आखिर धारीवाल पर किसकी मेहरबानी…?, राजे के प्रश्न को भजन सरकार ने किया खारिज…!

आखिर धारीवाल पर किसकी मेहरबानी…?, राजे के प्रश्न को भजन सरकार ने किया खारिज…!

पूर्व कांग्रेसी मंत्री धारीवाल पर मेहरबान कौन?

एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व सीएम वसुंधरा ने खड़ा किया था कठघरे में

अब भजनलाल सरकार ने दी धारीवाल को क्लीनचिट

सुप्रीम कोर्ट में सरकार बोली: कोई मामला बनता ही नहीं

 

राजस्थान ब्यूरो।  एकल पट्टा प्रकरण में 10 वर्ष पहले वसुंधरा राजे (Vsundhara raje) की सरकार ने विधायक शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) सहित तीन अधिकारियों पर एसीबी (ACB) में मामला दर्ज कराया था। पूर्व मंत्री धारीवाल पर भाजपा (BJP) सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। लेकिन फिलहाल राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जवाब पेश करते हुए विधायक शांति धारीवाल को क्लीनचिट दे दी है। भजन सरकार ने कोर्ट में जवाब पेश करते हुए धारीवाल को न सिर्फ निर्दोष बताया बल्कि कोर्ट में ये भी कहा कि उन पर कोई मामला ही नहीं बनता है। 

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क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि 29 जून 2011 में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की ओर से गणपति कंस्ट्रक्शन के शैलेंद्र गर्ग के नाम से एकल पट्टा जारी किया गया था। लेकिन रामशरण सिंह ने 2013 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो( एसीबी) में इसकी शिकायत की थी। शिकायत पर तत्कालीन एसीएस जीएस संधू (GS Sandhu), डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर (Nishkam Diwkar), जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग (Shailendra Garg) और दो अन्य आरोपियों की एसीबी ने गिरफ्तारी की थी। इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश हुआ था। जिसके बाद मामला तूल पकड़ने पर विभाग ने 25 मई 2013 को आनन-फानन में एकल पट्टा निरस्त कर दिया। साथ ही प्रकरण में एसीबी ने पूर्व मंत्री शांति धारीवाल से पूछताछ की थी। 
वहीं सरकार बदलते ही गहलोत सरकार में एसीबी ने मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिसमें सरकार ने इस मामले में पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकरामल सैनी को क्लीन चिट दे दी थी।
इधर एसीबी की दो क्लोजर रिपोर्ट को एसीबी कोर्ट ने खारिज 18 अप्रैल 2022 को कुछ बिंदुओं पर DIG स्तर पर जांच के निर्देश दिए थे। एसीबी की ओर से 19 जुलाई 2022 को तीसरी क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई जिसमें ACB ने एकल पट्टा प्रकरण में किसी भी तरह कोई अनियमित्ताएं नहीं पाए जाने की बात लिखी थी। 
लेकिन हाईकोर्ट (High court) के आदेश के खिलाफ RTI एक्टिविस्ट अशोक पाठक ने SC में SLP दायर की थी। एसएलपी में कहा गया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज केस की एफआईआर को केवल शिकायतकर्ता के राजीनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। एसएलपी में यह भी कहा गया था कि यह राज्य सरकार का केस है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है और राज्य सरकार की ओर से आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस को वापस लेना जनता के हित में नहीं है।
एसएलपी में कहा गया कि हाईकोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद राज्य सरकार की कार्रवाई को सही माना है, जो कि गलत है। इसलिए माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाए। आपको बता दें कि इस एसएलपी में भी सुप्रीम कोर्ट ने धारीवाल को नोटिस भी जारी किया था। 

गहलोत के बाद भजनलाल सरकार से भी धारीवाल को क्लीनचिट

इधर भजनलाल सरकार ने 22 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी में जवाब पेश करते हुए धारीवाल को एकल पट्टा प्रकरणम में निर्दोष बताते हुए कहा कि इसमें राज्य सरकार को किसी भी तरह का कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है, साथ ही एकल पट्टा प्रकरण में पूरी तरह से नियमों की पालना की गई थी। इसलिए एकल पट्टा प्रकरण में कोई मामला बनता ही नहीं है। 

चुनावों के दौरान धारीवाल को लेकर चर्चा का बाजार गर्म 

राजनीतिक गलियारों में धारीवाल को क्लीनचिट मिलते ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। सूत्रों की मानें तो बाजार में ये चर्चा है कि चुनावी दौर में धारीवाल ने कोई बड़ा खेल खेला है। पूर्व सीएम गहलोत के करीबी धारीवाल को यूं ही क्लीनचिट नहीं मिली है, इसमें कोई बड़ा खेला हुआ है। सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में  SLP  दायर कर धारीवाल को क्लीनचिट मामले में आलाकमान का इशारा हुआ है। इसमें मुख्यमंत्री भजनलाल तो सिर्फ लकीर पर चले हैं।  ऐसा भी कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में धारीवाल ने बड़ा खेला किया है। 
बहरहाल खेला क्या हुआ है ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन लोकसभा चुनावों में कोटा लोकसभा सीट के परिणामों से इसका पटाक्षेप संभव है कि आखिर हुआ क्या था। वहीं एकल पट्टा प्रकरण में फंसी शैलेंद्र गर्ग की खासा कोठी पर तैयार हो रही इमारत भी अब जल्द ही साकार रूप ले लेगी। 
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