IAS डॉ. सुमित शर्मा ने क्यों की मार्मिक अपील…!

IAS डॉ. सुमित शर्मा ने क्यों की मार्मिक अपील…!

विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर शासन सचिव की मार्मिक अपील!

आमजन से कहा स्वेच्छा से लगाएं पक्षियों के लिए परिंडे और चुग्गा पात्र

जयपुर। विश्व पृथ्वी दिवस (world earth day) यानी 22अप्रेल।  धरती पर जैसे मनुष्य रहते हैं वैसे ही हजारों-करोड़ों जीव जंतुओं के साथ-साथ वनस्पतियां भी इस धरती पर पनपती हैं। यानि मनुष्यों के साथ-साथ धरती ये सभी भी निवास करते हैं। मनुष्य क्योंकि बोलने और समझकर मेहनत करने वाला प्राणी है इसलिए उसकी जरूरतों की पूर्ति तो हो जाती हैं।

लेकिन इस पृथ्वी पर अन्य जीव और प्राणी ऐसे भी हैं जो बोल नहीं सकते लेकिन उनकी भी मूलभूत जरूरतें दाना और पानी अगर वो इंसान के हाथों पूरी हो जाएं तो उनके जीवन से धरती का बैलेंस बना रहेगा। लेकिन मनुष्य ऐसा करता नहीं है वो इन्हें नुकसान पहुंचाने में लगा है। जिसके कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं। प्रकृति का संतुलन ऐसे बिगड़ गया है कि आए दिन बाढ़, पॉल्यूशन, क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। 

 प्रकृति के बिना मानव जीवन असंभव

दुनियाभर में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस हमें पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के महत्व के बारे में बताने के लिए मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस जागरुकता बढ़ाता है और पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है। ये दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ हमारे कितने गहरे संबंध हैं और इसके बिना मानव जीवन संभव नहीं है।

 

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क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जैवविविधता संरक्षण

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के शासन सचिव डॉ समित शर्मा ने बताया कि विश्व पृथ्वी दिवस प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जैवविविधता संरक्षण के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करना है।

शासन सचिव ने बताया कि जलदाय विभाग का मूल उद्देश्य आम जन को जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक पेयजल उपलब्ध करवाना है। राज्य की पेयजल नीति 2010 के अनुसार भी जल प्रबंधन में मानव व पशुधन पेयजल मांग को क्रमशः प्राथमिकता 1 व 2 दी गई है। धार्मिक आधार पर भी मानव व पशुधन के लिए पेयजल व्यवस्था करना अत्यंत पुण्य का कार्य माना गया है।

 

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परिंडे व चुग्गा पात्र स्वेच्छा से लगवाया जाये और पुण्य के भागीदार बनें

डॉ शर्मा ने बताया कि गर्मियों में पक्षियों को पीने का पानी व चुग्गे की कमी होने के कारण इनकी अकाल मृत्यु हो जाती है। इसी प्रकार पशुधन को भी पानी की व्यवस्था के अभाव में भटकना पड़ता है। विभागीय स्रोतों/ हैडवर्क्स के पास ओवरफ्लो/ लीकेज आदि से पानी बेकार होता है, इसे भी खेळी से जोड़कर इसका समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।

अतः पक्षियों एवं जीव जन्तुओं के जीवन को बचाने के उद्देश्य से विभाग के समस्त कार्यालयों, पम्प हाउस, हैड वर्क्स आदि पर कार्मिकों, भामाशाह, गैर-सरकारी संगठन, आमजन आदि के सहयोग व सहभागिता से सुगम स्थानों पर वृक्षों पर पक्षियों के लिए परिंडे व चुग्गा पात्र स्वेच्छा से लगवाया जाये और पुण्य के भागीदार बनें।

 

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पक्षियों के परिंडों में प्रतिदिन पानी एवं चुग्गा पात्र में चुग्गे की समुचित व्यवस्था स्वेच्छा से कार्मिकों द्वारा आपसी सहयोग से की जा सकती है, एवं परिंडों में प्रतिदिन पानी भरने की जिम्मेदारी स्थानीय सेवाभावी कार्मिकों को दी जा सकती है।

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