वक्फ संशोधन बिल पर इतना बवाल क्यों, किसके इशारे पर राजनीति? वाकई बिल से मुस्लिमों को नुकसान?

वक्फ संशोधन बिल पर इतना बवाल क्यों, किसके इशारे पर राजनीति? वाकई बिल से मुस्लिमों को नुकसान?

वक्फ संशोधन बिल के बारे में वो सब कुछ जो हर भारतीय मुस्लिम-गैर मुस्लिम को जानना चाहिए… 

वक्फ संशोधन बिल पर अब क्या बाकी, देशभर में विरोध क्यों, किसे फायदा, किसे नुकसान?

वक्फ संशोधन बिल पर राष्ट्रपति की मुहर बाकी, 

लेकिन कुछ राज्यों में वक्फ संपत्ति बिल को लेकर वाकई प्रदर्शन या इसके पीछे है राजनीति 

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बहुमत से पास हुआ वक्फ संशोधन बिल 

लोकसभा में मिले 288 वोट वहीं 232 सांसदों ने किया विरोध 

राज्यसभा में 128 सांसदों ने किया समर्थन तो 95 सांसद रहे वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ 

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अंसारी, क्या अंसारी बचा पाएंगे पुराने बिल के नियम या लागू होगा नया कानून 

राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बन जाएगा वक्फ संशोधन बिल 

 

विजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार

दिल्ली, (dusrikhabar.com)। लोकसभा और फिर राज्यसभा में बहुमत से पास होने के बाद अब केवल राष्ट्रपति की मुहर लगते ही वक्फ संशोधन बिल कानून बन जाएगा। लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों की बिल के संशोधन के पक्ष में वोटिंग के बाद अब इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर भर का इंतजार है। संसद में बड़े हंगामे के बाद वोटिंग की प्रक्रिया से वक्फ संशोधन बिल पारित हो चुका है। लेकिन अभी भी विपक्षी दल की ओर से लगातार इसका विरोध जारी है। देशभर में कई राज्यों में इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

विपक्षी नेताओं की रुठा मटकी अभी भी जारी है। अब कांग्रेस के वरिष्ठ जयराम रमेश ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उनके साथ साथ कुछ मुस्लिम संगठन भी संशोधित बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

क्या होगा सुप्रीम कोर्ट में इस संशोधन बिल का?

अब पहला सवाल तो ये ही है कि क्या संसद में बने कानून की सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा की जा सकती है। क्या देश की न्यायपालिका संसद में बने कानून जिस पर राष्ट्रपति की मुहर लगी हो को रद्द कर सकती है?

कानून के विशेषज्ञों के अनुसार यदि सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगे कि संसद में बना कोई भी कानून संविधान के विरुद्ध है तो सुप्रीम कोर्ट उसे रद़्द करने का अधिकार रखता है। हालांकि आमतौर पर ऐसा होता नहीं है, संसद को संविधान में संशोधन करने की अधिकार तो मिला है लेकिन वह उसके मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित कुछ मुस्लिम नेताओं ने केंद्र सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल-2025 को चुनौती देते हुए कहा है कि यह बिल संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। 

जानिए क्या है वक्फ

दरअसल यह अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ठहरना या रुकना है, इस्लाम धर्म के अनुसार यह दान देने का एक तरीका है। जिसमें कोई भी अपनी मर्जी से अपनी चल या अचल संपत्ति धर्म के नाम पर डोनेट कर सकता है और यह भी तय कर सकता है कि वह किस काम में ली जानी चाहिए, जैसे धार्मिक स्कूल, मस्जिद, अनाथआलय या कब्रिस्तान के लिए खर्च की जा सकती है और ऐसी सभी संपत्तियां वक्फ संपत्ति कहलाएंगी। 

क्या है वक्फ संशोधन बिल

आजादी के बाद 1950 के दशक में वक्फ संपत्तियों की सार-संभाल के लिए एक कानूनी संस्था जरूरत लगने लगी। इस पर 1954 में संसद में ‘वक्फ एक्ट’ के नाम से एक कानून बनाकर ‘सेंट्रल वक्फ काउंसिल’ का प्रावधान किया गया जिसमें 1955 में ही एक नया बदलाव कर भारत के हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड बनाने की शुरुआत हुई, इधर 1964 में पहली बार सेंट्रल वक्फ काउंसिल का गठन किया गया। आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 32 वक्फ बोर्ड मौजूद हैं जो इनकी संपत्तियों की देखरेख कर रहे हैं। वहीं बिहार और कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाए गए हैं। गौरतलब है कि अब संसद में 1954 के बने इसी कानून में बदलाव के लिए केंद्र सरकार ने ‘वक्फ संशोधन बिल’ का प्रस्ताव रखा जो दोनों सदनों में बहुमत से पास हो गया है।

वक्फ संशोधन बिल पुराने और नए में अंतर  

पुराने वक्फ बिल में किए गए संशोधनों का मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल मिलकर केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। जबकि अधिकतर मुस्लिम संगठनों ने इस संशोधन बिल का स्वागत भी किया है।

क्या है दोनों में फर्क: उल्लेखनीय है कि पुराने बिल के अनुसार वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर अधिकार जताता है तो उस संपत्ति का मालिक सिर्फ ‘वक्फ ट्रिब्यूनल’ में ही इसके खिलाफ अपील कर सकता था लेकिन नए कानून के अनुसार रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या अन्य ऊपरी कोर्ट में अपील करना मुमकिन होगा।

पुराने बिल के मुताबिक वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम है, उसे चुनौती देना संभव नहीं जबकि नए बिल के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है।

पुराने बिल के अनुसार अगर किसी जमीन पर मस्जिद हो या उसका इस्तेमाल इस्लाम धर्म के कार्यों के लिए हो रहा है तो वह अपने आप ही वक्फ संपत्ति बन जाएगी जबकि नए बिल के अनुसार जब तक संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान नहीं की गई हो तब तक उस पर वक्फ का अधिकार नहीं होगा। पुराने बिल के मुताबिक वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य धर्मों के लोगों को स्थान नहीं था जबकि नए बिल में मुस्लिम समाज की दो महिलाओं और दो अन्य धर्म के लोगों को शामिल किया जाना जरूरी होगा। 

वक्फ संशोधन बिल में क्या है विवाद का मुख्य कारण

आपको बता दें कि यहां नए बिल में विवाद का मुख्य कारण ये है कि इसमें दो महिलाओं और दो अन्य धर्मों के लोगों को बोर्ड का सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव है जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय का कहना है इससे वक्फ की पंरपरा बदलेगी और स्वरूप भी, वहीं मुस्लिम समुदाय का कहना है कि गैर मुस्लिम सदस्य की नियुक्ति से वक्फ की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी।

इसके अलावा वक्फ संपत्तियों को जिला मजिस्ट्रेट ऑफिस में रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा लेकिन मुस्लिम समुदाय को डर है कि इससे वक्फ की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा।

नए बिल में ये भी प्रस्ताव है कि ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी हालांकि अभी ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम माना जाता रहा है। इसको लेकर भी मुस्लिम समुदाय का विरोध है।

नए बिल के मुताबिक दान में जब तक कोई संपत्ति नहीं मिली हो वक्फ उस पर दावा नहीं सकता, वक्फ को ऐसा लगता है कि इससे वक्फ की संपत्तियां सीमित रह जाएंगी। आपको बता दें कि देशभर में वक्फ बोर्ड के पास जितनी भी संपत्तियां हैं उनमें रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड का तीसरा स्थान है। देशभर में रेलवे के पास 33लाख एकड़ सेना के पास 17लाख एकड़ जमीन है वहीं वक्फ बोर्ड 9.4लाख एकड़ जमीन पर अपना दावा बताता है। 

मुस्लिमों का बड़ा समुदाय क्यों नहीं कर रहा वक्फ संशोधन बिल का विरोध

दरअसल मुस्लिमों को गलत जानकारियां देकर अब तक राजनेता अपना उल्लू सीधा कर रहे थे सीएए के बारे में भी मुस्लिम समुदाय के साथ आला नेताओं ने गलत जानकारी साझा कर उन्हें उकसाया लेकिन जब उन्हें पता चला कि CAA उनके हित में है तो उन्होंन विरोध बंद कर दिया। लेकिन इस बार वक्फ संशोधन बिल के समय मुस्लिम समुदाय को समझ आ गया है कि वक्फ बोर्ड अपने अधिकारों का गलत फायदा उठा रहा था और इस नए बिल से मुस्लिम समुदाय को अपनी संपत्ति पर पूरा अधिकार मिलेगा और विवाद होने पर सुप्रीम कोर्ट तक में दावा किया जा सकेगा तो इस समुदाय में खुशी की लहर है। इतना ही नहीं उन्हें अब यह भी समझ आ गया है कि वक्फ बोर्ड संशोधन से नुकसान की जगह फायदा ज्यादा होगा। अधिकतर मुसलमान वक्फ बिल के विरोध को सीरियसली नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है यह धर्म का नहीं संपत्ति का मसला है। मुसलमानों को पता है कि सरकार जितना कह रही है उसका बीस प्रतिशत भी सही हो गया तो उनका इसमें फायदा ही होगा। 

मुसलमानों के लिए खुशियां लेकर आ रहा है वक्फ संशोधन बिल 

भारतीय सूफी फाउंडेशन अध्यक्ष कशिश वारसी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 का स्वागत किया और मुसलमानों से अपील की कि वे इस विधेयक को ठीक से पढ़ें। कशिश वारसी ने अपने एक बयान में कहा कि “मैं संसद में इस विधेयक के पारित होने पर सरकार को बधाई देता हूं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण से यह स्पष्ट हो गया है कि वक्फ विधेयक से मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं है। मैं देश के मुसलमानों से अपील करना चाहता हूं कि वे इस विधेयक को पढ़ें। उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियों ने भाजपा के नाम पर डर फैलाया है, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि मुसलमानों का दोस्त कौन है और दुश्मन कौन? वक्फ बिल गरीब मुसलमानों के लिए एक तोहफा लेकर आने वाला है”

बहरहाल वक्फ संशोधन बिल को लेकर अभी और भी कई वाद-विवाद बाकी हैं लेकिन ये बात तय है कि सुप्रीम कोर्ट कानून को सर्वोपरी रखकर समाज विशेष से प्रभावित न होकर अपना अहम निर्णय भारत के करीब 143करोड़ लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए कानून सम्मत और संविधान के अनुरूप अपना फैसला सुनाएगा।  

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