राजस्थान में प्रशासनिक फेरबदल: 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले…

राजस्थान में प्रशासनिक फेरबदल: 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले…

11 IAS अधिकारियों को मिली जिलों के प्रभारी सचिवों की नई ज़िम्मेदारियां, IAS का ट्रांसफर

11 वरिष्ठ IAS को किया गया जिम्मेदारियों से मुक्त, कौन कौन है शामिल? 

जयपुर, (dusrikhabar.com)। राजस्थान सरकार ने एक अहम प्रशासनिक निर्णय लेते हुए राज्य के 11 जिलों के प्रभारी सचिवों में फेरबदल किया है। प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह बदलाव 28 फरवरी 2024 के बाद पहली बार किया गया है। शेष 38 जिलों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

इस फेरबदल के तहत कई वरिष्ठ IAS अधिकारियों को जिलों की नई ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। यह कदम प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार और अधिकारियों के विभागीय दायित्वों के संतुलन के उद्देश्य से उठाया गया है।

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जिन 11 जिलों में प्रभारी सचिव बदले गए, वे हैं:

चूरू: पर्यटन आयुक्त रूक्मणि रियार

अलवर: ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव अजिताभ शर्मा

ब्यावर: आजीविका परियोजनाओं की स्टेट एमडी नेहा गिरी

सलूंबर: RRECL व IT सर्विसेज लिमिटेड के एमडी ओमप्रकाश कसेरा

फलौदी: उद्योग आयुक्त रोहित गुप्ता

सवाईमाधोपुर: यूडीएच विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. देवाशीष पृष्टि

बारां: RAJFED के एमडी टीकमचंद बोहरा

राजसमंद: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष डॉ. रवि कुमार सुरपुर

चित्तौड़गढ़: उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता

करौली: समग्र शिक्षा अभियान की स्टेट मिशन निदेशक अनुपमा जोरवाल

बालोतरा: स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के सीईओ हरजीलाल अटल

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कई अधिकारियों को जिले प्रभार से किया गया मुक्त

इस परिवर्तन के साथ ही 11 वरिष्ठ IAS अधिकारियों को जिलों की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है, जिनमें भास्कर ए सावंत, वैभव गालरिया और जोगाराम जैसे अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों को यह राहत उनके मौजूदा विभागीय कार्यभार की अधिकता के कारण दी गई है।

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तीन जिलों में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के कारण बदलाव

चित्तौड़गढ़, राजसमंद और करौली में नए प्रभारी सचिवों की नियुक्ति पूर्ववर्ती अधिकारियों के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद की गई है।

राज्य सरकार का यह कदम साफ तौर पर यह संकेत देता है कि वह प्रभावी प्रशासन, ज़मीनी निगरानी और ज़िला स्तर पर नीति क्रियान्वयन को और सशक्त बनाना चाहती है। इन नियुक्तियों से न केवल जिलों में बेहतर समन्वय की उम्मीद है, बल्कि यह वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यभार के संतुलन की दिशा में भी एक अहम प्रयास माना जा रहा है।

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