
प्रधानाध्यापकों के तबादला आदेश रद्द, शिक्षा विभाग ने क्यों लिया यू-टर्न…!
प्रधानाचार्यों के तबादले निरस्त, शिक्षा विभाग ने रद्द किए तबादला आदेश
शिक्षा विभाग के तबादला आदेश रद्द करने के फैसले पर हैरानी
आखिर क्यों तबादला आदेश जारी कर वापस लिए शिक्षा विभाग ने
वहीं कुछ थर्ड ग्रेड टीचर्स के तबादले को लेकर भी बना सस्पेंस
प्रारम्भिक शिक्षा विभाग का काम कैसे कर सकता है जिला शिक्षा अधिकारी
जयपुर, (dusrikhabar.com)। शिक्षा विभाग ने मंगलवार को जारी प्रधानाचार्यों की तबादला सूची रद्द कर दी। विभाग की ओर से जारी आदेशों के अनुसार माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए 40 प्रिंसिपल्स की तबादला सूची जारी की, जिसमें दौसा के 39 प्रिंसिपल्स का तबादला बाड़मेर, बांसवाड़ा, और जैसलमेर जैसे जिलों में कर दिया।
अचानक जारी हुए इस तबादला आदेश से शिक्षक संगठनों में असंतोष फैल गया है। इस आदेश के अनुसार एक ही जिले के 39 प्रधानाचार्यों का एक साथ तबादला कुछ राजनीति से प्रेरित लग रहा था जिसके चलते शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया।
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शिक्षा विभाग ने यू टर्न लेकर रद्द की तबादला सूची
आपको बता दें कि शिक्षा विभाग में एक बार फिर प्रशासनिक उथल-पुथल नजर आने लगी है। शिक्षा विभाग ने कुछ घंटे पहले जारी किए तबादला आदेशों पर अचानक से रोक लगाते हुए नए आदेश जारी कर दिए। इसमें खास बात यह रही कि रोक के बावजूद विभाग ने आठ ग्रेड थर्ड शिक्षकों का ट्रांसफर भी किया गया, जबकि इनका ट्रांसफर आमतौर पर जिला शिक्षा अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आता है। लेकिन इस बार रोक के बावजूद यह सूची प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने खुद जारी की।
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सरकार के प्रशासनिक स्तर पर असमंजस की स्थिति
दरअसल राज्य में चुनावी माहौल और उपचुनाव की तारीखों के ऐलान जल्द ही होने वाला है ऐसे में चुनावों की तारीखों से ठीक पहले हुए तबादलों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान सरकार ने 78 नगरीय निकायों में राजनीतिक नियुक्तियों पर महज 6 घंटे बाद ही रोक लगा दी थी।
अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार में प्रशासनिक फैसलों को लेकर असमंजस की स्थिति और बढ़ती जा रही है। किसे फैसले लेने हैं और किस स्तर पर कौन क्या करेगा, इसमें प्रशासन में तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। तभी तो पहले नगरीय निकाय और अब शिक्षा विभाग की तबादला सूची जारी करने के कुछ ही घंटों में दोनों आदेशों को सरकार को रद्द करना पड़ा।