नहीं थम रहा वेदांता समूह के पुठोली स्थित हिंदुस्तान जिंक प्लांट में मौतों का सिलसिला…!

नहीं थम रहा वेदांता समूह के पुठोली स्थित हिंदुस्तान जिंक प्लांट में मौतों का सिलसिला…!

पुठोली स्थित लेड जिंक स्मेल्टर प्लांट में फिर हुई एक कर्मचारी की संदिग्ध मौत…!

मृतक आश्रितों के साथ ग्रामीणों ने दिया प्लांट के बाहर धरना, किया प्रदर्शन

गलती को दबाने के लिए जिंक प्रबंधन ने मानी मृतक आश्रितों की मांगें

मृतक आश्रितों को दिया 30 लाख रुपये का मुआवजा, एक आश्रित को नौकरी का आश्वासन

पुठोली स्थित लेड जिंक स्मेल्टर प्लांट में पिछले 4 साल में 8 कर्मचारियों की हुई मौत

जून 2021 में ब्लास्टिंग में 2 कर्मचारियों की मौत के बाद प्रबंधन के सेफ्टी सिस्टम पर उठे थे सवाल

लगता है बन गया है जिंक प्रबंधन का सिद्धांत, मरेंगे तो दे देंगे मुआवजा

शव रखकर बोली लगाता है वेदांता समूह का संवेदनहीन जिंक प्रबंधन

हादसे पर कार्रवाई की जगह लीपापोती पर जुटा रहता है हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन

दर-दर भटकने को मजबूर परिजनों को लेना पड़ता है धरने-प्रदर्शन का सहारा

अब तक कई परिजनों को घोषणा के बाद न मिला पूरा मुआवजा न ही आश्रितों को दी गई नौकरी

अपने कर्मचारियों की मौत पर झूठे वादे कर परिजनों को झांसा देता है हिंदुस्तान जिंक प्रबंंधन

 

नवीन सक्सेना, संवाददाता।

 

चित्तौड़गढ़, (dusrikhabar.com)। वेदांता समूह के चित्तौड़गढ़ में पुठोली स्थित लेड जिंक स्मेल्टर प्लांट में सुपरवाइज रतन सिंह की ड्यूटी के दौरान संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई। सुपरवाइजर रतन सिंह नाइट शिफ्ट में ड्यूटी पर तैनात था। परिजनों को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने हिंदुस्तान जिंक पर आरोप लगाया कि रतन सिंह के बारे में उन्हें मौत की खबर रात को क्यों नहीं दी गई। अगले दिन भी उन्हें कंपनी की ओर से मौत के कारणों की जानकारी नहीं दी गई। कंपनी पर परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए रतनसिंह की मौत का जिम्मेदार हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन को ठहराया है।

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हिंदुस्तान जिंक पुठौली प्लांट चित्तौड़गढ़ में प्रदर्शन करते मृतक परिजन और ग्रामीण।

 

हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन की लापरवाही का एक और शिकार

आपको बता दें कि हिंदुस्तान जिंक के चित्तौड़गढ़ प्लांट में 52 वर्षीय रतन सिंह सुपरवाइजर पुठोली स्थित लेड जिंक स्मेल्टर प्लांट में पिछले 30 साल से भी अधिक समय से काम कर रहे थे। दिवंगत रतन सिंह के परिजनों का आरोप है कि कंपनी की ओर से उनकी मौत की खबर सुबह पांच बजे परिवार को दी गई। परिजनों का आरोप है कि जब परिवार के लोग शव लेने सुबह जिला अस्पताल की मोर्चरी में पहुंचे तो उन्हें रतन सिंह का शव नहीं दिया गया। इससे नाराज परिजनों और ग्रामीणों ने हिंदुस्तान जिंक के प्लांट का गेट बंद करवा दिया और मौके पर जोरदार नारेबाजी की। मौके पर एकत्रित हुए ग्रामीणों ने जिंक प्रबंधन से मृतक के परिवार को 50 लाख रूपए का मुआवजा, मृतक की पेंशन चालू करने के साथ ही मृतक रतन सिंह के बेटे को नौकरी दी जाने की मांग की।

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हिंदुस्तान जिंक पुठौली प्लांट चित्तौड़गढ़ के बाहर प्रदर्शन करते मृतक परिजन और ग्रामीण।

लीपापोती में लगा रहा हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन, आखिरकार टेकने पड़े घुटने

सुपरवाइजर की मौत की खबर पहले तो परिजनों को रात को ही क्यों नहीं दी गई। उसके बाद सुबह भी प्रबंधन के किसी वरिष्ठ अधिकारी को परिजनों को सूचना के साथ-साथ सांत्वना भी देनी चाहिए थी जो कि प्रबंधन की ओर से नहीं दी गई। परिजनों का आरोप है कि उनकी शिफ्ट का रिलीवर जब सुबह ड्यूटी पर आया तब रतन सिंह के परिजनों को उनकी मौत की खबर दी गई। ऐसे में संवेदनहीन जिंक प्रबंधन से कोई क्या उम्मीद कर सकता है। परिजनों का आरोप है कि शव मांगने पर उन्हें शव नहीं सौंपा गया, वहीं मुआवजे की बात को लेकर भी जिक प्रबंधन टालमटोल की नीति अपनाता रहा लेकिन ग्रामीणों और परिजनों के लगातार जिंक के गेट को बंद कर उसके बाहर 24घंटे तक प्रदर्शन के बाद हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन की अक्ल ठिकाने आई और मजबूर होकर उसके रतन सिंह के परिजनों को उनका हक देना पड़ा।

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30 लाख का मुआवजा और देनी पड़ी मृतक के बेटे को नौकरी 

हादसे के बाद हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन ने परिजनों और ग्रामीणों को प्रदर्शन को देखते हुए और अपनी गलती को छिपाने के लिए समझौता कर मृतक रतन सिंह के परिजनों को 30 लाख रुपए का मुआवजा और रतन सिंह के बेटे को जिंक प्लांट में नौकरी देने की घोषणा की। रविवार सुबह पुलिस ने मृतक रतन सिंह के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। गमगीन माहौल में रतन सिंह की पार्थिव देव का रविवार दोपहर में अंतिम संस्कार किया गया। 

पहले भी होते रहे हैं हिंदुस्तान जिंक प्लांट में हादसे, लीलापोती में लग जाता है प्रबंधन

आपको बता दें कि हिंदुस्तान जिंक धीरे धीरे हादसों और मृतकों की खदान बनता जा रहा है।  वर्ष 2024 में ही हिंदुस्तान जिंक में श्रमिक की मौत का यह दूसरा मामला है। इससे पहले जुलाई 2024 में एक श्रमिक की दो शिफ्टों में काम करने के बाद तबीयत खराब हो गई थी और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। तब भी हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन ने मृतक आश्रितों की मांगों को नहीं माना और लंबे समय तक परिजनों और ग्रामीणों के प्रदर्शन के बाद आखिरकार हिंदुस्तान जिंक को घुटने टेकने पड़े और मुआवजा देना पड़ा। 

मृतकों की खदान बनता जा रहा हिंदुस्तान जिंक प्लांट

हिंदुस्तान जिंक हादसों की खदान बनता जा रहा है। धीरे यहां हादसों में मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है इससे पहले पिछले 3 साल में यहां 4 कर्मचारियों की हादसों का शिकार होने के कारण मौत हो चुकी है। यहां काम करने वाले मृतकों के आश्रितों और ग्रामीणों का आरोप है कि प्रबंधन की ओर से श्रमिकों और यहां कार्यरत कर्मचारियों की देखरेख और उनके जीवन की सुरक्षा की जानी चाहिए। लेकिन उसके उलट चोरी और सीना-जोरी वाली स्थिति में हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) प्रबंधन श्रमिकों की मौत पर उनके आश्रितों को मुआवजा तक देने में कतराता है। धरना प्रदर्शन और नारेबाजी के बाद माहौल गर्माने पर प्रशासन की कान पर जूं रैंगती है और हिंदुस्तान जिंक के नाम पर बट्टा लगता देख प्रबंधन लीपापोती कर मृतक आश्रितों से सौदेबाजी करता है।  ऐसा लगता है कि शायद जिंक प्रबंधन का ये सिद्धांत बन गया है कि मरेंगे तो मुआवजा दे देंगे। 

क्या ऐसा होना चाहिए, आखिर लापरवाही का कौन है जिम्मेदार?

हिंदुस्तान जिंक एक बड़ा संस्थान है, यहां हजारों कर्मचारी काम करते हैं, जिंक के कई उत्पादों के प्लांटों में कार्यरत लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की ही बनती है। ऐसे में कर्मचारी से डबल शिफ्ट में काम करवाना, मशीनों का प्रोपर रखरखाव न होना, प्रबंधन द्वारा कई तरह की लापरवाहियों के चलते अक्सर हादसे हो जाते हैं। ऐसे में इन हादसों से सबक लेने की बजाए प्रबंधन धरने और प्रदर्शन के बाद मृतक आश्रितों को मुआवजा देने के लिए तैयार होता है। ऐसे में  कोई कैसे हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल न उठाए।

हिंदुस्तान जिंक पर उठ रहे कई गंभीर सवाल 

आखिर अपने वर्षों से काम कर रहे कर्मचारी की मौत पर कंपनी उनके परिजनों से संवेदानाएं क्यों नहीं रखती, आखिर क्यों नही गैर इरादतन हत्या केस में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया, आखिर कंपनी क्यों परिजनों को कंपनी पेरौल पर नौकरी पर नहीं रखती और कंपनी पीड़ितों के परिजनों को मुआवजे का पैसा तुरंत नहीं देती है।
ऐसे कई मामले कंपनी के खिलाफ सामने आए हैं जिसमें कंपनी ने घोषणा के बाद भी पीड़ितों को पूरा मुआवजा नहीं दिया, कुछ दिन नौकरी पर रखने के बाद मृतक आश्रितों को नौकरी तक से निकालने जैसे घिनोने काम कंपनी द्वारा लगातार किए जा रहे हैं। 
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