
राजस्थान में माटी कलाकारों को मिलेगा वर्षभर रोजगार, बढ़ेगी आय — श्रीयादे माटी कला बोर्ड की नई पहल
मिट्टी कलाकारों को आधुनिक मशीनें और प्रशिक्षण मिलेगा
‘माटी का लाल’ पुरस्कार से सम्मानित होंगे प्रदेश के श्रेष्ठ कलाकार
दीपावली पर मिट्टी के उत्पाद बेचने वालों को प्रशासन देगा सहयोग
जयपुर,dusrikhabar.com। राजस्थान सरकार अब माटी कलाकारों को वर्षभर रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। श्रीयादे माटी कला बोर्ड ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशा के अनुरूप “स्वदेशी अपनाएं, देश को आत्मनिर्भर बनाएं” अभियान के तहत नई योजनाओं की घोषणा की है। बोर्ड अध्यक्ष प्रहलाद राय टाक ने बताया कि अब मिट्टी कलाकारों को आधुनिक उपकरण, प्रशिक्षण और बाजार की सुविधा देकर उनकी आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है।
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उद्योग भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में बोर्ड अध्यक्ष प्रहलाद राय टाक ने कहा कि माटी कलाकारों को केवल सीजनल नहीं, बल्कि पूरे साल रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बोर्ड ठोस योजना बना रहा है। इसके तहत कलाकारों को इलेक्ट्रिक चाक और मिट्टी गूंथने की मशीनें उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
राजीविका के माध्यम से महिलाओं को मिट्टी उत्पाद निर्माण से जोड़ने और खादी भंडारों पर इन उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करने की प्रक्रिया भी जारी है। टाक ने बताया कि रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ में चाय बेचने की तर्ज पर अब बस स्टैंड्स पर भी कुल्हड़ के इस्तेमाल को लेकर परिवहन मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा को पत्र लिखा गया है।
दीपावली को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सभी जिला कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षकों से आग्रह किया है कि मिट्टी कलाकारों को सार्वजनिक स्थलों पर उत्पाद बेचने की अनुमति और सहयोग दिया जाए।
‘माटी का लाल’ पुरस्कार से होगा सम्मान
राजस्थान की पारंपरिक माटी कला को बढ़ावा देने और कलाकारों को सम्मान देने के लिए बोर्ड पहली बार ‘माटी का लाल’ राज्य स्तरीय पुरस्कार समारोह आयोजित करेगा। प्रत्येक जिले से दो श्रेष्ठ कलाकारों का चयन कर उन्हें दिसंबर 2025 में सम्मानित किया जाएगा।
ट्रेनिंग और वितरण अभियान जारी
बोर्ड द्वारा अब तक 21 जिलों में 1000 से अधिक इलेक्ट्रिक चाक और मिट्टी गूंथने की मशीनें वितरित की जा चुकी हैं। दिसंबर तक यह संख्या 2000 तक पहुँचने का लक्ष्य है। दीपावली के बाद खुर्जा (उ.प्र.) में 25 ट्रेनर्स को उन्नत प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
दीपावली पर मिट्टी के दीप जलाएं — स्वदेशी को अपनाएं और माटी कलाकारों का जीवन रोशन करें।
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