुमा है। “रहिमन मुश्किल आ पड़ी, टेढ़े दोऊ काम… सीधे से जग न मिले, उलटे मिले न राम” जावेद के इस दोहे पर मंच पर जावेद अख्तर के साथ मौजूद अतुल तिवारी ने कहा राम की बात मुस्लिम कवि के मुंह से निकलना बड़ी बात हैं। इस पर जावेद अख्तर ने तुरंत जवाब देते हुए कहा कि जो शायरी नहीं करता है वो सिर्फ हिंदू मुसलमान होता है, क्योंकि शायर का तो कोई धर्म ही नहीं होता।
जावेद साहब ने लोगों को सलाह दी कि अंग्रेजी तो ठीक लेकिन मातृभाषा से जुड़ाव जरूरी है, हिंदी से वास्ता बेहद जरूरी है। इधर दूसरी तरफ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बैठक लॉन में समाजसेवी और लेखक कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक “दियासलाई” का विमोचन हुआ। इसके बाद कैलाश सत्यार्थी के जीवन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म भी प्रदर्शित की गई। जिसमें उनके लोगों की सेवार्थ संघर्ष की कहानी को बखूबी प्रस्तुत किया गया।
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