दिल्ली हाईकोर्ट से पतंजलि, बाबा रामदेव को बड़ा झटका, डाबर की याचिका पर पतंजलि का विज्ञापन बैन…!

दिल्ली हाईकोर्ट से पतंजलि, बाबा रामदेव को बड़ा झटका, डाबर की याचिका पर पतंजलि का विज्ञापन बैन…!

दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन पर लगाई रोक

डाबर ने कहा- हमारे प्रोडक्ट की छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा

विवादों से है बाबा रामदेव का पुराना नाता

शरबत लॉचिंग पर भी शरबत जिहाद वाले बयान पर कोर्ट ने कहा था बयान माफी लायक नहीं 

 

दिल्ली ब्यूरो, (dusrikhabar.com)। पतंजलि आयुर्वेद और डाबर इंडिया के बीच च्यवनप्राश विज्ञापन को लेकर शुरू हुई कानूनी जंग में बड़ा मोड़ आया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को निर्देश दिया है कि वह डाबर के च्यवनप्राश को लेकर कोई भी नकारात्मक या भ्रामक विज्ञापन नहीं चलाए। यह आदेश कोर्ट ने डाबर की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।

डाबर ने अदालत में तर्क रखा कि पतंजलि का विज्ञापन न केवल उनके उत्पाद को बदनाम करता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी गुमराह करता है। च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे नियमानुसार बनाना जरूरी होता है। ऐसे में पतंजलि द्वारा अन्य ब्रांड्स को ‘सामान्य’ बताना भ्रामक और हानिकारक है।

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डाबर की याचिका में कहा गया है कि पतंजलि के विज्ञापन में बाबा रामदेव डाबर के उत्पाद को आयुर्वेद की परंपरा से दूर बताकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। इस प्रचार में यह भी दावा किया गया कि जिनको वेद और आयुर्वेद का ज्ञान नहीं, वे पारंपरिक च्यवनप्राश बना ही नहीं सकते।

डाबर ने यह भी दावा किया कि वह 40+ जड़ी-बूटियों से बना च्यवनप्राश बनाता है और भारत के च्यवनप्राश बाजार में 60% से अधिक हिस्सेदारी रखता है। पतंजलि का यह विज्ञापन उनकी मार्केट छवि को सीधा नुकसान पहुंचा रहा है।

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कोर्ट का आदेश और अगली सुनवाई

हाईकोर्ट की जस्टिस मिनी पुष्करणा ने पतंजलि के विज्ञापन पर फिलहाल रोक लगा दी है और अगली सुनवाई 14 जुलाई को रखी गई है। इस केस में डाबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी और पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर और जयंत मेहता पेश हुए।

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पिछले विवाद: शरबत पर विवादित बयान

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि विवादों में घिरा है। अप्रैल 2025 में बाबा रामदेव ने पतंजलि शरबत लॉन्च करते हुए ‘शरबत जिहाद’ जैसी टिप्पणी की थी, जिससे धार्मिक विवाद खड़ा हो गया था। इस पर हमदर्द लैबोरेट्रीज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

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जस्टिस अमित बंसल ने उस बयान पर नाराजगी जताई और कहा कि यह ‘माफी लायक नहीं’ है। रामदेव ने बाद में सभी विवादित वीडियो हटाने का आश्वासन दिया और एफिडेविट दाखिल करने का आदेश भी उन्हें दिया गया।

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