
भूरे भालू से राजस्थान वन विभाग-पर्यटकों में उत्साह, लेकिन ये ब्राउन स्लोथ बियर है या…!
कैलादेवी में भूरे भालू यानि ब्राउन स्लोथ बियर के दिखने से पर्यटकों में बढ़ी उत्सुकता
पहले भी राजस्थान के कैलादेवी में करीब सात साल पहले नजर आया था भूरा भालू
अक्सर पहाड़ी-घने जंगलों और ठंडे इलाकों में आवास करते हैं ब्राउन स्लोथ बियर
हालांकि ये भालू ब्राउन स्लोथ बियर प्रजाति से अलग बताया जा रहा
भरतपुर/ केवलादेव। राजस्थान के कैलादेवी (Kailadevi) के जंगलों में एक बार फिर भूरे भालू (Brown Bear) की तस्वीर कैमरे में कैद हुई है। संभवत: यह दूसरी बार है जब भूरा भालू यानि ब्राउन स्लोथ बियर (brown sloth bear) घने जंगलों से गुजरता हुआ नजर आया है। आमतौर पर राजस्थान और आसपास के राज्यों के जंगलों में काले भालू ही पाए जाते हैं क्योंकि यहां का वातावरण उनके लिए अनुकूल है साथ ही उनकी प्रकृति ऐसी है कि वो लोगों के बीच रहकर जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
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2017 में भी कैमरे में कैद हुई थी भूरे भालू की फोटो
दरअसल राजस्थान के कैलादेवी के घने जंगलों के नैनियाकी में एक बार फिर ब्राउन स्लोथ बियर नजर आने से पर्यटन इंडस्ट्री में एक नई चर्चा सी चल पड़ी है कि आखिर राजस्थान में ब्राउन बियर आया कहां से। जबकि ये सही मायने में ब्राउन स्लोथ बियर तो हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अब लोगों में इस भूरे भालू को देखने का क्रेज सा बनता जा रहा है। आपको बता दें कि कुछ वर्षों पहले 2017 में भी ब्राउन बियर नजर आया था तब रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड ऑफिसर वाय.के. साहू ने इस बात की पुष्टि की थी कि यह ब्राउन स्लोथ बियर जैसा ही है लेकिन ये ठंडे प्रदेशों में रहने वाले ब्राउन स्लोथ बियर से अलग प्रजाति का है।
पानी की तलाश में नाले तक पहुंचे भालू उनमें एक भूरा भालू भी
कैलादेवी में टाइगर ट्रैकर रामलाल ने घण्टेश्वर डंगरा खोह टपकन नाला घाटी शिरा के पास भूरे भालू को करीब 30फीट की दूरी से देखा। जब टाइगर ट्रेकर ने भालू को देखा तो भालू पिछले पैरों पर खड़ा था। राजस्थान में हीटवेव और तेज गर्मी के बाद मानसून की पहली बारिश कई जिलो में हो चुकी है। इसी बारिश का पानी हंडिया खोह में घण्टेश्वर खाती की करझोंना नाला से होते हुए डंगरा खोह टपकन नाला में पहुंच गया है। अक्सर पानी की तलाश में वन्यजीव यहां आ जाते हैं। आपको बता दें कि बारिश का यह पानी यहां आसपास में कई पानी के स्त्रोंतो को भर देता है जो सालभर वन्यजीवों के पीने के काम आता है।
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भालुओं के बारे में शायद आप ये नहीं जानते…?
शांत और शर्मीले काले भालू
आम तौर पर राजस्थान में पाए जाने वाले काले भालू शर्मीले और शांत स्वभाव के होते हैं। जब तक इन्हें किसी से खतरा नहीं होता ये किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ की मानें तो भालू बहुत अच्छे पर्वतारोही होते हैं। जब किसी काले भालू को खतरा लगता है तो वह आमतौर पर भाग जाता है या किसी पेड़ पर चढ़ जाते हैं। हालाँकि काले भालू लोगों से दूर भागते हैं, फिर भी वे अविश्वसनीय रूप से मजबूत जानवर हैं जो खतरे की कंडीशन में लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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वहीं भूरे (ग्रिज़ली) भालू तटीय या पहाड़ी जंगलों में रहते हैं, लेकिन वे वृक्षविहीन आवास में विकसित हुए हैं जिसके चलते खतरे के समय वे काले भालुओं की तुलना में खुद का बचाव करने पर अधिक ध्यान देते हैं । एक तरफ काले भालू रक्षा में पहली बार पीछे हट जाता है। जबकि खतरा देखकर ग्रिज़ली भालू विशेष रूप से शावकों के साथ मादा भालू अन्य भालुओं और लोगों के प्रति बहुत और अधिक आक्रामक हो जाते हैं। ये भालू पेड़ पर चढ़ने में अच्छे नहीं होते हैं।
जिज्ञासू प्रवृत्ति के होते हैं भालू
भालू बहुत जिज्ञासु होते हैं । गंध, आवाज़ और वस्तुओं को जांच परख कर ये निर्धारित करते हैं कि वे खाने योग्य हैं या खेलने योग्य। अपने पिछले पैरों पर खड़े होने से भालू को अपनी गंध, दृष्टि और श्रवण इंद्रियों से अधिक समझने में ज्यादा मदद मिलती है। ऐसा माना जाता है कि भालू जब जिज्ञासू होते हैं तो पिछले पैर पर खड़े हो जाते हैं तब वे आक्रामक नहीं होते हैं।
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क्या आप जानते हैं भालू क्षेत्रीय नहीं होते
यानि भालू किसी क्षेत्र की जगह सभी जगह जाना पसंद करते हैं जबकि भेड़िये क्षेत्रीय होते हैं। भालू लोगों की तरह घर के दायरे को साझा करते हैं। भूमि और संसाधनों का यह पारस्परिक उपयोग भालू के सामाजिक व्यवहार का आधार है। भालूओं के बारे में विशेषज्ञों की मानें तो वे लोगों के साथ घुल मिल जाते हैं जैसे वे अन्य भालुओं के साथ व्यवहार करते हैं। नदी में सैल्मन या पहाड़ की ढलान पर जामुन, फल-सब्जियां और शहद उनके पसंदीदा भोजन में से एक है।