डर, अवसर या राजनीतिक मजबूरी, दिग्गज कांग्रेसी पहुंचे भाजपा में…!

डर, अवसर या राजनीतिक मजबूरी, दिग्गज कांग्रेसी पहुंचे भाजपा में…!

लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, रिछपाल मिर्धा, आलोक बेनीवाल और खिलाड़ी लाल बैरवा बने मोदी परिवार का हिस्सा

 कांग्रेसियों में केंद्रीय एजेंसियों का डर, CBI, ACB, ED का किस किस पर शिकंजा

 

विजय श्रीवास्तव।

जयपुर। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस (Congress) की बड़ी हार के बाद अब राजस्थान (Rajasthan) के कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा (BJP) में जाने का मन बना लिया है। पहले कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय (Mahendra jeet malviya) भाजपा में शामिल हुए और अब राजस्थान कांग्रेस के पांच बड़े नेता रविवार 10 मार्च को भाजपा का दामन थान लिया है। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में एक समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा(Bhajanlal sharma), प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी(CP Joshi) और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra yadav) की मौजूदगी में कांग्रेस सहित अन्य दलों 1370 नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण (subscribing) कर ली।

पीएम मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर आए भाजपा में

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra modi) की नीतियों से प्रभावित होकर उनके नेतृत्व में राष्ट्रनिर्माण के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का संकल्प लेते हुए आज भाजपा प्रदेश कार्यालय पर विभिन्न राजनैतिक दलों से आए सांसद, पूर्व मंत्री, विधायक, प्रधान, जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों सहित 1,370 नेताओं ने भाजपा का दामन थामा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री लालचंद कटारिया(Lalchand katariya) , पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री खिलाड़ी लाल बैरवा (Khiladhi lal bairwa), पूर्व मंत्री राजेन्द्र यादव (rajendra yadav), पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा (Richpal Mirdha), जनता सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणधीर सिंह भिंडर, दीपेन्द्र कंवर भिंडर, आलोक बेनीवाल(alok beniwal), विजयपाल सिंह मिर्धा, रामनारायण किसान, कांग्रेस सेवादल के पूर्व अध्यक्ष सुरेश चौधरी, भीलवाड़ा से कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष रामपाल शर्मा, क्रीड़ा परिषद के उपाध्यक्ष अनिल व्यास, बॉडी बिल्डिंग में गोल्ड मेडलिस्ट प्रिया सिंह मेघवाल और कांग्रेस से लोकसभा प्रत्याशी रहे रिजू झुंझुनवाला सहित अन्य सभी लोगों को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भाजपा का पटका पहनाकर सदस्यता ग्रहण करवाई और भाजपा परिवार में स्वागत किया।

read also:आलोक बेनीवाल, लालचंद कटारिया, रिछपाल-विजयपाल मिर्धा, राजेंद्र यादव भाजपा में शामिल…!

कांग्रेसियों का भाजपा में शामिल होने का क्या है कारण

 इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने का कारण अवसर है या डर है ये तो सटीक रूप से ये लोग खुद ही बता सकते हैं। लेकिन राजनीतिक प्रेक्षक इस बारे में अपनी अलग-अलग राय रखते हैं किसी को ये केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे CBI, ACB, ED  डर समझ आ रहा है तो कुछ को ये अवसरवादिता और राजनीतिक मजबूरी लग रही है।

 

इन्हें किसका डर या इनके पास कैसा अवसर?

आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों में भाजपा की एक तरफ जीत के बाद से ही कांग्रेसियों का उत्साह कुछ कम नजर आ रहा था, ऐसे में राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो एक के बाद एक भाजपा का देशभर में अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं पर CBI, ACB, ED  का शिकंजा राजनेताओं को भाजपा की तरफ रुख करने को मजबूर कर रहा है। आए दिन अन्य दलों के नेताओं पर कार्रवाई और कोर्ट कचहरी और जेल की हवा खाने के डर के चलते राजनेता अब भाजपा का रुख कर रहे हैं।

read also:किसका भाग्य देगा साथ, किसे रहना है वाद-विवाद से दूर, जानें आपके भाग्यांक से…?

वहीं दूसरी और कुछ राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो इसे अवसरवादिता कहना भी गलत नहीं होगा। क्योंकि कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर अब कोई सर्वमान्य बड़ा नेता नजर नहीं आ रहा है वहीं राजस्थान कांग्रेस में भी कांग्रेस के दो बड़े नेताओं में फूट के चलते कांग्रेस की नईया में सुराख नजर आने लगा है। अब इन नेताओं को लग रहा है कि अगर आगे का राजनीतिक करियर सुकून में गुजारना है तो भाजपा की बहती गंगा में हाथ धो लेने में ही फायदा है। ऐसे में कांग्रेस को डूबती नइया मानकर कांग्रेस के दिग्गज नेता किनारा कर भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं। अब इसे अवसर कहेंगे या डर ये जनता स्वयं तय कर ले।

लालचंद कटारिया

कांग्रेस में वरिष्ठ पदों पर रहे कैबिनेट मंत्री भी रहे लालचंद कटारिया के भाजपा में जाने की खबर से कांग्रेस में बड़ी निराशा है। गहलोत के करीबी माने जाने वाले कटारिया अभी तक गहलोत सरकार में बड़े पोर्टफोलियो पर ही रहे हैं। विधानसभा चुनाव भी उन्होंने नहीं लड़ा और न ही चुनाव प्रचार में एक्टिव नजर आए, वहीं जगदीप धनखड़ के साथ भी कई समारोह में मंच साझा करते नजर आए लालचंद कटारिया को लेकर तभी से ये मायने निकाले जा रहे थे कि कटारिया का अब कांग्रेस से मन भर चुका है हालांकि कटारिया ने तब संदेश दिया था कि फिलहाल आध्यात्म की तरफ रुख करने का मन है।

read also:राजस्थान में प्रशासनिक फेरबदल, 2 IAS, 50 RAS का ट्रांसफर

लिफाफा देख मजमून भांप लेने में एक्सपर्ट हैं कटारिया

राजस्थान में सत्ता बदलते ही भाजपा की तरफ रुख करने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं उनमें से एक कारण ये भी है कि शायद उन्हें लगता है अगले कुछ वर्षों तक मोदी के नाम पर भाजपा देशभर में राज करने वाली है। ऐसे में भविष्य में कुछ समय और शांति से निकल जाए इसके लिए उनका ये कदम उठाना जरूरी सा लगता है। ऐसा माना जा रहा है कि डेगाना के पूर्व विधायक विजयपाल मिर्धा और समधि रिछपाल मिर्धा के भाजपा में शामिल होने के पीछे विजयपाल मिर्धा के ड्राइवर का एक साल से लापता होने के चलते इस परिवार पर लगातार भाजपा के हमलावर होना भी रिछपाल मिर्धा उनके बेटे विजयपाल मिर्धा के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ऐसे में विजयपाल के ससुर लालचंद कटारिया पर राजनीतिक दबाव के चलते उन्होंने रविवार को हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।  

 

राजेंद्र यादव, खिलाड़ी लाल बैरवा

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी रहे राजेंद्र यादव पूर्व में कांग्रेस में गृह मंत्री रह चुके हैं। हाल ही में मंत्री रहते केंद्रीय एजेंसी ED ने बहरोड़ और कोटपूतली में मिड डे मील घोटाले मामले में कार्रवाई कर राजेंद्र यादव और उनके दोनों बेटों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया था। अब राजस्थान में सत्ता परिवर्तन होने के बाद क्या हो सकता है इसके दूरगामी परिणामों को सोचकर राजेंद्र यादव ने भी झमेलों से बचने के लिए भाजपा ज्वॉइन करने का मन बना लिया और आज जयपुर में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इनके साथ ही सचिन पायलट के करीबी पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा भी भाजपा में शामिल हो गए।

read also:SMS के डॉक्टर रंजन लांबा पर एसीबी का शिकंजा…!

आलोक बेनीवाल

राजस्थान सहित तीन राज्यों में कांग्रेस की राज्यपाल रहीं कमला बेनीवाल के बेटे आलोक बेनीवाल भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस से 2018 के बाद 2023 में भी टिकट नहीं मिलने के बावजूद निर्दलीय उम्मीदवार बनकर बड़ी जीत हासिल करने वाले बेनीवाल और भाजपा दोनों एक दूसरे के लिए बैसाखी बन सकते हैं ऐसे में आलोक बेनीवाल के भाजपा में शामिल होने से शाहपुरा में उन्हें एक मजबूत राजनेता मिल गया है। आज रविवार को दोपहर आलोक बेनीवाल ने जयपुर में भाजपा ज्वॉइन कर ली।

 

बहरहाल कांग्रेस का दामन छोड़ ये नेता भाजपा में शामिल हो तो रहे हैं लेकिन सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि ये कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल होने के पीछे डर और सियासी मजबूरी दोनों ही कारण हैं। ऐसे में क्या भाजपा के लिए ये नेता वफादार साबित होंगे। ये कहना बहुत मुश्किल है। ऐसा कहा जाता है कि डंडे के जोर पर जो काम होता है उसमें सहमति कम मजबूरी ज्यादा होती है। सियासत के जानकारों का यह भी कहना है कि समय-समय की बात है मौसम बदलते रहते हैं और मौसम के साथ राजनीति में लोग भी यहां वहां जाते आते रहते हैं। शायद इसलिए आज जो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए  क्या गारंटी है कि वो कल समय बदलते ही फिर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे।

read also:भाजपा के लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी, PM मोदी वाराणसी से लड़ेंगे चुनाव

राजेंद्र राठौड़ के साथ ऐसा कैसे हुआ

राजेंद्र राठौड़ (Rajendra rathore) को मंच पर भूपेद्र यादव के बगल में कुर्सी तो मिली लेकिन भाजपा का दुपट्टा ओढाकर उनका अभिवादन नहीं किया गया। राजेंद्र राठोड़ समर्थकों में इस बात को लेकर समारोह में एक सुगबुगाहट सी सुनाई दी। राठौड़ के समर्थकों में से किसी ने मंच पर जब ये मैसेज करवाया तो आनन-फानन में काफी देर बाद राजेंद्र राठौड़ को भी दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। समारेाह में मौजूद कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं को भी ये बात अखरी कि मंच पर बुलाकर जब बिठा लिया तो एक दुपट्टे में क्या घिस रहा था। हालांकि तुरत फुरत में ही भाजपा ने गलती सुधार ली। 

read also:सिंधी कैंप को विश्व स्तरीय बनाने की तैयारी…!

अरुण चतुर्वेदी को मंच संचालन का जिम्मा क्यों 

अरुण चतुर्वेदी ने अपने ट्विटर पर साझा की सदस्यता समारोह की फोटो

कांग्रेस के कई नेताओं की भाजपा में आज समारेाह पूर्वक एंट्री करवाई गई। भाजपा के इस समारोह में भीड़ में बैठे लोगों और कुछ कलम के धनी प्रबुद्धजनों को ये बात गले नहीं उतर रही थी कि जो नेता कभी भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुका है आज एक छोटे से समारोह में उन्हें मंच पर कुर्सी दिए जाने की जगह मंच संचालन की जिम्मेदारी दी गई। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी (Arun chturvedi) जो एक बार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष, एक बार कैबिनेट स्तर के मंत्री और विधायक भी रह चुके हैं उन्हें एक  छोटे से आयोजन में मंच संचालन का जिम्मा देना राजनीतिक के जानकारों के गले नहीं उतरा। यहां तक की खुद चतुर्वेदी ने भी अपने मंच संचालन की फोटो ट्विटर पर शेयर नहीं की, इसके भी कई मायने निकाले जा रहे हैं।

CATEGORIES
TAGS
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus (0 )

अपने सुझाव हम तक पहुंचाएं और पाएं आकर्षक उपहार

खबरों के साथ सीधे जुड़िए आपकी न्यूज वेबसाइट से हमारे मेल पर भेजिए आपकी सूचनाएं और सुझाव: dusrikhabarnews@gmail.com