मैं महाकुंभ नहीं जाउंगा: थरूर, लेकिन मोदी सरकार की तारीफ क्यों की…?

मैं महाकुंभ नहीं जाउंगा: थरूर, लेकिन मोदी सरकार की तारीफ क्यों की…?

बदल रहा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का “प्रोस्पेक्ट”

JLF में ऐसा पहली बार, जब शशि थरूर ने नहीं दिया कोई विवादित बयान, 

मंदिर जाने या नहीं जाने से मेरी श्रद्धा और आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता: थरूर

मेरा जब मन करेगा राम मंदिर जाउंगा, यह किसी पार्टी का विषय नहीं: शशि थरूर

थरूर बोले- सेना पर सबसे ज्यादा बजट बहुत बढ़िया फैसला, चीन जैसे देशों की आंखों में डर तभी रहेगा जब सेना मजबूत होगी।

 

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर, (dusrikhabar.com)। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के 18 वें संस्करण के चौथे दिन पत्रकारों से बात करते हुए सांसद और लेखर शशि थरूर(Shashi Tharur) अपने चिर परिचित अंदाज से जुदा जुदा नजर आए। शायद जेएलएफ में ऐसा पहली बार था जब उन्होंने कोई विवादित बयान नहीं दिया। नहीं तो अक्सर जेएलएफ में विवादित बयानों से लोग ट्रोल हो जाते हैं।

जेएलएफ(Jaipur literature festival) में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए बजट पर शशि थरूर ने कहा कि अगर आप दिल्ली या बिहार से हैं या फिर आप नौकरीपेशा हैं तो आपको कुछ फायदा है नहीं तो आम आदमी के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया अगर आपके पास रोजगार नहीं तो इस बजट से आपको कहां उम्मीद मिली है कि आपको काम मिलने वाला है। हमारे देश में इन्वेस्टर्स नहीं टिक रहे हैं पिछले साल हमारे देश के हजारों डॉलर मिलेनियर्स विदेशों में जाकर बस गए, NRI हो गए, सरकार ऐसे निवेशकों को सुविधाएं दे और यहां रहने लिए प्रोत्साहित करे ताकि यहां रहकर वो देश में लोगों के लिए रोजगार पैदा करें और भारत की अर्थव्यवस्था में सहयोग करें। ये सरकार को खुद से सवाल करना होगा कि आखिर वो क्यों नहीं यहां रुकना चाहते हैं। मैं बजट में इस बात को लेकर निराश हुआ कि किसी ने बेरोजगारी शब्द तक इस्तेमाल नहीं किया। जब महंगाई बढ़ रही है तो टैक्स में छूट देकर सरकार लोगों को वो राहत नहीं दे रही जो उन्हें मिलनी चाहिए।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सांसद और लेखक शशि थरूर पत्रकारों से रूबरू होते हुए।

  “…सरकार जो भी करे मैं समर्थन देने के लिए तैयार हूं”

बजट में सेना और शिक्षा को लेकर शशि थरूर ने कहा कि मैं जो समझता हूं अभी भी हमारी आर्मी में ऑफिसर्स की कमी है। हमारे ऑफिसर्स पीछे रहकर कमांड देने की जगह खुद जंग के मैदान में लड़ते हैं। कारगिल युद्ध में हमारे ऑफिसर्स लड़े और शहीद हुए। ऑफिसर्स की कमी को पूरा करने के लिए सरकार जो भी करे मैं समर्थन देने के लिए तैयार हूं। हम 1948 से जीडीपी का 6फीसदी शिक्षा पर खर्च करने की बात कर रहे हैं लेकिन अभी तक उस लेवल पर नहीं पहुंच पाए हैं।

लगातार 10 साल रहने के बाद भी मोदी सरकार 4.8फीसदी तक ही पहुंची है। थरूर ने कहा कि इसके लिए रिसोर्सेज लाइये और अपने दूसरे खर्चों की प्राथमिकता भी तय करनी चाहिए। ये नहीं होना चाहिए कि आप किसी विषय पर नारा तो दें लेकिन उसके साथ पैसा खर्च करने को तैयार नहीं हैं।

महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर थरूर ने कहा कि हम टैक्स पेयर्स का पैसा है उसे सरकार सोच संभलकर खर्च करे सरकार को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए, सरकार ने बजट में टैक्स में छूट दी है सेना और शिक्षा पर काफी बजट खर्च करने की बात कही है इसके लिए केंद्र सरकार की तारीफ है।

थरूर ने आम आदमी की बात करते हुए कहा कि सरकार को देश के सबसे गरीब आदमी या औरत के बारे में सोचकर उनके लिए क्या कर सकते हैं ये आपके मन में पहला प्रश्न होना चाहिए। मुझे ऐसा लगता है कि सरकार में एक ये कमी है।

आपका धर्म, आप उसे कैसे निभाते हैं, ये किसी पार्टी का विषय नहीं: थरूर

धर्म एक व्यक्ति का होता है। हिंदू धर्म हमें सिखाता है कि आप खुद में सत्य तलाशें, आप घर में बाहर या मंदिर में अपनी आस्था रखते हैं कोई राजनीतिक पार्टी आपको नहीं सिखाती है कि आपको किस धर्म में आस्था रखनी चाहिए। धर्म के बारे में न मुझे, न किसी पार्टी को बोलने का अधिकार है कि आप इस धर्म के साथ जाओ या न जाओ। लेकिन जब राम मंदिर का विषय सामने आता है तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं हिंदू हूं मुझे वहां जाना चाहता हूं और जाउंगा भी लेकिन वो मैं तय करूंगा कि कब राम मंदिर जाऊंगा और परिवार या दोस्त, किसके साथ जाउंगा ये पार्टी का विषय कभी नहीं होगा। (Will I go to Ram temple or not, with whom and when? I don’t give anyone the right to speak about this: Tharoor)

प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करते साधु संन्यासी।

मैं महाकुंभ नहीं जाउंगा, किसी वीवीआईपी को भी नहीं जाना चाहिए: शशि थरूर

महाकुंभ में जाने को लेकर थरूर ने कहा कि मैं महाकुंभ जाना चाहता हूं और मेरे मंत्री मित्र भी मुझे इसमें मदद करेंगे, मुझे ऐसा भी लगता है कि मुझे वहां वीवीआईपी ट्रीटमेंट भी मिलेगा लेकिन जरा सी बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगती। साथ ही महाकुंभ या ऐसे आयोजनों में वीवीआईपी के जाने से लोगों को कितनी असुविधा होगी उसका भी मुझे ख्याल है। थरूर ने कहा मुझे याद है कि जवाहर लाल नेहरू के समय 1954 में जब मैं इलाहाबाद गया था तब मैं उस इलाके में नहीं था लेकिन तब हादसे में 300-400 लोगों का देहांत हो गया था तब उन्होंने कहा कथा कि वीवीआईपी को ऐसे अवसरों में जाने से बचना चाहिए क्योंकि उनके लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं प्रशासन को करनी पड़ती हैं। ऐसे में लोगों की परेशानी का सबब मैं नहीं बनना चाहता, इसलिए मैं महाकुंभ में नहीं जाउंगा।(I will not go to Mahakumbh, no VVIP should go either: Shashi Tharoor)

और वैसे भी मेरा विश्वास एक जगह में जाकर नहीं होता मैं मंदिर जाता हूं कभी कभी लेकिन मेरी रोज की प्रार्थना मेरे ही घर में होती है। उन्होंने ये भी कहा कि मैं किसी को हक नहीं देता कि कोई मेरे धर्म को जज करे।

जेएलएफ के फ्रंट लॉन में फिर भी दिल है हिंदुस्तानी सेशन में सांसद शशि थरूर।

पत्नी की मौत पर दर्द बांटने वाले चाहिए थे, मीडिया ट्रोल किया:

फिर भी दिल है हिंदुस्तानी सेशन में लोगों से रूबरू होते होते हुए पत्रकार वीर सांघवी के सवालों का जवाब देते हुए शशि थरूर ने कहा कि जब मुझे मेरा दर्द बांटने वालों जरूरत थी तब मुझे मीडिया ने निशाने पर ले लिया। मेरी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के समय मीडिया ने मुझे बहुत ट्रोल किया। लेकिन अब मैं खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने से बेहतर लिखना और पढ़ना जरूरी समझता हूं।(Tharoor said in the Bhi Dil Hai Hindustani session, when people who shared the pain were wanted, then the media targeted them.)

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