अटल भूजल योजना राजस्थान के लिए होगी वरदान साबित: भू-जल मंत्री कन्हैयालाल

अटल भूजल योजना राजस्थान के लिए होगी वरदान साबित: भू-जल मंत्री कन्हैयालाल

अटल भूजल योजना से राजस्थान जल के क्षेत्र में बनेगा आत्मनिर्भर

सरकार के प्रयास से अटल भूजल योजना में राजस्थान सातवें से अब तीसरे स्थान पर -भूजल मंत्री

मोटिवेशनल स्पीकर की भूमिका में नजर आए प्रमुख शासन सचिव डॉ समित शर्मा

 

जयपुर,dusrikhabar.com: भू-जल मंत्री कन्हैया लाल बुधवार को अटल भूजल योजना के अंतर्गत राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई जयपुर द्वारा राज्य कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शरीक हुए। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भू-जल मंत्री कन्हैयालाल ने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थिति और भूजल की अत्यधिक कमी से जूझ रहा प्रदेश अटल भूजल योजना से जल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की भूजल को लेकर नवीन नीतियों और कार्यों का ही परिणाम है कि अटल भूजल योजना में अब हमारा प्रदेश सातवें स्थान से तीसरे स्थान पर आ गया है।

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अटल भूजल योजना प्रदेश के लिए बनेगी वरदान

मंत्री कन्हैयालाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर 25 दिसंबर 2019 को प्रारंभ की गई अटल भूजल योजना वर्तमान में प्रदेश के 17 जिलों में संचालित है। पूर्व प्रधानमंत्री का नदियों को आपस में जोड़ने का सपना राजस्थान के लिए वरदान साबित होगा।उन्होने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में पानी की सर्वाधिक कमी है। इस बार प्रदेश में अच्छी बारिश हुई, लेकिन वर्षा जल संचय के पर्याप्त प्रयास न होने से अधिकांश वर्षा जल व्यर्थ बह गया। हमें वर्षा जल बचाने के सघन एवं सामूहिक प्रयास करने होंगे। भूजल का कम दोहन और अधिक रिचार्ज पर ध्यान देना होगा।

 

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मोटिवेशनल स्पीकर की भूमिका में प्रमुख सचिव डॉ समित शर्मा 

जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ समित शर्मा अपनी सधी हुई, नपी-तुली और मोटिवेशनल बातों से  विभाग के अफसरों, इंजीनियरों में जोश भर देते हैं, ऐसा सुना था लेकिन आज उनके उद्बोधन से ये स्पष्ट भी हो गया। कार्यशाला में उन्होंने जलदाय विभाग को मोटिवेशनल स्पीकर की तरह राजस्थान में पानी की महत्वता और जलदाय विभाग के इंजीनियरों की इसमें भूमिका को लेकर काफी बातें वस्तुस्थिति को सामने रखकर समझाई। डॉ शर्मा ने अटल भूजल को लेकर विभाग के चीफ इंजीनियर और उनकी टीम के कार्य की प्रशंसा करते हुए सभी को इसके लिए बधाई दी। 

 

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वर्षा जल का संचयन किया जाना है जरूरी

भूजल विभाग के शासन सचिव डॉ समित शर्मा ने कहा कि प्रदेश के ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति का आकलन किया जाता है तो देश में सर्वाधिक विकट स्थिति राजस्थान की पाई जाती है इसलिए आने वाले समय में भूजल स्तर को सुधारना है। डॉ शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में वर्षा का जल व्यर्थ रूप में बहकर चला जाता है। इसके लिए कोई ठोस कार्य योजना बनाया जाना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व निर्मित सतही पेयजल के स्रोतों का रख-रखाव किया जाना जरूरी है, क्योंकि इसमें सीवरेज का पानी जा रहा है, जिससे भूजल भी खराब हो रहा है। इसलिए इस पर कार्य करने की बहुत ज्यादा जरूरत है।

 

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अविष्कार में लालच शामिल हो जाए तो होता है दुरुपयोग

डॉ शर्मा ने कहा हमारे प्रदेश में काम तो हो रहा है लेकिन अगर हमारा विभाग इनेशेटिव लेकर काम करें तो उसका मजा ही अलग होगा। उन्होंने अविष्कारों के दुरुपयोग को सोनोग्राफी मशीन के उदाहरण से समझाया कि वो अविष्कार तो हमारे शरीर में बीमारियों को परेशानियों को पकड़ने और समझने के लिए हुआ था लेकिन हम लोगों ने भ्रूण जांच में इसका गलत उपयोग किया है। जिसके चलते राजस्थान में लिंगानुपात काफी कम हो गया। डॉ शर्मा ने कहा कि जब किसी अविष्कार में लालच शामिल हो जाए तो उसका दुरुपयोग होने लगता है। 

 

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वैज्ञानिक आधार पर तैयार हो नरेगा-एमजेएसए में बने स्ट्रक्चर

डॉ समित शर्मा ने कार्यशाला में मौजूद इंजीनियरों से कहा कि अगर आप पहल करके समझाते हुए अपनी बात कलेक्टर्स को बताएंगे तो वो भी आपकी बात को समझेंगे और आप अपना काम अच्छे से कर पाएंगे। डॉ शर्मा ने कहा कि जेईएस मैपिंग हो चुकी है इसकी रिपोर्ट उन्होंने कलेक्टर्स को भी भेजी है और ये कहा है कि नरेगा, MJSA में जो भी स्ट्रक्चर तैयार किए जाएं वो वैज्ञानिक आधार पर तैयार हों, उनमें रिचार्ज स्ट्रक्चर को ध्यान में रखकर काम करवाया जाए ताकि जमीन का रिचार्ज लेवल बढ़ाया जा सके।

 

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 NPMU डायरेक्टर प्रतुल सक्सेना सहित देशभर से आए वैज्ञानिक हुए कार्यशाला में शामिल

कार्यक्रम में एनपीएमयू नई दिल्ली के प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रतुल सक्सेना, नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी हैदराबाद के डॉ आई सी दास, अटल भूजल योजना के नोडल ऑफिसर डॉ बी एन भावे, छत्तीसगढ़ के जलदाय विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता हरीश हिंगोरानी, अजय कुमार साहू, यूनिसेफ विशेषज्ञ रुषभ हेमानी ने तकनीकी सत्रों में जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम में प्रदेश के 17 जिलों से राज्य एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई तथा सहभागी विभागों के नोडल अधिकारी, भूजल एवं जलदाय विभाग के अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे।

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