
डमी पार्टीज, फर्जी डोनेशन और CA के रैकेट पर IT की बड़ी कार्रवाई, राजस्थान में 50 करोड़ से अधिक का टैक्स स्कैम…!
जयपुर सहित भीलवाड़ा, कोटा, विजयनगर और अजमेर में आयकर विभाग की छापेमारी
राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में जारी है आयकर विभाग की कार्रवाई
प्रदेश के करीब 7 जिलों के 17 से अधिक ठिकानों पर आयकर विभाग की कार्रवाई जारी
2000 से अधिक टैक्सपेयर्स आए सरकार की रडार पर
डमी राजनीतिक पार्टियों और CA के माध्यम से हो रहा था आयकर छूट का फर्जी दावा
विजय श्रीवास्तव,
उदयपुर/अजमेर/भीलवाड़ा/जयपुर,(dusrikhabar.com)। आयकर विभाग की जांच में राजस्थान के जयपुर, भीलवाड़ा, कोटा, विजयनगर और बेगूं से जुड़े एक 50 करोड़ से अधिक के आयकर छूट घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, डमी पॉलिटिकल पार्टीज और मीडिएटर्स की मिलीभगत सामने आई है। विभाग के अनुसार, 2000 से अधिक टैक्सपेयर्स रडार पर हैं, जिन्होंने फर्जी डोनेशन एंट्री, बोगस क्लेम और झूठे टीडीएस रिटर्न के जरिए सरकार को करोड़ों का चूना लगाया।
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जयपुर में णमोकार सर्विसेज ने लगाया 30 करोड़ के फर्जी चंदे की रसीदों से आयकर को चूना
इधर जयपुर में सांगानेर के प्रतापनगर हल्दीघाटी मार्ग स्थित आनंद प्राइम बिल्डिंग में आयकर विभाग ने कार्रवाई की। सूत्रों के अनुसार बिल्डिंग में अरुण कुमार जैन के फ्लैट में चल रहे णमोकार सर्विसेज पर विभाग ने छापेमारी की। जिसमें फर्जी डोनेशन से लगभग 30 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि इस फर्म ने करदाताओं को करोड़ों की चंदे की फर्जी रसीद उपलब्ध करवाई जो राजनीतिक दलों से संबंधित हैं।
जांच में पता चला कि कई डमी राजनीतिक पार्टियां, जो चुनावी गतिविधियों में कभी सक्रिय नहीं रहीं, उन्होंने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80GGC का दुरुपयोग करते हुए टैक्स छूट के नाम पर डोनेशन ली और उसमें से 90% कैश टैक्सपेयर्स को लौटा दिया।
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सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ करदाताओं ने बिना कोई डोनेशन दिए, सिर्फ कागजों में एंट्री करवा कर टैक्स छूट प्राप्त कर ली। ऐसे मामलों में CA की सीधी भागीदारी पाई गई है।
धारा दुरुपयोग का खुलासा
जांच में सामने आया कि आयकर अधिनियम की धारा 10(13A), 80GGC, 80E, 80D, 80EE, 80EEB, 80G, 80GGA और 80DDB का सीए और मीडिएटर्स द्वारा बड़े स्तर पर दुरुपयोग किया गया।
आयकर विभाग की अपील
विभागीय सूत्रों की मानें तो कई करदाताओं ने फर्जीवाड़ा स्वीकार कर अपनी गलती मान ली है। इधर विभाग ने अपील कर लोगों से कहा कि जिन करदाताओं ने फर्जी एंट्री से टैक्स छूट ली है, वे अपडेटेड ITR दाखिल कर सुधार करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजस्थान आयकर निदेशालय के अधिकारियों – अवधेष कुमार (प्रधान निदेशक), भैराराम चौधरी (अपर निदेशक), ललितेश मीणा और माया चहार के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई।
ताजा अपडेट बुधवार सुबह 10 बजे तक
राजस्थान आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा द्वारा बड़ी कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान में स्थित दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों से जुड़े कुल 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। इन छापों में आयकर अधिकारियों को बीते तीन वर्षों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त चंदे की आड़ में बड़ी हेराफेरी के प्रमाण मिले हैं। जांच में सामने आया है कि इन पार्टियों ने कुछ फर्मों और बिचौलियों के माध्यम से बड़े स्तर पर बोगस डोनेशन दिखाकर करीब 500 करोड़ रुपए की राशि कमीशन काटकर वापस लौटाई, यानी इन फर्जी दानदाताओं को पैसे की गोलमाल प्रक्रिया में शामिल किया गया। इस धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए टैक्स छूट और कटौती की झूठी रसीदों का सहारा लिया गया था।
आयकर विभाग की टीमों को छापों के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, हार्ड ड्राइव, और अन्य डिजिटल उपकरण मिले हैं, जिनकी गहन तकनीकी जांच और डेटा रिकवरी की प्रक्रिया चल रही है। इनसे उन लेन-देन और माध्यमों का पता लगाने की कोशिश हो रही है, जिनके जरिए यह पूरा फर्जीवाड़ा अंजाम दिया गया।
दरअसल, यह छापेमारी केवल राजनीतिक दलों तक ही सीमित नहीं है। देशभर में लगभग 150 ठिकानों पर एक साथ की गई इस बड़ी कार्रवाई के तहत आयकर विभाग ने फर्जी टैक्स छूटों, रिफंड्स और आयकर रिटर्न (ITR) से जुड़ी गड़बड़ियों के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। जांच में यह सामने आया है कि कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट, बिचौलियों और IT फर्म्स ने मिलकर एक संगठित गिरोह के रूप में काम किया, जो आम लोगों, व्यापारियों और संस्थाओं की ओर से फर्जी दस्तावेजों के जरिए टैक्स रिटर्न दाखिल कर टैक्स छूट का अनुचित लाभ ले रहे थे।
इस ऑपरेशन के दौरान महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में सक्रिय कई ग्रुपों, एनजीओ, और निजी संस्थाओं पर भी कार्रवाई हुई है। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि इन सभी ठिकानों के बीच एक आपसी नेटवर्किंग और कमिशन आधारित मॉडल के जरिए टैक्स चोरी को अंजाम दिया गया।
आयकर विभाग अब इस मामले को गंभीर आर्थिक अपराध मानते हुए इसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ साझा करने की तैयारी कर रहा है, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग और PMLA एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो सके।
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