जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सांसद-समाजसेवी सुधा मूर्ति के छलके आंसू…!

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सांसद-समाजसेवी सुधा मूर्ति के छलके आंसू…!

“माई मदर, माई लाइफ” सेशन में भावुक हुईं सुधा मूर्ति

पूर्व ब्रिटिश पीएम, दामाद ऋषि सुनक और बेटी अक्षता मूर्ति के बीच छलके आंसू 

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर,(dusrikhabar.com)। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आज तीसरा दिन है। आज यानि शनिवार को सांसद और समाजसेवी सुधा मूर्ति से उनकी बेटी की बातचीत के बाद दोनों मंच पर ही काफी भावुक हो गईं। JLF के “माई मदर, माइ लाइफ” सेशन में सुधा मूर्ति से उनकी बेटी अक्षता मूर्ति ने सवाल जवाब किए। 

सेशन में सुधा मूर्ति के पति इंफोसिस के सह संस्थापकों में से एक नारायण मूर्ति और उनके दामाद एवं पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी मौजूद रहे। दामाद और पति ने लोगों के बीच बैठकर मां और बेटी के इस सेशन को संजीदगी से सुना।

जेएलएफ में मंच पर मौजूद सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षता मूर्ति

read also: मिडिल क्लास को टैक्स में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा तोहफा…

बच्चों को पार्टी करने से क्यो रोकती थी?

अक्षता ने अपनी मां सुधा से कई पर्ससन सवाल भी किए जो उनकी पर्सनल लाइफ का हिस्सा थे। इस सवालों में उनका बचपन, परवरिश और जीवन के आदर्श के बारे में कई सवाल किए। अक्षता ने बचपन में पार्टी से बच्चों को रोकने के कारण को लेकर सवाल किया।  इस पर अक्षता की मां सुधा मूर्ति ने कहा कि मैंने अपने बच्चों को हमेशा से यही सिखाया है कि सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है। क्योंकि अगर आप जीवन में सादगी और ईमानदारी रखते हो तो आपका जीवन खुशहाल बनने से कोई नहीं रोक सकता। 

read also:राजस्थान प्रशासनिक सेवा के 113 RAS अफसरों का तबादला

आदर्शवादी केवल बचपन तक ही सीमित?

अक्षता ने अपनी मां से सवाल पूछा कि क्या आदर्शवादिता बचपन तक ही सीमित रहती है? इस पर सुधा मूर्ति ने जवाब दिया कि मैं 74 साल की उम्र में भी आदर्शवादी हूं। मैंने अपने बच्चों को भी यही सीख दी है कि सच्चाई से बढ़कर कुछ नहीं। जैसा आप सोचते हो वैसा ही बोलना चाहिए और वैसा ही करना भी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके पिता भगवान की पूजा में विश्वास नहीं करते थे लेकिन वो प्राणी सेवा में विश्वास रखते थे। 

read also: महाकुंभ में पहुंचे 77 देशों के 118 खास अतिथि, बोले- ‘हम हिंदू संस्कृति को समझने के लिए आए’

किताबों से क्या मिलता है?

बेटी अक्षता के सवाल कि किताबों को कैसे पढ़ते हो और उनके क्या सीख मिलती है? के जवाब में सुधा मूर्ति ने कहा कि किताबों से ज्ञान मिलता है जो जीवन के अंधकार को दूर का आपका मार्गदर्शन कर आपके अज्ञान को दूर करती हैं। आपको बता दें कि किताबे पढ़ना सुधा के लिए बेहद ही पसंदीदा विषय है। इसलिए उन्होंने इसका काफी संजीदगी से जवाब दिया। उन्होंने ये भी कहा कि सभी पिता पुत्रों से और मां बेटियों से अधिक प्यार करती हैं। 

जेएलएफ में बेटी अक्षता दामाद ऋषि सुनक और पति नारायण मूर्ति के साथ साथ सांसद और समाजसेवी सुधा मूर्ति

read also:राजस्थान बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 53 IAS, 24 IPS, 34 IFS अफसरों का ट्रांसफर

लाइफ के लिए पढ़ो। यह सोच कैसे आई?

सुधा मूर्ति ने इसके जवाब में कहा कि मैं शिक्षकों के परिवार से हूं। सिर्फ नारायण मूर्ति ऐसे थे जो व्यापार की लाइन में चले गए। हमारे यहां हर मौके पर किताबें दी जाती थी और ये भी बताया जाता था कि नॉलेज सबसे महत्वपूर्ण है। मेरा बचपन किताबों के साथ ही गुजरा है, मैं किताबों के बीच ही बड़ी हुई हूं, पैसों के साथ नहीं। इसलिए मैंने हमेशा तुम्हें और रोहन को किताबें भी भेंट की है। क्योंकि इनसे बड़ा कोई नहीं है। 

read also:आधी आबादी पर नाता प्रथा का दंश…

3000 हजार सेक्स वर्कर्स को कैसे सुधारा ?

सुधा मूर्ति ने अपनी बेटी के इस सवाल का बड़ी ही शालीनता से देते हुए कहा कि  हम सबने गीता में पढ़ा कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…

मैंने थ्री थाउजेंड स्टिचेस’ को काफी गौर से पढ़ा है, 20साल पहले सेक्स वर्कर्स को सुधारने के लिए गई थी।  मुझे लगा 10 भी सुधर गईं तो बड़ी बात होगी लेकिन मैंने अपने प्रयासों से 3000 सेक्स वर्कर्स को सुधारा। शुरुआत में यह मेरे लिए काफी चैलेंजिंग रहा टमाटर और पत्थर भी इन लोगों ने मुझे मारे जलील किया। लेकिन मैं ये करती रही और मेरे पति नारायण मूर्ति ने मुझे काफी सपोर्ट किया। 

CATEGORIES
TAGS
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus (0 )

अपने सुझाव हम तक पहुंचाएं और पाएं आकर्षक उपहार

खबरों के साथ सीधे जुड़िए आपकी न्यूज वेबसाइट से हमारे मेल पर भेजिए आपकी सूचनाएं और सुझाव: dusrikhabarnews@gmail.com