कुवैत तक 4 घंटे का सफर भारत ने किया 4 दशकों में पूरा…! मोदी को कुवैत का सर्वोच्च सम्मान..

कुवैत तक 4 घंटे का सफर भारत ने किया 4 दशकों में पूरा…! मोदी को कुवैत का सर्वोच्च सम्मान..

प्रधानमंत्री मोदी का विजन भारत को खाड़ी देशों में दिलाएगा अलग पहचान

कुवैत ने देश के सर्वोच्च सम्मान से प्रधानमंत्री मोदी को नवाजकर रिश्तों को दी और मजबूती

इंदिरा गांधी के बाद पीएम मोदी पहुंचे रिश्ते निभाने, पहले भारतीय पीएम जिन्हें मिला यह सम्मान

कुवैत से रिश्ते भारत के लिए होंगे फायदे का सौदा

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर, (dusrikhabar.com)। भारत एक विकासशील देश है जो अपनी मेहनत, कड़े परिश्रम, अन्य राष्ट्रों के प्रति संवेदनशीलता और अपने मधुर संबंधों के साथ-साथ व्यापारिक संबंधों को भी बनाए रखे हुए है। अगर एक-आध देश को छोड़ दें तो भारत के किसी भी देश के साथ संबंधों में कड़वाहट नहीं है। लेकिन जिन देशों के साथ भारत की कड़वाहट है उसके लिए भी वो देश खुद ही जिम्मेदार हैं। भारतीय पीएम की कुवैत यात्रा मजबूत साझेदारी और साझा दृष्टिकोण पर आधारित होकर, सतत विकास को बढ़ावा देने के साथ साथ क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है। दोनों देशों के आला नेताओं की इस मुलाकात ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। (India completed the 4-hour journey to Kuwait in 4 decades…! Kuwait’s highest honor for Modi..)

मोदी को कुवैत का सर्वोच्च सम्मान “ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर”

आपको बता दें कि पीएम मोदी हाल ही में दो दिन की कुवैत यात्रा से भारत लौट आए हैं और वहां से वो अपने साथ लेकर आए हैं जबरदस्त आत्मविश्वास और एक बेहतरीन साझेदारी की सौगात। पीएम मोदी का कुवैत पहुंचने पर न सिर्फ सम्मान हुआ बल्कि ऐसा पहली बार है जब किसी भारतीय पीएम को कुवैत ने अपने देश के सर्वोच्च सम्मान “ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर”(Order of Mubarak Al Kabir) से नवाजा है। मोदी को यह सम्मान कुवैत के अमीर शेख मिशाल ​​​​​​अल-अहमद अल-जबर अल-सबा (Amir Sheikh Mishaal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah) ने दिया। पीएम मोदी को किसी देश से मिलने वाला ये 20वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

गौरतलब है कि ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर कुवैत का एक नाइटहुड ऑर्डर अवॉर्ड है। यह अवॉर्ड दोस्ती की निशानी के तौर पर राष्ट्राध्यक्षों-विदेशी शासकों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को कुवैत में दिया जाता है। मोदी से पहले इस पुरस्कार से बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं को भी नवाजा गया है।

और मजबूत होंगे कुवैत से कारोबारी एवं सांस्कृतिक रिश्ते

ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले कुवैत जाने की कोई मनाही थी या कुवैत से हमारे कोई व्यापारिक संबंध नहीं है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कुवैत एयरपोर्ट पर रेड कॉर्पेट स्वागत किया गया। भारत के पीएम की यह यात्रा अरब के देशों के साथ अपने संबंध और मधुर और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच मजबूत कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते पहले से ही बरकरार हैं।

4 दशक बाद भारतीय पीएम पहुंचे कुवैत

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत से कुवैत के 4 घंटे के सफर को पूरा करने में भारत को 4 दशक यानी 40 साल लग गए। क्योंकि पीएम मोदी से पहले सिर्फ इंदिरा गांधी एक मात्र भारत की प्रधानमंत्री थीं जो कुवैत दौरे पर गईं थी। लेकिन उनके बाद हमारे व्यापारिक संबंध तो कुवैत से बने रहे लेकिन कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत तक नहीं पहुंच पाया। राजनीति कहती है कि संबंध मधुर और दूसरों की जरूरत हमेशा बने रहो तो दुनिया पूछती भी है और तवज्जो भी देती है।

दूरदृष्टि और कूटनीति की मिसाल

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद इसीलिए दुनियाभर में सबसे शक्तिशाली और समझदार प्रधानमंत्रियों में शुमार हैं। क्योंकि उन्हें रिश्ते बनाने आते हैं और दूसरी सबसे बड़ी बात उन्हें भुनाना भी आता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी की दुनियाभर में पूछ हो रही है और उन्हीं के कारण आज विश्व पटल पर भारत सबसे विकासशील देशों की श्रेणी में शामिल है। पीएम मोदी की दूरदृष्टि और कूटनीति के चलते आज दुनिया की महाशक्ति माने जाने वाले देश रूस और अमेरिका भी भारत को विश्व मंच पर विशेष दर्जा देते हैं।

कुवैत से रणीनीतिक साझेदारी की शुरुआत…!

भारत के प्रधानमंत्री की इस यात्रा से फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, फिनटेक, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सिक्योरिटी जैसे विषयों पर साझेदारी दोनों देशों के बीच और बढ़ेगी। साथ ही कुवैत और भारत के रिश्तों  को नई दिशा मिलेगी। राजनीति के जानकारों की मानें तो मोदी की कुवैत यात्रा के बाद दोनों देशों में न सिर्फ घनिष्ठ संबंध और अच्छे होंगे बल्कि इससे रणनीतिक साझेदारी भी होने की संभावना है। पीएम मोदी ने इस यात्रा को लेकर कहा कि यह कदम भारत-कुवैत के संबंधों को आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर नई ऊंचाई प्रदान करेगा।

कुवैत में भारतीयों की बड़ी आबादी, कुल आबादी की 21फीसदी

दरअसल भारत जो कि विकासशील देश है इसलिए यहां मानव संसाधन, कौशल और तकनीक की कोई कमी नहीं है। वहीं कुवैत जैसे अरब देशों में पैसे की तो कोई कमी नहीं है लेकिन इन देशों में श्रमिकों की कमी है और इसी कमी को पूरी करने का काम भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और कुछ अफ्रीकी देश करते हैं। पीएम अपनी यात्रा के दौरान एक श्रमिक शिविर में पहुंचे जहां 90फीसदी कामगार भारतीय थे। कुवैत की आबादी में आंकड़ों की बात करें तो 10 लाख भारतीय हैं यह जानकार आपको आश्चर्य होगा कि कुवैत की कुल आबादी में भारतीयों की 21 फीसदी हिस्सेदारी है वहीं कामगारों की बात करें तो यहां के कुल कामगारों में 30फीसदी भारतीय हैं जिससे यहां रहने वाले भारतीय हर साल लगभग 4.7 अरब डॉलर भारत भेजते हैं।

दोनों देशों के बीच वर्ष 2023-24 में हुआ 10.47अरब डॉलर का कारोबार

भारत की ईंधन जरूरतें पश्चिम एशिया के देश पूरी करते हैं और पश्चिम एशिया में भारतीय कामगारों की बड़ी आबादी निवास करती है। अब चाहें वो कामगार श्रमिक हों या आईटी, मेडिकल, टेक्नोलॉजी और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोग हों। कुवैत के साथ भारत के रिश्तों कैसे हैं इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दोनों देशों के बीच 2023-24 में 10.47 अरब डॉलर का कारोबार हुआ और इस कारोबार में तेल और ऊर्जा उत्पाद का बड़ा हिस्सा है। कुवैत भारत को तेल आपूर्ति करने वाला छठा सबसे बड़ा तेल देश है।

बहरहाल भारत ने अपने दो तरफा रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी में बदलने लिया है। जिसमें एक तरफ हम उनसे कच्चा तेल ले रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारत के कामगार वहां काम कर रहे हैं। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री की 43 साल बाद कुवैत यात्रा के कई सकारात्मक मायने निकाले जा रहे हैं। अगर इन मायनों का कुछ बनता है तो भारत के खाड़ी देशों से रिश्ते और मजबूत हो जाएंगे जो कि भारत की एक बड़ी रणनीति जीत साबित होगी।

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