राजस्थान में पहली बार मोनोपोर्टल एंडोस्कोपिक सफल सर्वाइकल सर्जरी गीतांजली हॉस्पिटल में…

राजस्थान में पहली बार मोनोपोर्टल एंडोस्कोपिक सफल सर्वाइकल सर्जरी गीतांजली हॉस्पिटल में…

बिना इम्प्लांट, बिना फिक्सेशन, केवल एक चीरा और टांके से राहत

गीतांजली हॉस्पिटल, जयपुर में न्यूरोसर्जन डॉ. धीरज ने की अनूठी सर्जरी

47 वर्षीय ममता गोयल को पहले ही दिन मिला दर्द से पूर्ण आराम

रीढ़ की संरचना को सुरक्षित रखते हुए आधुनिक तकनीक से उपचार संभव

नवीन सक्सेना,

जयपुर,(duarikhabar.com)। जयपुर के गीतांजली हॉस्पिटल ने न्यूरो-चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। राजस्थान में पहली बार बिना किसी इम्प्लांट और फिक्सेशन के, मात्र 6–8 मिमी चीरे और एक टांके से मोनोपोर्टल एंडोस्कोपिक सर्वाइकल सर्जरी की गई। इस नवीनतम तकनीक से मरीज़ को तत्काल राहत मिली और रीढ़ की संरचना भी पूरी तरह सुरक्षित रही।

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यह चिकित्सा उपलब्धि न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से अद्वितीय है, बल्कि इससे जुड़े मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है। डॉ. धीरज विश्वकर्मा द्वारा की गई यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से उन्नत, दर्द रहित और शीघ्र राहत प्रदान करने वाली है।

ममता गोयल की कहानी:
जयपुर निवासी ममता गोयल के लिए यह तकनीक संजीवनी साबित हुई। लंबे समय से उनके दाहिने हाथ में असहनीय दर्द था, जिसे पारंपरिक उपचार से राहत नहीं मिली। जब उन्होंने गीतांजली हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. धीरज विश्वकर्मा से संपर्क किया, तब उन्नत जांच में डिस्क का नस पर दबाव सामने आया।

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तकनीक का चमत्कार:
डॉ. धीरज ने मोनोपोर्टल एंडोस्कोपिक सर्जरी की सलाह दी — जिसमें पारंपरिक इम्प्लांट या हड्डी जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। केवल एक छोटा चीरा और टांका लगाकर नस से दबाव हटाया गया। सर्जरी के कुछ घंटे बाद ही ममता जी सामान्य जीवन में लौट आईं।

तकनीक के लाभ:

  • बिना इम्प्लांट और फिक्सेशन

  • रीढ़ की हड्डी की संरचना को कोई क्षति नहीं

  • शीघ्र रिकवरी और न्यूनतम दर्द

  • छोटी सर्जरी, कम समय में राहत

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विशेषज्ञ की टिप्पणी:

“यह तकनीक उन मरीजों के लिए आदर्श है, जो कम समय में राहत चाहते हैं और रीढ़ की प्राकृतिक संरचना को सुरक्षित रखना जरूरी मानते हैं। हर मरीज़ को सही समय पर सही जानकारी मिलनी चाहिए।”

— डॉ. धीरज विश्वकर्मा, न्यूरोसर्जन, गीतांजली हॉस्पिटल, जयपुर

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