
वसुंधरा राजे का फिर राजयोग, RSS के संकेत, क्या कहते हैं राजीतिक पंडित?
वसुंधरा का “राजयोग”, केंद्रीय राजनीति में राजस्थान का बढ़ता कद..!
क्या पीएम मोदी-अमित शाह की नई रणनीति होगी कारगर?
अलवर में मोहन भागवत से हुई वसुंधरा राजे की मुलाकात
मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा का दौर हुआ शुरु
चौंकाने वाली बात लेकिन वसुंधरा को मिल सकती पार्टी की कमान
विजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार।
जयपुर, (dusrikhabar.com)। केंद्र की राजनीति में जल्द ही राजस्थान का कद बढ़ने की संभावना नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा तेजी से सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर तेजी से फैल रही है। संघ की पृष्ठभूमि से आने वाली वसुंधरा राजे ने एक बयान में खुद को संघ की एक अनुशासित कार्यकर्ता बताया था, और अब संघ से उनकी नजदीकियां शायद इसीलिए इन दिनों और अधिक बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।

मोहन भागवत और वसुंधरा राजे की इस तस्वीर ने बनाया माहौल, चर्चा पुख्ता है…!
दरअसल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जल्द ही समाप्त हो रहा है। ऐसे में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। साथ ही दो अन्य नाम भी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस में बताए जा रहे हैं। अलवर में मोहन भागवत के प्रवास के दौरान वसुंधरा राजे की मौजूदगी को लेकर ऐसा माना जा रहा है कि उनकी संघ से नजदीकी और बढ़ रही है, साथ ही चूंकि वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और केंद्रीय मंत्री पद और भाजपा में कई पदों पर रहने के बाद फिलहाल पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं इसलिए लिए उनका नाम इस रेस में पहले स्थान पर है।
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हालांकि भाजपा की ओर से अभी किसी भी तरह के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि जेपी नड्डा की जगह किसे भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद मिलेगा लेकिन पार्टी में अंदरूनी चर्चाओं को दौर जारी है जिसमें वसुंधरा राजे को नाम सबसे आगे है।

पीएम मोदी के साथ शिवराज सिंह चौहान
मोदी-शाह की पसंद को ठुकराया संघ ने
जानकार सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दूसरा नाम पीएम मोदी और अमित शाह की तरफ से शिवराज सिंह चौहान का राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए बढ़ाया गया था। लेकिन संघ ने उनके नाम को खारिज कर दिया।
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इधर तीसरा नाम संजय जोशी का है जो राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। लेकिन अब वसुंधरा राजे इसके लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मानी जा रही हैं। हालांकि मोदी और शाह कभी भी वसुंधरा राजे को इस पद पर बिठाना नहीं चाहेंगे लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार भाजपा में संघ का बड़ा स्थान है और संघ के फैसले को भाजपा में नजरअंदाज कोई नहीं कर सकता। ऐसे में अगर वसुंधरा राजे को मोहन भागवत की हरी झंडी मिल जाती है तो राजे के साथ साथ केंद्र की राजनीति में राजस्थान का भी स्थान काफी बड़ा हो जाएगा।

राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर कैसे चला वसुंधरा का नाम
ऐसा माना जाता है कि 2018 के चुनावों के बाद से ही पीएम मोदी और अमित शाह की वसुंधरा राजे की जगह गजेंद्र सिंह शेखावत को मुख्यमंत्री बनाकर राजस्थान का नेतृत्व सौंपा जाए लेकिन वसुंधरा राजे इसके लिए तैयार नहीं थीं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तब राजे ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल किया और मोदी और शाह इच्छा पूरी नहीं हो सकी, बस तभी से मोदी-शाह और वसुंधरा राजे के बीच दूसरी बढ़ती गईं।
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लेकिन भाजपा और RSS में कुछ ऐसे हालात पैदा हुए कि भाजपा का बड़बोलापन और संघ की कुछ बातें जाने-अनजाने नजरअंदाज होने के चलते RSS अब राजनीति में पावर बैलेंस चाहता है। इसके लिए जेपी नड्डा का RSS को लेकर दिया हुआ बयान से सभी वाकिफ हैं जिसमें नड्डा ने कहा था कि “भारतीय जनता पार्टी उस समय से आगे बढ़ चुकी है जब उसे संघ की जरूरत हुआ करती थी लेकिन भाजपा “सक्षम” है और अपने काम खुद करती है। जेपी नड्डा ने यह भी कहा था कि आरएसएस एक “वैचारिक मोर्चा” है और अपना काम खुद करता है।”
इधर भाजपा के आलानेताओं पर निशाना साधते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बिना किसी का नाम लिए जून 2024 में नागपुर में हुई RSS की बैठक में कहा था कि “एक सच्चा सेवक मर्यादा बनाए रखता है. काम करते समय वे शिष्टाचार का पालन करता है. उसे यह कहने का अहंकार नहीं होता कि ‘मैंने यह काम किया’. केवल उसी व्यक्ति को सच्चा सेवक कहा जा सकता है” हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा और राजनीति के पंडितों की मानें तो उनका दो ही लोगों पर निशाना था।
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत
संघ चाहता है पार्टी पर मजबूत पकड़ और पावर बैलेंस
संघ इस पूरे हालात को लेकर भाजपा और राजनीति में पावर को संतुलित करना चाहता है, इसलिए संजय जोशी और शिवराज सिंह चौहान का नाम दरकिनार कर वसुंधरा राजे का नाम आगे किया गया। राजे का नाम आगे बढ़ाने के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पार्टी पर अपनी पकड़ फिर से मजबूत करना चाहता है। सूत्रों की मानें तो संघ अब ये चाहता है कि जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने वो संघ का समर्पित कार्यकर्ता हो वो सिर्फ भाजपा आलाकमान के इशारे पर न चलकर संघ की बात भी प्रमुखता से समझे और राजनीति के इस मंथन में संघ की तरफ से वसुंधरा राजे का नाम इसलिए आगे बढ़ाया गया है कि वो संघ के इस पैमाने पर खरी उतरती हैं।
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वसुंधरा राजे का राजनीतिक सफर
पूर्व राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटी वसुंधरा राजे 1985 से सक्रिय राजनीति में हैं। पहली बार 1985 में विधायक चुनी गईं, 1985-87 तक भाजपा युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष भी रहीं। दो बार मुख्यमंत्री, पांच बार लोकसभा सांसद और पांच बार ही विधायक चुनकर वसुंधरा राजे ने जनता का प्रतिनिधित्व किया। तीन का आंकड़ा उनके लिए शुभ रहा, राजे 2003 से 2008 तक और 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं। भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद फिलहाल झालावाड़ की झालरापाटन सीट से विधायक और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर राजे अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हैं।
वसुंधरा राजे की लोकप्रियता बरकरार है और वो आज भी राजस्थान ही नहीं भाजपा में प्रभावशाली चेहरा हैं। उनमें आज भी वो बात है उन्हें क्राउड पुलर लीडर कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
चौंकाने वाला नाम है वसुंधरा राजे का
बहरहाल राजनीति और खेल में कुछ भी कहना ना मुमकिन है। भाजपा और संघ के रिश्ते अब कहां पहुंचेंगे और क्या होगा RSS और भाजपा का आगे का रोड मैप ? ये या तो भाजपा आलाकमान या फिर RSS प्रमुख ही बता सकते हैं लेकिन ये बात तय है कि संघ पार्टी पर मजबूत पकड़ चाहता है इसके लिए वो ऐसे ही कार्यकर्ता को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामित करेगा जो संघ को प्रायोरिटी पर रखे। हालांकि जैसे राजस्थान और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर चौंकाने वाला नाम सामने आया था वैसे ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए भी अब चौंकाने वाला नाम वसुंधरा राजे का सामने आ रहा है।

शपथ के बाद मोदी का अभिवादन करते सीएम भजनलाल
राजस्थान के CM भजनलाल का नाम भी था चौंकाने वाला, हमने किया था खुलासा
गौरतलब है कि 2023 विधानसभा चुनावों के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर dusrikhabr.com ने एक दिन पहले ही खुलासा कर दिया था कि भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। दर्शकों ने इस खबर को हाथों-हाथ लिया वेबसाइट पर जबरदस्त व्यूवरशिप रही। वहीं हमारी वेबसाइट की खबर की प्रामाणिकता भी सिद्ध हुई।
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