वाजपेयी.. के “अटल..” निर्णयों से भारत को मिली नई पहचान…!

वाजपेयी.. के “अटल..” निर्णयों से भारत को मिली नई पहचान…!

वाजपेयी.. के “अटल..” निर्णयों से भारत को मिली नई पहचान…!

दूरदृष्टि, कुशल नेतृत्व, मजबूत निर्णय क्षमता और मानव सेवा की इच्छा ने एक साधारण आदमी को बनाया अटल बिहारी वाजपेयी…!

विजय श्रीवास्तव। 

जयपुर,(dusrikhabar.com)। पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 साल दिए। तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए वाजपेयी ने भारत को एक नई सोच और दिशा दी। इस बार 25 दिसम्बर 2024 को देशभर में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 

रुक-रुक कर अपनी बात को वे मजबूती से अपने भाषणों में जब वे रखते थे तो लोग भी जहां होते थे थम जाते थे, भाषण स्थल पर ऐसा आलम रहता था कि जब उनका संबोधन होता था तब पांडाल में पिन ड्रॉप साइलेंस हो जाता था और लोगों को बैठने की जगह नहीं मिलती थी लोग बिना सांस की आवाज किए उनके भाषणों को रेडियो और टीवी के पास चिपककर सुनते थे। उनके भाषण ऐसे होते थे कि हर कोई उनके सम्मोहन में बंध जाता था, आडवाणी को भाषणों का जादूगर भी कहा जाता था। उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को उनकी ओर खींच लाता था। सहज, सरल परन्तु भाषा पर पकड़ और विषय का जबरदस्त ज्ञान उनके व्यक्तित्व और उनके जीवन शैली की परिभाषा देता था। उन्हें पढ़ने का शौक था और भारत को एकसूत्र में बांधे रखने का जुनून भी। आरएसएस की पृष्ठभूमि से निकल अटलजी ने हाजिर जवाबी और प्रखर वक्ता थे। मानस सेवा उनमें कूट-कूट कर भरी थी जिसके चलते हर छोटे बड़े कार्यकर्ता ही नहीं आम आदमी को भी वे अपने जीवन में तवज्जो देते थे। उनके भाषणाों से भारत को नई सियासत और सोच मिली। 

उनके अलग-अलग यादगार भाषणों की चंद लाइनें:-

  • सत्ता का खेल तो ऐसे ही चलेगा, सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।
  • और प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले कहा था हम कोई वादा नहीं करेंगे, चुनाव में जो प्रतिनिधि चुनकर आएंगे हम उनसे चर्चा करेंगे। और दो दिन बाद बदल गए सदरे रियासत, वजीरे आजम अरे वाह रे वजीरे आजम….
  • आडवाणी जी कहते हैं आप बनेंगे, आप कहते हैं आडवाणी जी बनेंगे आखिर चक्कर क्या है, तौ हमने कहा ये आपकी समझ में नहीं आएगा,
  • कल हमारे प्रिय रंजनदास मुंशी मजाक बना रहे थे कदम मिलाकर चलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा

लालकृष्ण आडवाणी ने 1995 में भाजपा के महाधिवेशन में जब पहली बार प्रधानमंत्री पद के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लिया तो लोगों को लगा कि अब देश को एक मजबूत नेतृत्व मिलेगा और लगे हाथों अटल जी ने भी कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि देश को अब एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।

अटल बिहारी वाजपेयी को ऐसे ही नहीं देश का सर्वश्रेष्ठ नेता कहा जाता है उनके नेतृत्व और भाषण के साथ साथ उनके निर्णय लेने की क्षमता ने अमेरिका को भी चारों खाने चित्त कर दिया था। पोकरण का परमाणु परीक्षण ऐसी ही अटलजी की दूरदृष्टि और निर्णय की क्षमता का उदाहरण मात्र है। वाजपेयी देश के एक ऐसे नेता थे, जिनके व्यवहार और कामों की सराहना राजनीति में विपक्षी दल के नेताओं की जुबां पर आज भी है। वाजपेयी का कार्यकाल शिक्षा, संचार, विदेश नीति और देश के विकास के मद्देनजर भारत के लिए काफी अहम रहा।

पहली बार जब वे पीएम बनें तो केवल 13 दिन तक ही सरकार चला पाए जब तक वे कुछ सोचते समझते राजनीति का शिकार हो गए। उसके बाद दूसरे प्रयास में अटल जी 13 महीने तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे लेकिन तीसरी बार जब वे भारत के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पूरे देश की सोच ही बदल डाली उन्होंने देश की काया ही पलट कर रख दी। उनके दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास का हर कोई कायल ऐसे ही नहीं है उन्होंने राजनीति में एक नया मुकाम स्थापित किया और गठबंधन सरकार को कैसे सफलता से चलाया जा सकता है इसका भारत ही दुनिया के बड़े बड़े देशों के राजनेताओं को बता दिया। उन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिसके कारण सदियों तो आने वाली पीढ़ियां उन्हें स्मरण करती रहेंगी, ऐसे ही कुछ खास निर्णयों में से एक निर्णय ये था कि उन्होंने BSNL  का एकाधिकार खत्म कर दूर संचार की फील्ड में 1999 में एक नई क्रांति ला दी। उन्होंने नई टेलीकॉम नीति लागू कर दी जिससे फोन कॉल सस्ता हो गया जिससे टेलीफोन आमजन तक पहुंच बना सका। हालांकि राजीव गांधी को भारत में दूससंचार क्रांति का जन्मदाता माना जाता है लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे आम लोगों तक इसे पहुंचाने का काम किया ऐसा भी माना जाता है।  

उनके बेहद अहम और भारत के लिए स्वर्णकाल बना देने वाले निर्णयों में सर्व शिक्षा अभियान, परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना, निजीकरण, संविधान समीक्षा आयोग, देश में पोटा कानून लागू करवाना, देश में जातिवार जनगणना को रद्द करना और चंद्रयान-1 की घोषणा उनके कार्यकाल के सबसे अहम और भारत के लिए बेहद खास निर्णय रहे।  

अटलजी ने 2000-2001 में 6 से 14 साल तक के बच्चों के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त शिक्षा की शुरुआत की, इससे पहले दिल्ली से लाहौर तक के लिए बस सेवा की शुरुआत भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक बड़ा और बेहद जरूरी प्रयास था। जिसमें पाक पीएम नवाज शरीफ और भारत के पीएम वाजपेयी ने लाहौर दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। देश की सुरक्षा को अटलजी सर्वोपरी मानते थे इसलिए 1998  में ही उन्होंने परमाणु परीक्षण कराया, उनका ऐसा मानना था कि हमें अपनी सुरक्षा करने का पूरा अधिकार है। अटलजी ने देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए सड़कों की एक वर्णमाला बनाने की परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना को शुरु किया उन्होंने देशभर में सड़कों का एक जाल बिछाने का निर्णय लिया था जिसमें भारत के एक कौने से दूसरे कौने की सुगम और सरल यात्रा के लिए चेन्नई,कोलकाता, दिल्ली और मुम्बई को जोड़कर स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को लागू किया। अटलजी ने देश के विकास के लिए भारत में निजीकरण को बढ़ावा दिया 1999 में उनकी सरकार ने विनिवेश मंत्रालय का गठन किया। उनके प्रयास से ही मंत्रालय के मंत्री अरुण शौरी ने वाजपेयी के नेतृत्व में भारत एल्यूमिनियम कंपनी (बाल्को), हिंदुस्तान ज़िंक, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और विदेश संचार निगम लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया का शुभारंभ हुआ। जब दिसम्बर 2001 में आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया तो ये दिन भारतीय संसद के इतिहास में काला दिन माना गया। इस हमले के बाद पीएम वाजपेयी ने पोटा कानून बनाया गया। ये कानून आतंकी गतिविधियों को कंट्रोल करने वाला था जो कि 1995 के टाडा कानून से भी काफी सख्त माना गया। उनके कार्यकाल में ही संविधान समीक्षा के राष्ट्रीय आयोग का गठन हो सका।  एचडी दैवेगौड़ा सरकार ने जातिवार जनगणना की मंजूरी जारी कर दी थी। लेकिन अटलजी ने जातिगत जनगणना पर  रोक लगा दी थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान-1 का ऐलान किया और क्योंकि यह भारत का पहला चांद मिशन था।  इसरो ने इसे 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। 

बहरहाल देश के लिए किए किए गए उनके कार्यों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है लेकिन उनके ये कार्य आज देश को तरक्की और प्रेरणा दोनों प्रदान कर रहे हैं। आज उनकी 100वीं जयंती पर भाजपा बड़ा गौरवान्वित महसूस कर रही है कि उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी जैसी शक्तिशाली, दूरदर्शी और दृढ़ निश्चयी नेतृत्व का साथ मिला।

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