
CBI का NMC पर बड़ा खुलासा: घोस्ट फैकल्टी और फर्जी पेशेंट्स से मेडिकल कॉलेजों में अरबों का स्कैम, 6 राज्यों के 40 ठिकानों पर CBI
NMC Inspection Scam: मेडिकल कॉलेजों में CBI रेड
घोस्ट फैकल्टी और फर्जी दस्तावेज से हुआ अरबों का घोटाला उजागर
राजस्थान में किसने किया मेडिकल कॉलेजों को लेकर खुलासा, उदयपुर के एक डॉक्टर का…!
राजस्थान के जोधपुर, जयपुर, चौमूं, सीकर, उदयपुर, कोटा और पिलानी शहर भी CBI के निशाने पर
राजस्थान के इन शहरों के कुछ मेडिकल कॉलेजों में चल रहा फर्जीवाड़े का खेल
इन राज्यों 6 राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश में 40 ठिकानों पर सीबीआई की चल रही ताबड़तोड़ कार्रवाई
दिल्ली ब्यूरो/ विजय श्रीवास्तव।
दिल्ली, (dusrikhabar.com)। भारत के मेडिकल शिक्षा तंत्र को हिला देने वाले एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। CBI द्वारा की गई छापेमारी में सामने आया है कि कई निजी मेडिकल कॉलेजों ने घोस्ट फैकल्टी और फर्जी पेशेंट्स के माध्यम से नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) से अप्रूवल और सीट वृद्धि करवाई थी। इस घोटाले में स्वास्थ्य मंत्रालय, NMC और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी भी संलिप्त पाए गए हैं।
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CBI ने छह राज्यों में फैले आठ मेडिकल कॉलेजों, स्वास्थ्य मंत्रालय के 9 कर्मचारियों, NMC के निरीक्षण दल के 4 डॉक्टरों सहित 36 व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इस घोटाले का मुख्य किरदार “घोस्ट फैकल्टी” है — ऐसे डॉक्टर जो कॉलेज में कार्यरत दिखाए जाते हैं, लेकिन वास्तव में कहीं और प्रैक्टिस कर रहे होते हैं।

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क्या है पूरा मामला
एनएमसी द्वारा लागू फिंगरप्रिंट अटेंडेंस और हाल ही में लागू रेटिना स्कैनिंग सिस्टम तक को फर्जीवाड़े से दरकिनार किया गया। आर्टिफिशियल अंगूठों और रेटिना डेटा हेरफेर जैसी तकनीकों के ज़रिए कॉलेजों ने इंस्पेक्शन में फर्जी उपस्थिति दर्ज की। सूत्रों के अनुसार, कुछ कॉलेजों में डॉक्टर्स के नकली अंगूठे और उंगलियां तैयार की जा रही थीं, ताकि बायोमैट्रिक हाजिरी लगाई जा सके। अब यदि रेटिना स्कैनिंग में भी छेड़छाड़ हुई, तो यह सिर्फ शिक्षा का नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा का भी गंभीर मसला बन जाएगा। इमीग्रेशन और विदेश यात्रा में रेटिना स्कैन की अहम भूमिका होती है।
इतना ही नहीं, फर्जी पेशेंट्स को दिहाड़ी पर भर्ती कर निरीक्षण में मेडिकल कॉलेज की भीड़ और एक्टिविटी दिखाई गई। CBI रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी गोपनीय दस्तावेजों की फोटो लेकर उन्हें मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचा रहे थे ताकि निरीक्षण की तारीख, रिपोर्ट आदि पहले से ज्ञात हो जाए।
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सूत्रों के अनुसार, मेडिकल कॉलेजों को पहले से ही NMC की निरीक्षण तिथि की जानकारी मिल जाती थी, जिसके बाद कॉलेज प्रशासन दिहाड़ी मजदूरों को फेक पेशेंट बनाकर भर्ती करता था। साथ ही, घोस्ट फैकल्टी यानी फर्जी डॉक्टर्स को भी कॉलेज में कार्यरत दिखाया जाता था। इसके आधार पर NMC की निरीक्षण टीम कॉलेज के पक्ष में रिपोर्ट देती थी, जिससे उन्हें UG-PG पाठ्यक्रमों की मंजूरी और सीटें बढ़ाने की अनुमति मिलती थी।
राजस्थान को लेकर बड़ा खुलासा…!
जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्थान में कई बड़े मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो इसी तरह से स्कैम कर सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों में चाहें डॉक्टर्स की सीटें भरने की बात हो या फिर अस्पताल में मरीजों से बैड भरने की मामला हो यहां पर भी कुछ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में खरीदे हुए पेशेंट और फर्जी डॉक्टरों की भीड़ दिखाकर सरकार से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। केंद्र के सूत्रों के अनुसार राजस्थान में जोधपुर, जयपुर, चौमूं सीकर, उदयपुर, कोटा और पिलानी जैसे शहरों में इस तरह का बड़ा खेल चल रहा है। फिलहाल कुछ मेडिकल कॉलेजों को लेकर केंद्र में शिकायतें पहुंची थी उसके बाद एक पूरा खाका तैयार कर केंद्र की ओर से इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
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किस किस के खिलाफ एफआईआर नामजद
सरकारी अधिकारी व निरीक्षण समिति सदस्य (NMC, स्वास्थ्य मंत्रालय, NHA):
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डॉ. चैत्रा (NMC निरीक्षण कमेटी सदस्य)
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डॉ. पी. रजिनी रेड्डी (NMC निरीक्षण कमेटी सदस्य)
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डॉ. अशोक शेल्के (NMC निरीक्षण कमेटी सदस्य)
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डॉ. मंजप्पा (NMC निरीक्षण कमेटी सदस्य)
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जीतूलाल मीणा (नेशनल हेल्थ अथॉरिटी, जॉइंट डायरेक्टर)
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पूनम मीणा (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय)
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धरमवीर, पियूष मल्यान, अनूप जैसवाल, राहुल श्रीवास्तव, चंदन कुमार, दीपक, मनीषा (मंत्रालय से जुड़े कर्मचारी)
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दलाल व बिचौलिये:
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डॉ. वीरेन्द्र कुमार (गुरुग्राम)
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उदित नारायण (कानपुर, यूपी)
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जोशी मैथ्यू (नई दिल्ली)
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इंद्रबलि मिश्रा उर्फ ‘गुरुजी’ (वाराणसी, यूपी)
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डॉ. बी. हरिप्रसाद (आंध्र प्रदेश)
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डॉ. अंकम रामबाबू (हैदराबाद)
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आर. रणदीप नायर (नई दिल्ली)
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सतीश (बेंगलूरू)
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डीपी सिंह (मुंबई, सोशल स्टडीज चांसलर)
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डॉ. कृष्णकिशोर (विशाखापट्टनम)
मेडिकल कॉलेज प्रतिनिधि व संचालक:
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सुरेश सिंह भदौरिया (मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज चेयरमैन)
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रवि शंकर (छत्तीसगढ़, रायपुर मेडिकल कॉलेज चेयरमैन)
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अतुल कुमार (डायरेक्टर)
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अतिन कुंडू (स्टाफ)
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लक्ष्मीनारायण चंद्राकर (अकाउंटेंट)
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संजय शुक्ला
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मयूर (राजस्थान से पूर्व प्रतिनिधि)
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वेंकट (विशाखापट्टनम के मेडिकल कॉलेज डायरेक्टर)
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जोसेफ कोमारेड्डी (तेलंगाना, वारंगल मेडिकल कॉलेज)
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शिवानी अग्रवाल (मेरठ, यूपी)
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स्वामी भक्तवत्सल दास जी (गांधीनगर, गुजरात)
इस स्कैम में शामिल डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की वैधता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। एमबीबीएस और पीजी कोर्स की महंगी सीटें बेचकर कॉलेजों ने अरबों की कमाई की है। CBI की जांच आगे भी जारी है और यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी मानी जा रही है।
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अब सवाल उठता है:
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क्या इन घोस्ट फैकल्टी डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा?
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क्या NMC रेटिना स्कैनिंग का भी तोड़ निकलने से और सख्ती बरतेगी?
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क्या इस घोटाले की आंच शीर्ष स्तर तक पहुंचेगी?
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क्या सभी मेडिकल कॉलेजों की ईमानदारी से जांच होगी
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क्या फर्जी कॉलेजों की मान्यता रद्द जैसी कार्रवाई होगी
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क्या कोई डॉक्टर, एनजीओ या सामाजिक संगठन करेगा कुछ और मेडिकल कॉलेजों के नामों को उजागर
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क्या सुप्रीम कोर्ट लेगा इस मामले पर स्वप्रेरित संज्ञान
