CM भजनलाल का बड़ा फैसला, राजस्थान में कम होंगे 10 जिले, पिछली सरकार के फैसलों का रिव्यू…

CM भजनलाल का बड़ा फैसला, राजस्थान में कम होंगे 10 जिले, पिछली सरकार के फैसलों का रिव्यू…

भजनलाल सरकार बदलेगी जिलों की संख्या, राजस्थान में 40 से अधिक नहीं होंगे जिले

पांच मंत्रियों की कमेटी का गठन, जल्द मिलेगी जिलों पर विस्तृत रिपोर्ट

जयपुर, जोधपुर, कोटा में नगर निगम अब दो की जगह होंगे एक, कुछ जिलों में बनेंगे नए नगर निगम

विजय श्रीवास्तव।

जयपुर। राजस्थान में जिलों की संख्या बढ़कर फिलहाल 50 हो गई है। पिछली गहलोत सरकार ने चुनावों से कुछ समय पूर्व ही लोेगों की मांग पर नए जिलों का गठन किया था। लेकिन भजनलाल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में 10  जिलों के अस्तित्व पर जांच बिठा दी है। यानी गहलोत सरकार में गठित हुए 17  में से 10 जिलों को लेकर रिव्यू होगा। जानकार सूत्रों के अनुसार प्रदेश के 50 जिलों को घटाकर उनकी संख्या 40 करने पर विचार चल रहा है जिस पर जल्द ही नए आदेश जारी होंगे। 

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गौरतलब है कि तत्कालीन गहलोत सरकार के कई फैसलों पर भजनलाल सरकार रिव्यू करने जा रही है जिसके लिए सरकार की ओर से आदेश भी जारी हो चुके हैं। इन जारी आदेशों में कई जयपुर, जोधपुर और कोटा जिलों में से दो दो नगर निगम की जगह एक एक नगर निगम करने की भी तैयारी है। सूत्रों के अनुसार भजनलाल सरकार की मंशा है कि राजस्थान में जिलों की संख्या 40 से अधिक न हो। वहीं शहरों के नगर निगमों की संख्या भी एक एक ही हो। 

 

क्यों गठित किए गए नए जिले और नगर नगर

ऐसा माना जा रहा है कि तत्कालीन गहलोत सरकार में जनता की मांग और जनप्रतिनिधियों की सलाह पर गहलोत सरकार ने प्रशासन के कार्यों को सुगम करने के लिए नए जिलों का गठन किया गया था। वहीं शहरी व्यवस्थाओं में सुधार के लिए बड़े मेट्रोपोलिटन शहरों में दो दो नगर निगम बनाए गए थे। लेकिन क्या गहलोत सरकार का ये फैसला वाकई कारगर रहा या फिर इस फैसले ने सरकार के कामकाज को और पेचीदा-परेशानी वाला बना दिया। क्या वाकई प्रदेश को और नए जिलों की जरूरत थी या  फिर तत्कालीन सरकार ने अपने हित में इन जिलों का गठन किया था। अब भजनलाल सरकार गहलेात सरकार के इस फैसले पर रिव्यू कर रही है। 

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क्यों उठ रहे इन जिलों के गठन पर सवाल 

दरअसल पिछली सरकार में बने 10 जिलों को लेकर पुलिस विभाग ने सरकार को अपनी एक समीक्षा रिपोर्ट भेजी थी जिसमें दूदू-खैरथल-तिजारा को जिला का दर्जा नहीं दिए जाने की मांग की थी। पुलिस के अनुसार बहुत छोटे होने के चलते इनका कार्यक्षेत्र तीन-चार थानों तक सीमित होने की रिपोर्ट सौंपी थी।

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पांच मंत्रियों की कमेटी तैयार करेगी समीक्षा रिपोर्ट

पिछली सरकार के फैसलों में से नए जिलों के गठन के फैसले पर भजनलाल सरकार ने अपने पांच मंत्रियों की कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी ये तय करेगी कि पिछली सरकार ने क्या जिलों के गठन में सही फैसला लिया था या फिर सरकार को अपने फायदों के चलते नए जिलों का गठन किया था। गौरतलब है कि ये कमेटी पिछली सरकार में बने 17 नए जिलों और 3 संभागों का भी रिव्यू करेगी। इस कमेटी में उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा(संयोजक), मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़,कन्हैयाललाल चौधरी, हेमंत मीणा और सुरेश सिंह रावत को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। 

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इन जिलों पर गिर सकती है गाज 

दूदू (जयपुर), डीग (भरतपुर), गंगापुर सिटी (सवाईमाधोपुर), कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर),खैरथल-तिजारा (अलवर), शाहपुरा (भीलवाड़ा), सलूम्बर (उदयपुर), नीमकाथाना (सीकर), केकड़ी (अजमेर), सांचौर (जालोर),अनूपगढ़ (बीकानेर) और फलोदी (जोधपुर) आदि जिलों को फिर से पुराने जिलों में मर्ज किया जा सकता है।  

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इन शहरों से हटेंगे दो नगर निगम, अन्य शहरों को लाएंगे निगम की श्रेणी में

पिछली गहलोत सरकार में बनाए गए तीन शहरों जयपुर, कोटा और जोधपुर से दो दो नगर निगमों की जगह अब पुन: एक-एक निगम बनाने का भजनलाल सकार ने फैसला किया है। फिलहाल इन शहरों में हैरिटेज और ग्रेटर के नाम से दो नगर निगम कार्य कर रहे हैं।

वहीं सरकार के बड़े फैसले के अनुसार अलवर, पाली, भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, नागौर, सीकर और श्रीगंगानगर  में जरूरत के हिसाब से कुछ शहरों को नगर निगम की श्रेणी में लाया जाएगा। हालांकि नियम के अनुसार 5 लाख की आबादी जरूरी है लेकिन सरकार विशेष परिस्थिति में छूट दे सकती है। 

 

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