ऊंट महोत्सव के लिए आवण री मनुहार, बीकानेर में बटेंगे पीले चावल…

ऊंट महोत्सव के लिए आवण री मनुहार, बीकानेर में बटेंगे पीले चावल…

बीकानेर ऊंट महोत्सव 2025:

ऊंट उत्सव प्रदेश की जीवंत विरासत और सांस्कृतिक धरोहर का जश्न है-विजयपाल सिंह

“आवण री मनुहार” के साथ बीकानेर में वितरित होंगे पीले चावल

10 से 12 जनवरी तक आयोजित होगा ऊंट उत्सव

जयपुर,(dusrikhabar.com)। बीकानेर ऊंट उत्सव का आयोजन 10 से 12 जनवरी तक किया जाएगा। इस तीन दिवसीय फेस्टिवल के दौरान देशी व विदेशी पर्यटकों को राजस्थानी परम्परा, संस्कृति और रोमांच का खासा अनुभव होगा। 

पर्यटन आयुक्त IAS विजयपाल सिंह

पर्यटन विभाग के आयुक्त विजयपाल सिंह के अनुसार यह केवल ऊंट उत्सव नहीं है वरन यह राजस्थान की जीवंत विरासत और सांस्कृतिक धरोहर का जश्न है। यह ऊंट महोत्सव आवण री मनुहार के साथ शुरू होता है और प्रदेश के राज्यपशु ऊंट के सामाजिक. सांस्कृतिक व आर्थिक जीवन के महत्व को दर्शाने का सशक्त माध्यम भी है। यहां रेत के धोरों का रोमांच का अनुभव पर्यटकों को राजस्थान की आत्मा से जोड़ता है।

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उपनिदेशक बीकानेर अनिल राठौड़ के अनुसार महोत्सव का पहला कदम है “आवण री मनुहार”, जिसमें पारंपरिक रूप से पीले चावल बांटकर बीकानेर के निवासियों को आमंत्रित किया जाता है। यह रस्म 2 जनवरी से लक्ष्मीनाथ मंदिर से शुरू होगी और शहर में पीले चावल वितरित किए जाएंगे। यह सांस्कृतिक निमंत्रण बीकानेर की प्राचीन परंपराओं को जीवंत करता है।

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पहला दिन: विरासत की झलक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

10 जनवरी को महोत्सव की शुरुआत “हमारी विरासत” हेरिटेज वॉक से होगी। यह वॉक सुबह 8 बजे लक्ष्मीनाथ मंदिर से शुरू होकर रामपुरिया हवेली तक जाएगी। रास्ते में बीकाजी की टेकरी, बड़ा बाजार, मोहता चौक और सूरसागर जैसे ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा। इधर हेरिटेज वॉक के बाद सूरसागर में मेहंदी और रंगोली प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। शाम को धरणीधर मैदान में “कलासंगम” नामक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा, जहां लोक कलाकार अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से माहौल को जीवंत करेंगे।

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दूसरा दिन: ऊंटों का जलवा और ग्रामीण खेल

11 जनवरी को सुबह 9 बजे से “ऊंटों रे मैदान” कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान केंद्र में ऊंट नृत्य, कैमल फर कटिंग, ऊंटों की सजावट, और हॉर्स शो जैसे आकर्षक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। दोपहर में “बीकाणा री शान” शोभायात्रा जूनागढ़ फोर्ट से करणीसिंह स्टेडियम तक निकाली जाएगी। वहीं शाम को करणीसिंह स्टेडियम में “मिस्टर बीकाणा” और “मिस मारू” प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। इसके साथ ही, “ढोला मारू” शो और राजस्थानी लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।

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तीसरा दिन: रोमांच और रेत का समंदर

12 जनवरी को महोत्सव का तीसरा दिन रोमांच और दमखम से भरपूर होगा। बीकानेर शहर से अट्ठारह किलोमीटर दूर स्थित रायसर में ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिताएं जैसे रस्साकस्सी, कबड्डी, खो-खो, मटका दौड़ और रेत दौड़ आयोजित की जाएंगी। दोपहर में “रेत का समंदर” कार्यक्रम के तहत ऊंट सफारी और सैंड आर्ट एग्जिबिशन आयोजित होगी। यह कार्यक्रम रोमांचक अनुभवों के साथ पर्यटकों को रेगिस्तान की अनूठी छटा दिखाएगा।

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शाम को “भारत की महक” कार्यक्रम में अग्नि नृत्य और भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां होंगी। महोत्सव के समापन के दिन पुराने शहर की सैर, तांगा राइड, बीकानेरी व्यंजनों का स्वाद, और उस्ता कला व मिनिएचर आर्ट का अनुभव कराया जाएगा। इसके साथ ही जोडबीड में बर्ड वॉचिंग का आयोजन भी होगा।

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