राजस्थान में भव्य-अनोखा जैन मंदिर, अद्भुत मंदिर को देख लोग हैरान…!

राजस्थान में भव्य-अनोखा जैन मंदिर, अद्भुत मंदिर को देख लोग हैरान…!

अजमेर के नारेली में तैयार हो रहा ऐसा देश का पहला आदिनाथ जैन मंदिर

पहाड़ी की चढ़ाई पर कतार में 24 मंदिर एकसाथ, एक मंदिर 11 मंजिला भी

550 एकड़ में फैले परिसर में और कई आश्चर्यजनक कलाकृतियां भी

 

विजय श्रीवास्तव, 

 

अजमेर। (Nareli) राजस्थान में जैन धर्म (Jain mandir) के कई भव्य और शानदार मंदिर हैं लेकिन इस जैन मंदिर की बनावट और इसका स्थान अपने आप में ही एक अनोखी कहानी कह रहा है। अक्षरधाम मंदिर (Akshardham temple) की तर्ज पर आदिनाथ जिनालय ( Adinath Jinalaya) का निर्माण किया गया है।

अगर आपने ये मंदिर नहीं देखा तो यकीन मानिए आप राजस्थान में बन रही एक अनौखी और अद्भुत कलाकृति से वंचित रह गए हैं। कला, संस्कृति, धर्म और पर्यटन (Tourism) के लिहाज से यह मंदिर बहुत ही शानदार है। मंदिर कैंपस में जैन धर्म से जुड़े सभी तमाम जैन मंदिरों के श्रद्धालु एक ही स्थान पर दर्शन कर पाएंगे।  

 

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बिना पिलर के गुफा वाला देश का पहला मंदिर

अजमेर-भीलवाड़ा हाईवे (Ajmer-Bhilwara National Highway) पर अरावली पर्वत श्रृंखला की पहाड़ी (Aravalli mountain range hill) की तलहटी और पहाड़ी स्थित ज्ञानोदय तीर्थ स्थली (Gyanoday tirth sthali) पर बनकर तैयार हो रहे इस मंदिर को देखने के लिए इन दिनों हजारों लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें बिना पिलर का गुफा मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। पहाड़ी के निचले हिस्से यानी तलहटी में डोम के आकार के इस गुफा मंदिर की चौड़ाई 90 फीट और लंबाई 135 फीट है। इस मंदिर के भव्य निर्माण में राजस्थान की खदानों में निकल रहे लाल पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

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वर्तमान, भूतकाल और भविष्य की तीन मूर्तियां

सूत्रों के अनुसार अजमेर के नारेली तीर्थ में बन रहे इस मंदिर में भगवान महावीर के तीनों काल यानी वर्तमान, भूत और भविष्य तीनों की प्रतिमाएं लगाई की गई हैं।

समाज के लोगों के मुताबिक ज्ञानोदय तीर्थ स्थली के संत ज्ञानसागर महाराज का समाधि स्थल नसीराबाद में है वहीं आचार्य 108 विद्यासागरजी की दीक्षास्थली भी अजमेर में ही है अत: दोनों संतों की चिर स्थायी बनाने के लिए ज्ञानोदय तीर्थ का निर्माण किया गया है।

 

11 मंजिल के मंदिर में 720 प्रतिमाएं होंगी स्थापित

नारेली में बन तैयार हो रहे इस मंदिर परिसर में एक 11 मंजिला भवन का निर्माण हो रहा है जिसमें हर मंजिल पर भगवान आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी तक 24 तीर्थंकरों की 3-3 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की जाएंगी। यानि इस मंदिर में 10 मंजिलों में 720 प्रतिमाएं चारों ओर प्रतिष्ठित की जा रही हैं।

 

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राजस्थान के लाल पत्थर से मंदिर का निर्माण

अजमेर के नारेली तीर्थ में मुख्य द्वार यानि सिंहद्वार को भी लाल पत्थरों से तैयार किया गया है। जिसकी ऊंचाई 51 फीट है और द्वार के दोनों तरफ सुरक्षाकर्मियों के लिए 2 मंजिला भवन का निर्माण किया गया है। इस सिंहद्वार से ही प्रमुख मंदिर आदिनाथ जिनालय में स्थापित विशाल और भव्य मनोहारी आदिनाथ की प्रतिमा के दर्शन होते हैं। आरके मार्बल परिवार किशनगढ़ ने इस मंदिर का 16 सितम्बर, 2000 को लोकार्पण किया था।

जिनालय में भगवान आदिनाथ की भव्य मूर्ति स्थापित की गई है। कमल आसन में विराजमान भगवान की मूर्ति लाल पत्थर की एक ही चट्टान से तराश कर बनाई गई है। मूर्ति की ऊंचाई 21 फीट और वजन लगभग 40 मीट्रिक टन बताया जा रहा है।

 

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श्रद्धालुओं के लिए ये होंगी व्यवस्थाएं

ऐसा बताया जा रहा है कि सुधासागरजी महाराज का प्रथम चातुर्मास भी इसी स्थान पर हुआ था। इसलिए इस स्थल पर कई योजनाएं शुरू की गई हैं और विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास किया गया है। मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए यहां ठहरने के लिए धर्मशाला सहित गायों के लिए गौशाला, स्कूल और एक हॉस्पिटल का भी निर्माण किया गया है।

 

…और क्या क्या है मंदिर परिसर में

त्रिकाल चौबीसी के 24 मंदिर, श्री नंदेश्वर जिनाला, सहस्त्रफणी पार्श्वनाथ जिनालय,  सहस्त्रकूट जिनालय, त्रिमूर्ति जिनालय, श्री शीतलनाथ चैत्यालय, कैलाश पर्वत, गौशाला, भाग्यशाला ‘औषधालय’, ठहरने के लिए धर्मशालाएं और संत सुधा सागर वाटिका और तीर्थंकर वन जैसे प्रमुख स्थानों का निर्माण यहां किया गया है।

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