इंस्पायरिंग, हरफनमौला और स्पॉन्टेनियस डॉ.अरविंदर सिंह

इंस्पायरिंग, हरफनमौला और स्पॉन्टेनियस डॉ.अरविंदर सिंह

दुनिया को उस चश्मे से देखो जिसमें खुशियों के रंग हैं

दुनिया को पैरों पर खड़े होना सिखाना अच्छा अनुभव-

बड़ा आदमी बनना है तो 16 घंटे काम करने की आदत डालो-

ईश्वर एक कमी के साथ पांच गुण भी देता है, जरूरत है उसे पहचानने की-

भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे इतने अवसर प्रदान किये- डॉ. अरविंदर सिंह

उदयपुर, (dusrikhabar.Com) इंस्पायरिंग, हरफन मौला और मजाकिया अंदाज लिए उदयपुर अर्थ डेग्नोस्टिक सेंटर के CEO डॉ अरविंदर सिंह आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं, दुनिया में उन्होंने अपने काम और योग्यता से पहचान बनाई है, डॉ. अरविंदर सिंह के नजरिए से देखें तो जिंदगी कितनी खूबसूरत है। एक छोटा सा 80% डिसेबल बच्चा आज अर्थ ग्रुप का CEO बन गया है, कौन हैं डॉ अरविंदर सिंह, क्या है उनकी पूरी कहानी…

दो बूंद ने बदल दी जिंदगी

नवीं क्लास तक मैं चल नहीं पाता था पोलियो था इसलिए मैं डॉक्टर्स से घिरा रहता था मुझे दो बूंद जिंदगी यानी पोलियो ड्रॉप्स नहीं मिल पायी । पैरों के ऑपरेशन के लिए हर समय डॉक्टर्स से घिरा रहता था तो उनसे प्रभावित भी था और मन के एक बात भी थी कि मेरी पीड़ा से अच्छे से नहीं समझ पा रहे हें। जो इंपैथी आनी चाहिए वो मुझे लगा जब मैं डॉक्टर बनूंगा तो ज्यादा अच्छे से अचीव कर पाऊंगा (क्योंकि ऐसा कहते हैं कि जाके पैर न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई)। जिसे दर्द होता है वही दूसरों को महसूस कर सकता है। 
और भाग्य का खेल देखिए जिस अस्पताल KGMC में मैंने इलाज लिया, जहां बैड पर रहता था वहीं से मैंने MBBS किया। तब बड़ा अच्छा लगता था क्योंकि मैंने हमेशा डॉक्टर्स को बड़ा पावरफुल देखा और जिसे आप पावरफुल देखते हो वहीं बनने भी लगते हो। यहीं से मेरे मन में वाइब्रेशन आईं कि मुझे भी डॉक्टर्स बनना है।
चूंकि हम एक साधारण फैमिली से थे पिता और मां दोनों सरकारी कर्मचारी स्कूल में प्रिंसिपल  थे, हमारे परिवार में कोई डॉक्टर नहीं था तो मन में डॉक्टर साहब कहलवाने की भी इच्छा पैदा हुई, फिर जीवन उसी दिशा में अपने आप बढ़ता चला गया और आज जो कुछ हूं वो आपके लिए समर्पित है।

 माता पिता के संस्कारों से बनाया मुझे असाधारण 

यूपी के लखनऊ में एक सिक्ख फैमिली में पैदा हुए अरविन्दर सिंह पोलियो ड्रॉप नहीं मिलने के कारण पोलियोग्रस्त हो गए। उन्होंने बताया कि हमारी फैमिली साधारण लेकिन संस्कारी है, माता पिता के आदर्शों पर चलकर आज मैं यहां लोगों की सेवा में लगा हूं, जीवन में और क्या चाहिए लेकिन अभी मुझे और बहुत कुछ करना है इसलिए मैं लगातार अपने कर्म पथ पर चल रहा हूं।

IAS की तैयारी कर प्री क्लिअर किया, लेकिन…

1993-94में मेरे मन में IAS बनने की इच्छा हुई मैंने प्रीलिम्स निकल गया लेकिन मेन्स कुछ नम्बरों से रुक गया, तब मैंने Rao’s दिल्ली में जाकर कोचिंग लेने पहुंचा तब उन्होंने मुझे कहा पढ़ाई तो हो जाएगी तुम कर भी लोगे लेकिन उससे पहले एक बार UPSC जाकर आओ और मालूम करो कि आपको लेंगे भी या नहीं, फिर शुरु करना।
मैं वहां पहुंचा और ये मेरे लिए बड़ा अच्छा रहा कि उन्होंने मुझे एक-एक बात खुलकर बताई कि आपको प्रोपर IAS में नहीं लेंगे उन्होंने मेरी 80% डिसेबिलिटी देखकर बोले कि कस्टम और रेवेन्यू भी फील्ड जॉब है लेकिन आपको ऑडिट और अकाउंट्स मिल सकता है लेकिन तब मुझे समझ आया कि शायद ये जॉब मेरे लिए नहीं हैं और ये अच्छा भी हुआ क्योंकि अगर मैं वो कर लेता तो लोगों के लिए जितना कर पा रहा हूं नहीं कर पाता।

पारिवारिक दुकान से आया बिजनेस का आईडिया

इससे पहले बीच में एक छोटी जर्नी ये रही कि मैं हमारी PCO, फोटो स्टेट और आईसक्रीम पार्लर की दुकान पर बैठने लगा और शायद दिमाग में बिजनेस करने का ख्याल वहीं से आया।

दुनिया को उस चश्मे से देखो जिसमें खुशियों के रंग हैं

लोगों की मानसिकता होती है वो आदमी की पहले कमी यानी निगेटिव चीजें देखते हैं और खूबियों को बहुत बाद में समझ पाते है। मेरे साथ भी ऐसा हुआ, कोई भी शुरू में मुझे प्राइवेट जॉब नहीं देता था क्यूंकि उनको लगता था कि मैं डिसेबिलिटी की वजह से कर नहीं पाऊँगा। और अब ईश्वर की कृपा देखिये कि आज मेरी कंपनी में लगभग 200 लोग काम करते है। मैंने हमेशा लाइफ में चुनौतियां स्वीकार की है। मैं बाइक लेकर दुनिया के सबसे दुर्गम रास्ते पर चलकर लद्दाख के दुर्गम खारदुंगला को पार कर विश्व रिकॉर्ड बनाया और स्कूबा डाइविंग भी करी ।
बस काम करने का जज्बा हो तो कोई भी सफर मुश्किल नहीं
मैं अपनी डिसेबिलिटी से परेशान नहीं हूं बल्कि I AM Always thankful to good. क्योंकि मेरे जैसे कितने ही लोग हैं जो अभी तक वहां नहीं पहुंच सके जहां मैं आज हूं। भगवान जो भी करता है उसके पीछे कोई बड़ा प्लान जरूर होता है। ईश्वर न्यायप्रिय है यदि वह आपसे कुछ लेता है तो बदले में आपको और बहुत कुछ देता है , यही उसका करिश्मा है। बस जरूरत इस बात की है कि हम उसे पहचानें। हम अपनी लाइफ बेहतर बनाएं या बिगाड़ें ये हमें ही तय करना होता है।

पिता का प्रेशर था इसलिए एमडी छोड़ कर करी 5 दिन की सरकारी नौकरी

मैं जब एमडी कर रहा था तो मेरा सेलेक्शन स्टेट सर्विसेज में हो गया। पिताजी का बहुत प्रेशर था कि मैं जॉब ज्वॉइन कर लूं पर मेरा मन नहीं था तो पिता जी ने नाराज़ होकर एक महीने मुझसे बात भी नहीं।की ऐसे में मैंने बीच ही में एमडी ड्रॉप करने का मन बनाया और बाराबंकी में एक जॉब ज्वॉइन कर ली। वहां एक पीडियाट्रिशन डॉक्टर थे उन्होंने मुझे आगे की सही राह दिखाई। मैंने उन्हें कहा कि मैंने ज्वॉइन कर लिया है लेकिन एक दो साल में छोड़ दूंगा। तब उन्होंने कहा मैंने भी यही सोचा था पर 8 साल हो गए हैं और मैं यहीं का यहीं हूं, तो जो छोड़नी है वो आज ही छोड़ दो, नहीं तो नौकरी तुम्हे नहीं छोड़ेगी। क्योंकि हर महीने जो अकाउंट में पैसे आते हैं बस वहीं हमारा मन बंधकर रह जाता है। तब मैंने फैसला कर उसी दिन नौकरी छोड़ दी और वापस आकर अपनी एमडी कंपलीट की।

लखनऊ से उदयपुर कैसे पहुंचे डॉ अरविंदर सिंह

एमडी पूरी हुई तो अब कुछ करना था तो बहन जिसकी शादी उदयपुर में हुई थी उन्होंने मुझे काफी अनुरोध किया और मैंने उदयपुर को चुना, क्योंकि ये शहर बहुत अच्छा, खूबसूरत और शांत शहर है फिर यहां पर कोई अच्छे डायग्नोस्टिक सेंटर भी नहीं थे, बस फिर क्या यहां आकर एक लैब शुरु की और प्रारंभिक सफलता हासिल की। इस दौरान मैंने काफी और कोर्सेज और डिग्रियों पर भी फोकस किया जो हमारे इस प्रोफेशन के लिए जरूरी थीं।

डॉ अरविंदर कहते हैं कि मोटिवेशनल स्पीकर नहीं, मैं Lead By Example में विश्वास करता हूं। उदाहरण से लोगों को कनेक्ट करना ज्यादा अच्छा होता है। इससे लोगों में रचनात्मकता और नवाचार जैसी खूबियां पैदा होती हैं। मैंने Lead By Example किया है तो लोग मुझे उसी रूप में देखते हैं।

 

70-80 प्रतिशत लोग अपने समय का सही इस्तेमाल नहीं करते

ईश्वर ने सभी को 24 घंटे दिए हैं जो लोग अपने समय की कीमत समझते हैं वो आगे बढ़ जाते हैं जो समय को यहां वहां पास करते हैं वो यूं ही पास हो जाते हैं। कहावत है कि मैं समय नष्ट कर रहा हूं लेकिन सही बात तो यह कि अगर मैं कुछ नहीं कर रहा हूं तो समय मुझे नष्ट कर रहा है।

14 से 16 घंटे की मेहनत दिलाएगी सफलता

जब मैं 11वीं क्लास में था मुझे अमीर बनने का शौक चढ़ा। मैं एक किताब खरीद लाया कि करोड़पति कैसे बनें। उसमें लिखा था कि अगर तुम 16 घंटे काम करने को तैयार हो तो तुम्हे करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता। वो बात मेरे दिलो-दिमाग में ऐसी बैठ गई कि उसके बाद मैंने 12से 16 घंटे काम करना शुरू कर दिया। मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप 7-8 घंटे काम करके अमीर बनने का सपना देखते हो तो ये केवल इल्यूजन है, ये सपना है कभी पूरा नहीं होगा। 100 में से 2 फीसदी लोगों के साथ ऐसा हो भी जाता है तो ये exception है।

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फिट और स्वस्थ कैसे रहें

आप अपनी प्रायोरिटी पूरी कर चुके हैं तो सब ठीक है लेकिन आप उसे छोड़कर रूटीन लाइफ में लगे हैं तो फिर मेरा मानना है कि आपको इस बारे में सोचना चाहिए। भविष्य के लिए आज आपको स्वस्थ रहना जरूरी है उसके लिए अच्छी डाइट, योग, व्यायाम, एक्सरसाइज, मेडिटेशन जैसे बहुत से साधन हैं। If You Choose the Hard Path Life Will Be Easier, If You Choose the Easy Path Life Will Be Harder.

जीवन जीने का सही मकसद और रास्ता ऐसे मिलेगा

मैंने काफी सारी किताबें पढ़ीं और उन्होंने मेरे जीवन को ट्रांसफॉर्म किया उनमें से पहली किताब है: Seven Habits of Highly Effective People: Steven Covey. इस किताब में वैज्ञानिक तरीके से समझाया गया है कि कैसे ये कुछ आदतें आपके जीवन को बदल देती हैं।

दूसरी: Awaken the Giant Within: Anthony Robbins.

तीसरी: Inner Game of Tennis. इसमें हमारे माइंड के कंट्रोल के बारे में बताया गया है।

चौथी: The Science of Getting Rich.

पांचवीं: The Millionaire’s Mind. इसमें 18सूत्र दिए हैं जो आपके जीवन को बेहतरीन बनाने में आपकी मदद करते हैं।

छठी: मैं मृत्यु सिखाता हूं: ओशो, इसमें ये बताया गया है कि मृत्यु ही जीवन का सच है इसलिए उसकी भी तैयारी होनी चाहिए।

सातवीं: ध्यान-योग प्रथम और अंतिम मुक्ति ये भी ओशो की किताब ही है जो हमें स्वस्थ रहने के तरीके बताती हैं।

ये सारी किताबें ट्रांसफोर्मेटिव हैं, बशर्ते इन्हें नॉवल की तरह नहीं इनके सूत्रों को आत्मसात करें तो, ये आपके जीवन में जबरदस्त बदलाव ले आएंगी।

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