ब्रह्मलोक और खाटूश्यामजी कॉरिडोर के बाद अब कृष्ण गमन पथ…

ब्रह्मलोक और खाटूश्यामजी कॉरिडोर के बाद अब कृष्ण गमन पथ…

राजस्थान-मध्यप्रदेश के बीच बनेगा श्रीकृष्ण गमन पथ

जन्माष्टमी पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया “कृष्ण गमन पथ” बनाने का ऐलान

525 किमी लंबा धार्मिक कॉरिडोर उज्जैन से झालावाड़, भरतपुर होते बनेगा मथुरा तक

 

विजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार। 

जयपुर, dusrikhabar.com: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेशवासियों के लिए “श्रीकृष्ण गमन पथ” बनाने की बड़ी घोषणा की है। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से लेकर उनकी शिक्षा नगरी उज्जैन को धार्मिक सर्किट के जरिए जोड़ने के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार मिलकर कार्य करेगी। श्रीकृष्ण गमन पथ राजस्थान-मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से होकर गुजरेगा यह धार्मिक सर्किट। 

राजस्थान में एक और धार्मिक कॉरिडोर 

इससे पहले राजस्थान के अजमेर स्थित पुष्कर में ब्रह्मलोक कॉरिडोर और सीकर स्थित खाटूश्यामजी मंदिर कॉरिडोर की पहले ही घोषणा हो चुकी है। अब इसके बाद राजस्थान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण गमन पथ बनाने का ऐलान कर राजस्थान में धार्मिक पर्यटन को और आगे बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय पहल की है। 

सीएम भजनलाल ने सपरिवार की उज्जैन में महाकालेवर की पूजा-अर्चना

आपको बता दें कि आज सीएम भजनलाल शर्मा ने अपने अराध्य देव पुंछरी का लोटा में गिरिराज भगवान के दर्शन के बाद, श्रीनाथजी के मंदिर और मुकुट मुखारबिंद की पूजा-अर्चना की इसके बाद सीएम उज्जैन पहुंचे। उन्होंने सोमवार को उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में सपरिवार भगवान महाकाल के दर्शन कर पूजा-अर्चना की तथा प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। श्री शर्मा ने महाकाल की झांकी में शामिल होकर श्रद्धालुओं के साथ हर हर महादेव के जयकारे लगाए। इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने सांदीपनि आश्रम पहुंचकर वहां भी विधिवत पूजा अर्चना की।

राजस्थान में बढ़ेगा धार्मिक पर्यटन 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण, बाबा भोलेनाथ की नगरी उज्जैन स्थित सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने आए थे। उन्होंने कहा कि मथुरा से लेकर उज्जैन तक जिन जिन स्थानों से कृष्ण होकर आए, उनको राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से विकसित कर ‘कृष्ण गमन पथ’ धार्मिक सर्किट बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस सर्किट के विकसित होने से दोनों राज्यों के बीच धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा तथा आपसी रिश्ते और अधिक मजबूत होंगे।

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श्रीकृष्ण ने 64 दिन में सीखीं 64 विद्याएं

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश स्थित सांदीपनि आश्रम के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण 11 साल की उम्र में उज्जैन आ गए थे। वे उज्जैन में 64 दिनों तक ही रहे। इन 64 दिनों में उन्होंने गुरु सांदीपनि से 64 विद्याएं सीखीं। उन्होंने 16 दिन में 16 कलाएं, 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 18 दिन में 18 पुराण और 20 दिन में गीता का ज्ञान प्राप्त किया था। जानकारों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने पुनर्जीवित करने की संजीवनी विद्या भी महर्षि सांदीपनि से ही सीखी थी। 
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