बिना सर्जरी दुर्लभ बीमारी का सफल इलाज, गीतांजली हॉस्पिटल ने रचा कीर्तिमान…!

बिना सर्जरी दुर्लभ बीमारी का सफल इलाज, गीतांजली हॉस्पिटल ने रचा कीर्तिमान…!

तीन साल से लगातार खांसी से पीड़ित महिला की श्वास व भोजन नली के बीच बना था असामान्य छेद

एंडोस्कोपी से मात्र 10 मिनट में क्लिपिंग तकनीक से हुआ इलाज, 48 घंटे में मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज

उदयपुर, (dusrikhabar.com)। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, उदयपुर ने एक बार फिर अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं का प्रमाण दिया है। अस्पताल ने एक ऐसी महिला मरीज का सफल इलाज किया है जो पिछले तीन वर्षों से लगातार खांसी से पीड़ित थीं और जिनका इलाज अब तक टीबी मानकर किया जा रहा था।

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39 वर्षीय महिला को प्रारंभ में फेफड़ों की टीबी का इलाज दिया गया, लेकिन निर्धारित छह महीने के इलाज के बाद भी उनकी खांसी में कोई सुधार नहीं हुआ। मरीज के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो चुकी थी और दिन-रात खांसी ने उन्हें थका दिया था।

समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए गीतांजली हॉस्पिटल के टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव छाबड़ा ने मरीज को गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. पंकज गुप्ता के पास भेजा। जांच के बाद सामने आया कि मरीज की श्वास नली और भोजन नली के बीच ट्रेकियो-इसोफेजियल फिस्टुला नामक छेद बन गया था — एक अत्यंत दुर्लभ और जटिल स्थिति, जो सामान्यतः कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों में पाई जाती है।

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यह छेद पुरानी टीबी के कारण उत्पन्न हुआ था, जो चिकित्सा जगत में एक असामान्य कारण माना जाता है। इस स्थिति के इलाज के लिए दो विकल्प थे — ओपन सर्जरी या एंडोस्कोपी से क्लिपिंग तकनीक। मरीज और परिजनों को जानकारी देने के बाद एंडोस्कोपी द्वारा उपचार को चुना गया।

डॉ. पंकज गुप्ता और उनकी टीम ने अत्याधुनिक उपकरणों की सहायता से केवल 10 मिनट की प्रक्रिया में एंडोस्कोपिक क्लिपिंग तकनीक का उपयोग कर छेद को बंद कर दिया। मरीज को सिर्फ 48 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखा गया और पूरी तरह स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया।

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आज मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं और नियमित फॉलोअप पर हैं।

गीतांजली हॉस्पिटल की इस उपलब्धि ने साबित कर दिया है कि विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएं अब महानगरों तक सीमित नहीं, बल्कि उदयपुर जैसे शहरों में भी आधुनिक तकनीक, अनुभवी डॉक्टरों और सुसज्जित सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं।

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