राजस्थान की लोक कला का उत्सव अल्बर्ट हॉल में

राजस्थान की लोक कला का उत्सव अल्बर्ट हॉल में

अलगोजा की सुरमयी संध्या

‘कल्चर डायरीज’ श्रृंखला में लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियां

जयपुर (Dusrikhabar.com)। शुक्रवार को विश्व विरासत दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में जैसलमेर से पधारे प्रसिद्ध अलगोजा वादक तगाराम भील और उनके 13 सदस्यीय दल ने दर्शकों को राजस्थानी लोक संगीत की आत्मा से रूबरू कराया।

कार्यक्रम में न केवल घरेलू बल्कि बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों ने भी भाग लिया और राजस्थान की विलुप्तप्राय लोक वाद्य यंत्रों से निकली स्वरलहरियों दर्शक अभिभूत हो गए। इन स्वरलहरियों के साथ प्रदेश के आंचलिक गायन ने फिजां में घुली मिठास को दोगुना कर दिया।

राजस्थान की जीवंत लोक संस्कृति और परंपरागत कलाओं को वैश्विक मंच देने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी की पहल पर पर्यटन विभाग द्वारा शुरू की गई लोकप्रिय सांस्कृतिक श्रृंखला ‘कल्चर डायरीज’ की अलबेली शाम शुक्रवार को अल्बर्ट हॉल में संगीतमयी अंदाज़ में सजी।

Read Also:  गीतांजलि में मां की ममता को समर्पित मदर्स डे पोस्टर विमोचन समारोह…

राजस्थानी विरासत के स्वरलहरियों से गूंजा अल्बर्ट हॉलः-

कार्यक्रम की शुरुआत तगाराम भील के अलगोजा वादन से हुई, जो दर्शकों को थार के रेगिस्तान की शांत लेकिन सजीव धड़कनों से जोड़ गया। उनके साथ कलाकारों ने मोरचंग, रावणहत्था, कामायचा, खड़ताल, नाद, ढोलक और मटकी जैसे पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों के जरिए समां बांध दिया। सुरों की इस दुनिया में जब लोक गायन की मिठास घुली तो समूचा अल्बर्ट हॉल परिसर मंत्रमुग्ध हो गया।

बचपन से साधना, 35 देशों तक सुरों का सफरः-

जैसलमेर के मूलसागर गांव से आने वाले तगाराम भील ने अलगोजा वादन की कला अपने पिता टोपणराम से सीखी थी। उन्होंने बाल्यकाल में चोरी-छुपे अलगोजा बजाना शुरू किया और आज वे 35 से अधिक देशों में अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। उनकी कला ने न केवल उन्हें बल्कि उनके समुदाय को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।

Read Also:  मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर में “खेल की सफलता के लिए मनोविज्ञान” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

बाल कलाकार की प्रस्तुति और कालबेलिया का रोमांचः-

इस प्रस्तुति में एक बाल कलाकार द्वारा दी गई गायन प्रस्तुति ने दर्शकों का विशेष ध्यान खींचा। कार्यक्रम के समापन पर कालबेलिया कलाकारों ने अपने जीवंत नृत्य से सभी को थिरकने पर विवश कर दिया। लोकगीतों – “धरती धोरा री”, “केसरिया बालम”, और “लेता जाइजो रो…” की प्रस्तुति ने सभी को रसविभोर कर दिया।

शनिवार को भी संस्कृति का उत्सव जारी रहेगाः-

‘कल्चर डायरीज’ श्रृंखला के अंतर्गत शनिवार 19 अप्रैल की शाम भी लोक सांस्कृतिक रंगों से सराबोर रहेगी। उदयपुर के धरोहर संस्थान द्वारा प्रस्तुत चरी, घूमर, भवई, तेहर ताली, गवरी और मयूर नृत्य दर्शकों को एक बार फिर राजस्थान की विविध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराएंगे। इन नृत्यों की विशेषता यह है कि ये राजस्थान की क्षेत्रीय विविधताओं को समेटे हुए हैं और हर प्रस्तुति में परंपरा, समर्पण का संगम देखने को मिलेगा।

Read Also:  Akshay Kumar, Ananya Panday, R Madhavan Seek Blessings At Golden Temple Before Release

उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी की पहल का परिणाम: लोक संस्कृति को मिला नया मंच

‘कल्चर डायरीज’ श्रृंखला की परिकल्पना उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दिया कुमारी द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य न केवल लोक कलाकारों को मंच प्रदान करना है, बल्कि जयपुर आने वाले घरेलू व विदेशी पर्यटकों को एक सांस्कृतिक अनुभव देना भी है। यह आयोजन न सिर्फ लोक कलाओं के संरक्षण में योगदान दे रहा है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का भी कार्य कर रहा है।

CATEGORIES
TAGS
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus ( )

अपने सुझाव हम तक पहुंचाएं और पाएं आकर्षक उपहार

खबरों के साथ सीधे जुड़िए आपकी न्यूज वेबसाइट से हमारे मेल पर भेजिए आपकी सूचनाएं और सुझाव: dusrikhabarnews@gmail.com