
फ्रांस की लेखिका सोरेल ने पर्यटन सचिव रवि जैन को भेंट की पुस्तक “राजस्थान”..
“मैं राजस्थान का आत्मिक अनुभव हूँ”: ऐनी सोरेल
50 वर्षों में ऐनी सोरेल ने किया राजस्थान का बारीकि से आत्मिक अवलोकन
इसी अनुभव से फ्रांस की पर्यटक, लेखिका और फोटोग्राफर ऐनी सोरेल ने लिखी पुस्तक
पर्यटन सचिव रवि जैन को पर्यटन भवन में सौंपी अपनी ट्रेवल गाइड पुस्तक “राजस्थान”
जयपुर, (dusrikhabar.com)। शुक्रवार को शासन सचिव पर्यटन रवि जैन से मुलाकात कर फ्रांस की पर्यटक, लेखिका और फोटोग्राफर ऐनी सोरेल (Author Anne Sorel) ने शुक्रवार को जयपुर स्थित राजस्थान पर्यटन भवन में उनसे मिलकर अपनी राजस्थान पर्यटन अनुभव आधारित छायाचित्रों को समाहित किये हुए फ्रेंच ट्रेवल गाइड बुक “राजस्थान” (French Travel Guide Book “Rajasthan”) भेंट की।
सोरेल ने राजस्थान में अपनी यात्रा के 50 वर्ष पूर्ण होने उपलक्ष में 27 नवम्बर 2024 को जयपुर में ऐनी द्वारा आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शासन सचिव पर्यटन रवि जैन, पर्यटन आयुक्त विजयपाल सिंह को आमंत्रित किया। इस अवसर संयुक्त निदेशक (पर्यटन विकास) राजेश शर्मा और संयुक्त निदेशक (मेले – त्यौहार) पुनीता सिंह भी उपस्थित रहीं।
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दिलो-दिमाग में रच बस गया राजस्थान
दरअसल राजस्थान में जो आता है वो यहां के रंगों में रंग जाता है। ऐसा ही हुआ फ्रांस से जुलाई 1974 में राजस्थान भ्रमण पर आई पर्यटक, लेखिका और फोटोग्राफर ऐनी सोरेल के साथ। वो राजस्थान घूमने आईं लेकिन यहां की खूबसूरती उनके दिलो-दिमाग में ऐसी रच बस गई कि उन्होंने राजस्थान के पर्यटन गाइड को अपनी पुस्तक लिख डाली। इतना ही नहीं सोरेल इससे पहले पर्यटन गाइड पर अगल अलग अदांज में सात संस्करणों का प्रकाशन कर चुकी हैं।

पर्यटन सचिव रवि जैन को फ्रेंच ट्रेवल गाइड पुस्तक राजस्थान की प्रति भेंट करते हुए लेखिका ऐनी सोरेल।
फ्रेंच ट्रेवल गाइड बुक “राजस्थान”
शासन सचिव पर्यटन रवि जैन ने खुशी जताते हुए ऐनी सोरेल की आधी शताब्दी से राजस्थान भ्रमण करते हुए अपने छायाचित्रों और फ्रेंच ट्रेवल गाइड बुक “राजस्थान” के माध्यम से राजस्थान को फ्रांस में प्रचारित करने की भूरी भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि फ्रेंच भाषा की ट्रेवल गाइड “राजस्थान” निश्चित ही राजस्थान पर्यटन को वैश्विक स्तर पर विशेषकर फ्रेंच भाषी पर्यटकों को राजस्थान के प्रति उत्सुकता पैदा कर उन्हें राजस्थान पर्यटन से निकटता से परिचय कराती है।
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पुस्तक की लेखिका ऐनी सोरेल ने बताया कि फ्रेंच भाषा की ट्रेवल गाइड “राजस्थान” में राजस्थान पर्यटन स्थलों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों, लोकजीवन, कला, संस्कृति के छायाचित्रों को प्रदर्शित किया है और यहां के अपने 50 वर्षों के अनुभव को उल्लेखित किया है। उन्होंने राजस्थान की भौगोलिक विविधता, ऐतिहासिक गौरव के समार्को को पृष्ठभूमि सहित ट्रेवल गाइड में उल्लेखित किया है। सोरेल ने राजस्थान के लोक संस्कृति और दैनिक जन जीवन, यहां की धार्मिक मान्यताओं, मेलों व उत्सवों का विस्तृत उल्लेख किया है।
पुस्तक में “अतिथि देवो भव:” को किया उल्लेखित
यहां के लोगों का जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया, तीज त्यौहारों पर उत्साह और उमंग का ट्रेवल गाइड में उल्लेख किया गया है। उन्होंने ट्रेवल गाइड में राजस्थान के रंगों से परिपूर्ण पहनावे, विविध खान-पान, कर्णप्रिय लोक संगीत, गौरव शाली इतिहास, विषम भूगोल, समरस सामाजिक जीवन और आत्मीय लोक व्यवहार सहित “अतिथि देवो भव” भाव को उल्लेखित किया है।
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ऐनी ने पिछले पचास वर्षों में अपनी यात्रा के दौरान पूरे राजस्थान का भ्रमण किया है। उन्होंने यहां के पर्यटक स्थलों तथा आंतरिक स्थानों जैसे गांव ढाणियों को बहुत नजदीक से देखा और अनुभव किया है। जिसका उन्होंने उक्त ट्रेवल गाइड में उल्लेख किया है और उसे छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्षित किया है। उन्होंने किताब में जयपुर के कानोता म्यूजियम, जयगढ़,आमेर, जंतर मंतर, हवा महल, सिटी पैलेस विशेष उल्लेख किया।
जो देखा और जैसा देखना चाहती हूं वो भाव है पुस्तक राजस्थान में
ऐनी ने अपनी किताब के बारे में बताया कि मैंने किताब में राजस्थान को अपनी दृष्टि से वर्णित किया है, मैंने जयपुर को जैसे देखा और जैसे देखना चाहती हूँ उस भाव को उल्लेखित किया है। उन्होंने बताया कि मैंने जयपुर में कानोता म्यूजियम, जयगढ़,आमेर, जंतर मंतर,हवा महल, सिटी पैलेस और सभी पर्यटन स्थलों के साथ बहुत से विषयों को गहराई से देखा हैं जिनका किताब में उल्लेख किया है।
राजस्थान को जल्दी में नहीं पूरा समय देकर देखें
ऐनी ने राजस्थान की तारीफ करते हुए कहा कि ” मैं जब राजस्थान को देखती हूँ तो जल्दी में नहीं होती हूं, मैं राजस्थान को गहराई से देखने में अपना समय लगाती हूँ। मैं राजस्थान की आत्मा को अनुभव करती हूँ। मैं यहां की कला संस्कृति को जानने को उत्सुक रहती हूँ। मैं यहां के अनूठे उल्लास और भाव प्रधान लोकसंगीत में खो जाती हूँ। मैं लंगा कलाकारों की गायकी और सारंगी वादन को सुनना बहुत पसंद करती हूँ।
मैं राजस्थान के लोक संगीत के साथ शास्त्रीय संगीत को भी पसंद करती हूँ। मैंने लंगा, मांगनियार कलाकारों को सुनते हुए राजस्थान को अनुभव किया है। ऐसा करते समय मैं किसी तरह की जल्दी में नहीं होती हूँ। मैं अपना पूरा समय देती हूँ। मैंने इन सब का भी इस किताब में उल्लेख किया है। मैं केवल पर्यटक नहीं हूँ, मैं राजस्थान का आत्मिक अनुभव हूँ।”